Kafeel Khan News: पुलिस के निशाने पर डा. कफील, छह किलोमीटर में छह बार वाहनों की जांच में रूपये की जगह मिली मिठाइयां

Kafeel Khan News: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन कांड को लेकर चर्चा में रहे डॉ. कफील खान के एमएलसी चुनाव में सपा के घोषित उम्मीदवार बनने के बाद से एक बार सुर्खियों में हैं।

Update: 2022-04-06 16:45 GMT

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Kafeel Khan News: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन कांड को लेकर चर्चा में रहे डॉ. कफील खान के एमएलसी चुनाव में सपा के घोषित उम्मीदवार बनने के बाद से एक बार सुर्खियों में हैं। एक सप्ताह पूर्व एम्बुलेंस में घुसकर मरीज का इलाज करने को लेकर मुकदमा झेल रहे डा. कफील के चुनाव में मतदाताओं के बीच रूपये बांटने की शिकायत के बाद एक बार फिर पुलिस हरकत में दिखी। बताया जा रहा है कि छह घंटे में छह बार वाहनों की पुलिस ने जांच की। इस दौरान रूपयों की जगह वाहनों के अंदर खजुर व मिठाइयां मिली।

डा. कफील खान को समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद स्थानीय निकाय प्राधिकारी क्षेत्र के चुनाव में देवरिया स्थानीय प्राधिकार से उम्मीदवार बनाया है। 10 अप्रैल को एमएलसी के लिए होने जा रहे मतदान से पूर्व वे अपने क्षेत्र में प्रचार अभियान में लगे हैं। चिकित्सक के बाद अब राजनीति में भाग्य आजमा रहे डा. कफील अपनी जीत का लगातार दावा कर रहे हैं। इस बीच 5 अप्रैल की देर रात देवरिया के ग्रामीण इलाके में मतदाताओं से मिलकर लौटते समय उनके वाहनों की कई जगह पुलिस ने सघन तलाशी ली। डा.कफील खान एक वीडियो जारी कर पुलिस पर तंज कसते हुए कहते है कि 6 किलोमीटर में 6 बार गाड़ी की तलाशी ली गई। पुलिस की ओर से कहा गया कि गाड़ी पैसों से भरी है। ऐसी हमें सूचना मिली है। पुलिस को हर बार निराशा ही हाथ लगी। उन्हें गाड़ी में हर बार केवल नवरात्रि की मिठाई और इफ्तार खोलने के लिए कुछ खजूर मिले। इसके अलावा गाड़ी में किताबें थीं। आक्सीजन कांड से जुड़ी सच्चाई से संबंधित यह किताब होने की बात कहते हुए डा. कफील पुलिस वालों से इसे पढ़ने के लिए कहते हैं। पुलिस वाले गाड़ी की चेकिंग के बाद हैरान दिखे। यूपी पुलिस के अधिकारियों ने हमसे सवाल किया, डॉक्टर साहब ऐसे कैसे चुनाव जीतेंगे? हमने जवाब दिया, सत्ता की घबराहट तो ये संदेश दे रही है कि मैं चुनाव जीत गया।

वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस कफील खान की गाड़ी को रोकती और उसकी तलाशी लेती दिख रही है। इस दौरान कफील खान पुलिसकर्मियों के साथ हंसी-मजाक करते भी दिख रहे हैं। एक स्थान पर पुलिस जांच में हस्तक्षेप न करने की हिदायत देती है, तो दूसरी तरफ पुलिसवालों से मिठाइयां लेने की दरख्वास्त करते हुए डा. कफील दिखते हैं। उन्होंने योगी सरकार की पुलिस पर करारा तंज कसा है। जीत का दावा कर रहे हैं। साथ ही, पुलिस पर करारा हमला भी करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने पुलिस की ओर से की जाने वाली चेकिंग पर सवाल उठाए हैं।

देवरिया प्राधिकार से उम्मीदवार कफील खान इस बार जीत का दावा कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि योगी सरकार देवरिया प्राधिकार में हमें रोकने का पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन निकाय के वोटरों का समर्थन हमें मिल रहा है। इस बार वे जीत दर्ज कर विधान परिषद पहुंचने का दावा कर रहे हैं। दरअसल, यूपी में अभी 36 सीटों पर विधान परिषद चुनाव होना है। पिछली बार इनमें से 33 सीटों पर सपा का कब्जा हुआ था। हालांकि, तब सत्ता में अखिलेश यादव थे। अब योगी सरकार के सत्ता में रहने के कारण स्थानीय निकाय की इन सीटों पर काफी कड़ा मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है।

मेडिकल कॉलेज में 2017 में हुई त्रासदी के दौरान डॉ. कफील खान चर्चा में आए थे। गोरखपुर ऑक्सीजन कांड पर लिखि किताब में डा. कफील कहते हैं कि 10 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई! कथित तौर पर, अगले कुछ दिनों में, अस्सी से अधिक मरीजों जिनमें 63 बच्चे और 18 वयस्कों ने अपनी जान गंवा दी। कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे जूनियर प्रवक्ता डॉ कफील खान ने ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की और अन्य कर्मचारियों के साथ आपातकालीन स्थिति मे उपचार करने मे लगे रहे ताकि अधिक से अधिक बच्चों को बचाया जा सके।

जब त्रासदी की खबर सुर्खियों में आई तब खान को संकट की घड़ी में डटे रहने, आपातकालीन स्थिति को नियंत्रित करने और और बच्चों को बचाने में लगातार प्रयास को देखते हुए उन्हें हीरो नायक कहा गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, उन्हें निलंबित कर दिया गया, और उनके साथ 9 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सीय लापरवाही जैसे अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। आनन फानन उन्हें जेल भेज दिया गया। जनवरी 2020 में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए खान को फिर से गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोपित किया गया। बाद में उन्होंने सात महीने जेल में बिताए। 1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सभी आरोपों को से बरी कर दिया।

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