ग्राउंड रिपोर्ट : दशकों से नशे का जहर घोल रही कानपुर की ये बस्ती, जानकर भी अनजान बनी है पुलिस

किसी भी अनजान आदमी को भयावह कर देने वाली इस बस्ती की सच्चाई यह है कि आप यहां एक फोटो भी नहीं ले सकते। फ़ोटो लेते ही आपको कई लोग घेर लेंगे। क्या फ़ोटो ली है? दिखाओ?

Update: 2020-12-16 15:44 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित साकेत नगर जैसी पॉश एरिया के बीचोंबीच बनी एक बस्ती सालों से नासूर बनी हुई है। इस बस्ती के हर एक घर मे नशे का कारोबार होता है। इस बस्ती के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि नजदीकी थाना पुलिस को भी पता है यहां हर एक गैरकानूनी काम होता है, बावजूद इसके कार्रवाई के नाम पर आज तक अगर कुछ हुआ तो बस वसूली।

थाना किदवई नगर के अंतर्गत आने वाली इस बस्ती में दो मुहल्ले हैं, एक झंगई पुरवा बस्ती तो दूसरा है कंजड़ पुरवा। इन दोनों ही बस्तियों में सदियों से चरस, स्मैक, गांजा इत्यादि का कारोबार बहुलता से होता है। यहां रहने वाली एक विख्यात तस्कर जिसे चाची के नाम से जाना जाता है। इस चाची का पूरा गिरोह काम करता है। साथ ही इसके परिवार का प्रत्येक सदस्य तस्करी के काम में चाची का हाथ बंटाता है।

साकेत नगर टेलीफोन एक्सचेंज से आगे बढ़ते ही आपको छोटे-छोटे बच्चे हाथ मे चरस और गांजे की पुड़िया लिए मिल जाएंगे। आपके पहुंचते ही पूछेंगे 'कुछ चाहिए, क्या चाहिए ये है (पुड़िया दिखाते हुए)' आपको भरमाने की कोशिश करेंगे। यही हाल इस बस्ती के दूसरे छोर यानी वृहस्पति महिला डिग्री कॉलेज वाले रास्ते ने भी दिखेगा। ये छोटे-छोटे गांजे व चरस की पुड़िया बेचते बच्चे ही आखिर इन तस्करों के अहम हथियार होते हैं, जिन्हें यह बखूबी इस्तेमाल करते हैं।


बस्ती में प्रवेश करने से लेकर छुपने के ऐसे ऐसे रास्ते हैं कि डॉन दाऊद इब्राहिम देखकर दुबारा पाकिस्तान के लाहौर न जाये और यहीं ठहर जाए। पतली-पतली गालियां, गलियों में गंदगी देखकर आपको लगेगा यहां क्या होगा पर गंदगी पार करते ही नशे का सालों साल से चल और फल फूल रहा कारोबार खुद-ब-खुद चलकर आपके पास आ जायेगा। आदमी और बच्चों के साथ यहां की प्रत्येक महिला और छोटी बच्चियां भी आपको इस धंधे में लिप्त नजर आएंगी।

किसी भी अनजान आदमी को भयावह कर देने वाली इस बस्ती की सच्चाई यह है कि आप यहां एक फोटो भी नहीं ले सकते। फ़ोटो लेते ही आपको कई लोग घेर लेंगे। क्या फ़ोटो ली है? दिखाओ? काहे के लिए ली है? जैसे तमाम सवालों से आपको घेर लिया जाता है। उल्टा आपको पुलिस का भय दिखाया जाएगा। पुलिस आ भी जाएगी तो इनसे कुछ पूछने की बजाए आपको ही गांजा, स्मैक, चरस का तस्कर समझकर सवाल करेगी। इनका यह अंदाज पुलिस की शैली पर सवाल खड़े करता है।


कुछ लोग जो यहां के निवासी हैं, उनके मुताबिक थाने व चौकी में यहां से कुछ बंधी रकम जाती है, जिसकी छत्रछाया में ये जरायम का काला कारोबार फल-फूल रहा है। लगभग दसियों हजार की देहरी वाली इस बस्ती में 50 हजार की संख्या में लोग निवास करते हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो पूरी की पूरी बस्ती का एक ही काम है, और वो काम है तस्करी करना, जिस पर कानपुर प्रशाशन भी लगाम नहीं लगा पा रहा है।

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