राजद्रोह मामला : सुप्रीम कोर्ट ने AAP MP संजय सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका पर आदेश से किया इनकार

सितंबर 2020 में संजय सिंह पर लखनऊ में राजद्रोह सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले को लेकर उन्होंने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखा कर स्वतंत्र जांच की मांग की थी...

Update: 2021-02-02 06:43 GMT

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य व पार्टी के उत्तरप्रदेश मामलों के प्रभारी संजय सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से संबंधित याचिका पर कोई आदेश देने से इनकार कर दिया है। अब शीर्ष अदालत इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगी। संजय सिंह पर उत्तरप्रदेश में राजद्रोह सहित कई दूसरे मामलों में केस दर्ज किया गया था। राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में इससे संबंधित मामला दर्ज किया गया था।

यह मामला जातिगत सर्वे से जुड़ा है। उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में फोन काॅल करके जातिगत सर्वे कराया गया था, जिस पर हंगामा मच गया था। बाद में संजय सिंह ने अपनी पार्टी की ओर से सर्वे कराने की जिम्मेवारी ली थी और इस मामले को लेकर साशन के आदेश पर हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज की गयी थी। इस मामले में दर्ज एफआइआर में बाद में राजद्रोह का मामला जोड़ा गया था, जिसके बाद संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके द्वारा यूपी सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा किए जाने पर यह कार्रवाई की गयी है।

संजय सिंह पर राजद्रोह के दर्ज मामले में उन्हें हजरतगंज थाना पुलिस ने उनके दिल्ली आवास पर नोटिस भी भेजा था और पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था। ऐसा नही करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गयी थी।संजय सिंह पर आइपीसी की धारा 501ए, 120 ए, आइटी एक्ट धारा 124ए (राजद्रोह) सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। 

इस मामले को लेकर बाद में संजय सिंह ने राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिख कर स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। संजय सिंह ने अपने पत्र में कहा था कि यूपी सरकार ने 13 थानों में उनकी आवाज दबाने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।

संजय सिंह के पत्र को 12 विभिन्न राजनीतिक दलों के 37 सांसदों का समर्थन मिला था। इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, डीएमके, एनसीपी, टीएमसी, टीआरएस, टीपीपी, सीपीएम व सीपीआइ ने उनका समर्थन किया था।

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