6 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, अफसरों की मिलीभगत से किया था फर्जीवाड़ा
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की जांच में पांच करोड़ 92 लाख 62 हजार 700 रुपये का घोटाला सामने आया, जांच में खुलासा हुआ है कि बिजनौर जिले में गांव-गांव जाकर 1015 छात्रों से उनके शैक्षिक दस्तावेज एकत्र किए और सात कॉलेजों में अध्ययनरत दर्शाकर बैंकों में खाते खुलवाए गए थे...
मेरठ। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में फर्जी कॉलेज और फर्जी छात्र दर्शाकर 6 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति हड़पने के आरोप में यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध एवं अनुसंधान शाखा ने बृहस्पतिवार 10 सितंबर को बिजनौर से करोड़ो रूपये के घोटाले के आरोपी भीम सिंह को दबोच लिया है।
इस घोटाले में बिजनौर के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी पजनेश कुमार, प्रधान लिपिक रामेश्वर दयाल, तत्कालीन सुपरवाइजर योगेश कुमार और मलिक महमूद खां की भूमिका भी सामने आई है। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए शासन से अनुमति मांगी जा रही है। इसके अलावा अंकित और भीम सिंह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई करने के लिए बिजनौर एसपी को पत्र लिखा गया है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की जांच में पांच करोड़ 92 लाख 62 हजार 700 रुपये का घोटाला सामने आया। जांच में खुलासा हुआ है कि बिजनौर जिले में गांव-गांव जाकर 1015 छात्रों से उनके शैक्षिक दस्तावेज एकत्र किए और देहरादून, ऊधमसिंह नगर और काशीपुर के सात कॉलेजों में अध्ययनरत दर्शाकर बैंकों में खाते खुलवाए गए थे।
दोनों आरोपियों ने घोटाले को जिला समाज कल्याण अधिकारी और अन्य प्रधान लिपिक व कर्मचारियों की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया। देहरादून के मोहल्ला करनपुर में इंडियन इंसटीट्यूट ऑफ कंप्यूटर साइंस का बोर्ड लगाकर 37 छात्रों के प्रवेश भी दिखा दिए गए। इसके बाद शासन से सत्र 2010-11 के लिए आई छात्रवृत्ति हड़प ली गई। प्रदेश सरकार ने उसी समय दूसरे राज्यों में पढ़ रहे यूपी के छात्रों को छात्रवृत्ति देने की योजना शुरू की थी। इतना ही नहीं, उत्तराखंड में फर्जी तरीके से कूट रचित कागज तैयार कराकर बैंकों में खाते खुलवाए गए थे।
आरोपियों ने जिला समाज कल्याण अधिकारी और अन्य प्रधान लिपिक व कर्मचारियों की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया। बिजनौर पुलिस ने अंकित और भीम सिंह को पिस्टल, कूट रचित कागज और अन्य कागजों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी ने भी 15 अक्तूबर, 2014 को केस दर्ज कराया था। पहले जांच बिजनौर पुलिस ने की, बाद में आठ अप्रैल, 2015 को शासन ने इस जांच ईओडब्ल्यू मेरठ सेक्टर को सौंप दी थी।
मेरठ सेक्टर ईओडब्ल्यू के एएसपी डॉ. रामसुरेश यादव ने बताया कि टीम ने बिजनौर में कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ग्राम सनपता निवासी भीम सिंह पुत्र सीताराम को गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी बिजनौर में ग्राम ककराला बस अड्डे से की गई है।
गिफ्तार भीम सिंह इस घोटाले के मुख्य अभियुक्त ततारपुर निवासी अंकित कुमार राजपूत का सहयोगी है। अंकित को 20 फरवरी 2020 को ही जेल भेजा जा चुका है। ईओडब्ल्यू सीओ मदन सिंह मामले की जांच कर रहे हैं।