#TRPScam : यूपी पुलिस में दर्ज केस CBI को ट्रांसफर, अर्णब गोस्वामी को बचाने के लिए केंद्रीय एजेंसी की एंट्री?

केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ की टीआरपी फर्जीवाड़े मामले में एंट्री होने पर मुंबई पुलिस की जांच निष्प्रभावी हो सकती है। ऐसे में सत्ताधारी दल का समर्थन करने की वजह से अर्णब गोस्वामी को राहत मिल सकती है, जबकि महाराष्ट्र में उस दल की सरकार है जिसकी वे तीखी आलोचना करते हैं...

Update: 2020-10-21 12:36 GMT

जनज्वार। मुंबई पुलिस की जांच के आधार पर विवादित टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी की अगुवाई वाले न्यूज चैनल रिपब्लिक भारत पर लगे टीआरपी फर्जीवाड़े के आरोप में अब सीबीआइ की एंट्री हो गई है। लखनऊ के हजरतगंज थाने में ऐड एजेंसी गोल्डेन रैबिट कंपनी के क्षेत्रीय निदेशक की ओर से अज्ञात मीडिया चैनलों के खिलाफ एक एफआइआर दर्ज की गई है और उसके बाद मंगलवार को केंद्र ने उस केस को सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया।

अब संभावना यह है कि इस मामले की जांच में केंद्र सरकार दो अन्य एजेंसियों प्रवर्तन निदेशालय व आयकर विभाग को भी उतारा जा सकता है। इंडियन एक्सप्रेस ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग जिसका सीबीआइ पर प्रशासनिक नियंत्रण होता है, के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 17 अक्टूबर, शनिवार को यूपी पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआइ को सौंपने के लिए केंद्र को अनुरोध भेजा। इसके बाद मंत्रालय की ओर से इस केस को सौंपे जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई। ऐसे में यह संभावना है कि अब पूरा केस सीबीआइ को हाथ में आ जाएगा और हो सकता है कि मुंबई पुलिस की जांच निष्प्रभावी हो जाए।

सीबीआइ के एक अधिकारी ने इस संबंध में कहा, अज्ञात लोगों के खिलाफ यूपी पुलिस की एफआइआर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। इसका आधार लखनऊ के हजरतगंज थाने में विज्ञापन एजेंसी गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा के द्वारा शनिवार, 17 अक्टूबर को इस मामले में दर्ज करायी गई एफआइआर को बनाया गया है।

ऐड एजेंसी गोल्डेन रैबिट कंपनी के क्षेत्रीय डायरेक्ट कमल शर्मा।

कमल शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा है कि टीआरपी का फर्जीवाड़ा कर कुछ चैनलों की रेटिंग बढाकर दिखायी जाती है जिससे विज्ञापन को प्रभावित किया जा सके। मालूम हो कि देश मंें टीआरपी मापने का काम मुंबई स्थित ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी बार्क करता है। वह टीआरपी मापने के लिए 550 से अधिक चैनलों की निगरानी करता है और इसके लिए कुछ प्रमुख केंद्रो ंपर कुछ निश्चित घरों में डिवाइस लगाए जाते हैं।

मालूम हो कि पिछले दिन मुंबई पुलिस ने खुलासा किया था कि टीआरपी फर्जीवाड़े के खेल में तीन चैनल शामिल हैं, जिसमें एक रिपब्लिक भारत और दो मुंबई के स्थानीय चैनल हैं। इस विवाद के बाद बार्क ने 12 सप्ताह के लिए टीआरपी मापने पर रोक लगा दी है।

अर्णब की पत्रकारिता : भाजपा का खुला समर्थन, कांग्रेस का राजनैतिक दलों जैसा विरोध

अर्णब गोस्वामी ने भारतीय पत्रकारिता को पक्षकारिता में तब्दील कर दिया है। वे, उनका चैनल खुले तौर पर सत्ताधारी दल भाजपा का समर्थन करता है, उसकी नीतियों का प्रचार करता है और कांग्रेस की उसी अंदाज में आलोचना करता है, जैसे कोई विरोधी राजनैतिक दल या नेता करता है। अर्णब के इस अंदाज के कारण वे खबरनवीस से अधिक न्यूज मेकर बन गए हैं। अर्णब खुले तौर पर यह कहते हैं कि उन्हें कांग्रेस निशाना बनाती है। वहीं, सत्ताधारी भाजपा के नेता समय-समय पर अर्णब गोस्वामी के पक्ष में खड़े नजर आते हैं और उनके लिए बयान भी जारी करते हैं।

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