सफेदपोश माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत खुद 'NSA' की दहलीज पर खड़ा होकर चुका रहा एक 'व्हिसिल ब्लोअर'
ताकतवर लोगों द्वारा व्हाइट कॉलर अपराध में संलिप्त समूह की दुराग्रहपूर्ण सलाह पर भविष्य में मुझपर गुंडा एक्ट,जिला बदर और गैंगस्टर जैसी या फर्जी इनकाउंटर जैसी सुनियोजित घटना मेरे साथ कर मेरे परिवार को बर्बाद किया जा सकता है...
Banda News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जब सीने पर जोर देकर कहती है कि प्रदेश से गुंडे अपराधी भाग गये तो जनता यह सोंचकर स्वीकार कर लेती है की सरकार है। लेकिन उसी वक्त कुछ ना कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जिसमें सराकर के ही दावे पंक्चर हो जाते हैं। हालांकि, अब तो चुनाव है, ऐसे सभी दावे अब लिटमस टेस्ट जैसी कसौटी पर कसे जाने हैं। और सही मायनों में इन टेस्टों का जो परिणाम है वह जनता ही को देना है।
फिलहाल, हम यूपी के बाँदा जिले के ऐस ऐसे नौजवान की बात कर रहे हैं, जिसको तमाम सफेदपोश योगी की ठोक दो पुलिस की दम पर पहले हिस्ट्रीशीटर बना दिया और अब उसपर एनएसए लगवाने की तैयारी की जा रही है। बाँदा के रहने वाले आशीष सागर नाम के आरटीआई एक्टिविस्ट ने अपनी कई व्यथाओं को बताते हुए सूबे के आईजी, डीआईजी चित्रकूट रेंज मंडल बाँदा को पत्र लिखने के साथ पुलिस महानिदेशक, डीजीपी उत्तरप्रदेश शासन, लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रतिलिपी भेजी है।
अपने भेजे पत्र में आशीष सागर ने उत्तरप्रदेश के जनपद बाँदा पुलिस अधीक्षक अभिनंदन सिंह द्वारा सीओ सिटी राकेश कुमार सिंह, सीओ सदर श्री सत्यप्रकाश शर्मा, बसपा नेता व मौरम-बालू माफिया जयराम सिंह बछेऊरा की सांठगांठ से उसपर साजिशन हिस्ट्रीशीट बना देने की शिकायत की है। जनज्वार से बात करते हुए आशीष ने बताया कि, सितंबर 2009 के पूर्व भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन कपार्ट संस्था में युवा उद्यमी पद पर कार्यरत था। प्रार्थी ने वर्ष 2007 में प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश से समाज कार्य परास्नातक प्रथम श्रेणी में किया था।
जिसके बाद वहीं से कपार्ट में कैम्पस चयन हुआ और तीन वर्ष संविदा में जयपुर-लखनऊ सेवाकार्य करता रहा। वहीं कुछ माह मध्यप्रदेश के धौलपुर में मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी रहा लेकिन व्यवस्था से व्यथित होकर नौकरी छोड़ दी थी। प्रार्थी अक्टूबर वर्ष 2009 से बुंदेलखंड के बाँदा में पर्यावरण कार्यकर्ता व व्हिसिल ब्लोअर की भूमिका में रहकर सामाजिक कार्य करता चला आ रहा है। प्रार्थी ने इस बीच अपने जन सहयोगी के साथ मिलकर जहाँ ग्यारह अति गरीब बेटियों का विवाह परमार्थ में करवाया वहीं 27 लाख रुपये जनता सहयोग व सोशल मीडिया से एकत्र कर किसान आत्महत्या से पीड़ित आश्रित परिवारों को सहायता प्रदान की है।
इस दरम्यान प्रार्थी ने अनवरत समाजसेवी बनकर अवैध खनन करने वाले माफियाओं व आय से अधिक संपत्ति अर्जन कर भ्रष्टाचार करने वाले सफेदपोश लोगों के प्रतिरोध में कानूनी जनपैरवी की है। श्रीमान मुझ पर हृदयाघात विपत्ति व विडंबना यह है कि बाँदा के वर्तमान एसपी श्री अभिनंदन सिंह ने भारी कष्टप्रद पुलिसिया कुठाराघात किया है।
आशीष बताते हैं कि इन्होने, मेरे ऊपर पूर्व में सफेदपोश नेताओं, भूमाफिया, खनन माफिया के द्वारा विद्वेष पूर्ण सुनियोजित साज़िश से दर्ज करवाये गए मिथ्या मुकदमों को आधार बनाकर दिनांक 5 जनवरी 2022 को हिस्ट्रीशीट खोल दी है। बाँदा शहर अन्तर्गत कालू कुआँ पुलिस चौकी मंडी समिति हिस्ट्रीशीटर (HS) 2022 सूची में 95ए आशीष सागर दीक्षित पुत्र श्री पदम् नारायण दीक्षित निवासी बिजलीखेड़ा वनविभाग बाँदा अंकित किया गया है। इसकी जानकारी दिनांक 5 जनवरी को देरशाम चौकी के सिपाही उमेश गौर ने आकर दी व व्हाट्सएप पर लिस्ट दिखाई है। बाँदा एसपी अभिनंदन सिंह ने इस चक्रव्यूह की योजना में 14 नवंबर को मेरे घर मेरी गैरहाजिरी में कालू कुआँ पुलिस चौकी के दीवान व एक सिपाही को भेजकर मेरा रिकॉर्ड व जानकारी जुटाने का कार्य किया।
जबकि जनपद के एलआईयू व आईबी और पुराने अफसरों को मेरा सामाजिक आंदोलनात्मक ट्रैक रिकार्ड मालूम है। वहीं 15 नवंबर को मैं स्वयं नगर कोतवाली व चौकी जाकर अपना पूरा सामाजिक व आंदोलन जन संघर्ष में दर्ज हुए मुकदमों की जानकारी उन्हें अवगत करा आया था। बावजूद इसके 16 नवंबर 2021 को रात्रि 10 बजे मेरे घर एक दर्जन पुलिस कर्मी और नगर कोतवाल आकर रात में दरवाजा खुलवाने का दबाव बनाने लगे। जब परिजनों ने नहीं खोला तो धमकाते हुए चले गए। वहीं यह घटना सोशल मीडिया व प्रिंट / डिजीटल मीडिया में प्रकाशित हुई थी। मेरे कुछ जनसरोकार संबंधित खबरों का प्रिंट प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न है। इसके पूर्व यही मौरम माफिया जयराम सिंह साथियों के साथ मेरी गैरहाजिरी में बीते 14 जून 2021 को आकर बुजुर्ग माताजी व बड़े भाई को धमका गया था।
जिसमें बसपा नेता जयराम सिंह ने धमकी देते हुए कहा था कि मुझे घसीटकर ले जाएगा। स्थानीय अमर उजाला समाचार पत्र, डीजिटल वेब मीडिया द वायर, न्यूज़ लॉन्ड्री, न्यूज़ क्लिक, द लल्लनटॉप व टिवीटर पर यह खबर मुद्दा बनकर प्रकाशित होने के बाद आनन-फानन में बाँदा के तत्कालीन अपर एसपी श्री महेंद्र चौहान ने प्रेसवार्ता कर इस मामले की जांच सीओ सदर सत्यप्रकाश शर्मा को सौंप दी लेकिन विवेचक ने जानबूझकर खनन माफिया से मिले होने के चलते कुछ नहीं किया है। यह फ़ाइल दबाकर रख दी गई। इस बीच मैं लगातार बाँदा में अवैध खनन की रिपोर्टिंग करता रहा। इस बीच तत्कालीन अपर एसपी महेंद्र चौहान को खनन माफियाओं के नेक्सेस सिंडिकेट से सांठगांठ रखने के चलते खुफिया रिपोर्ट के आधार पर शासन ने निलंबित कर दिया था।
यह जांच आख्या इस पत्र के साथ संलग्न है। साथ ही तत्कालीन डीएम श्री आनंद कुमार सिंह का तबादला कर दिया गया। यह बड़ी कार्यवाही हमारी शिकायत व मीडिया रिपोर्टों के चलते संभव हो सकी। सनद रहे कि गत वर्ष 2021 के मार्च माह में भी माननीय मुख्यमंत्री योगी जी के बाँदा आगमन पर हमने सीएम से अवैध खनन की शिकायत की थी जिसमें मौजूदा खनिज निदेशक रौशन जैकब के नेतृत्व में जांच टीम बनी और जांच बाँदा आकर की गई थी। अवैध खनन की इस जांच में 6 बालू मौरम खदानों को ब्लैकलिस्ट किया गया था। इस कड़ी कार्यवाही में कुल 6 मौरम खदानों में से 4 बालू मौरम खदान कांग्रेस के पूर्व तिंदवारी विधायक दलजीत सिंह की थी। इन पर पूर्व बाँदा एसपी श्री आरपी सिंह ने सपा सरकार में अवैध खनन सिंडिकेट संचालन करने का पत्र शासन को लिखा था। हाल ही में आयकर ने इनके यहां व इंदौर के खनन कारोबारी के घर, दफ्तरों में छापेमारी की थी।
सरकारी सिस्टम ने सामाजिक कार्यकर्ता को इस तरह बनाया अपराधी
आशीष बताते हैं, बसपा सरकार में पूर्व सीएम मायावती के सबसे ताकतवर कैबनेट मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की आय से अधिक संपत्ति, अवैध खनन के पट्टे व सरकारी योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजों के साथ यूपी के तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा को सौंप दी थी। जांच में पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी दोषी पाए गए और लोकायुक्त ने इनकी जांच सीबीआई या ईडी से करवाने की सिफारिश सरकार से की थी। सपा सरकार ने इन्हें कानूनी संरक्षण दिया था। इससे आहत इन कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साले मुमताज अली ने मुझपर धारा 156 (3) की आड़ लेकर न्यायालय विशेष न्यायधीश के समक्ष वाद संख्या 38/13 दाखिल कर मेरे ऊपर 1 करोड़ रुपये रंगदारी मांगने का मनगढ़ंत आरोप कोर्ट में लगाया था। इसमें मंत्री के वादी साले मुमताज अली को मिली पराजय का उदाहरण तत्कालीन न्यायधीश जस्टिस संगमलाल का वह जजमेंट है।
समाजवादी सरकार में सपा के बबेरू से पूर्व विधायक विशम्भर यादव, के खासमखास राजाभैया यादव संचालक विद्याधाम समिति अतर्रा बाँदा ने मुझपर दुराग्रह रखकर नरैनी थाने फर्जी दुराचार का केस अपराध संख्या 056/2016 दर्ज करवाया। इसके बाद संरक्षक राजाभैया यादव पर इनकी संस्था कर्मी युवा सीमा विश्वकर्मा निवासी ग्राम अनाथुआ थाना अतर्रा ज़िला बाँदा द्वारा यौन शोषण-दुराचार करने का मुकदमा अपराध संख्या 037/2016 थाना नरैनी में लिखा गया जिसकी पैरवी मैंने की थी इसकी सजा मुझे इस मुकदमे के रूप में प्रदान की गई थी।
राजाभैया पर इसमें चार्जशीट दाखिल है व मुकदमा न्यायालय में लंबित है। इनसे मेरी वर्ष 2013 से रंजिश है। इस घटना के बाद बाँदा शहर में संचालित पंडित जवाहरलाल नेहरू पीजी कालेज बाँदा के तत्कालीन सेवानिवृत्त प्रचार्य डाक्टर नंदलाल शुक्ला (वर्तमान में संविदा पर मनरेगा लोकपाल बाँदा) ने डिग्री कालेज भूमि व सरकारी आवास की अवैध लीज तत्कालीन एडीएम दयाशंकर पांडेय से मौजूदा सदर रजिस्ट्रार राकेश मिश्रा के जरिये करा ली थी। इसकी चार साल लंबी लड़ाई मैंने लड़ी जिसके फलस्वरूप दिनांक 10 मार्च 2018 को धरना प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट, सीओ राघवेंद्र सिंह, सिविल लाइन चौकी प्रभारी आकाश सचान के सामने मेरे ऊपर जानलेवा हमला भूमाफिया के परिजनों द्वारा किया गया। यह सबकुछ मीडिया कैमरों में रिकॉर्ड हुआ था वह सारे साक्ष्य मेरे पास आज सुरक्षित है।
परिणामस्वरूप अवैध लीज व पट्टा प्रशासन ने निरस्त किया लेकिन कालेज ज़मीन छोड़ने के बावजूद यह दबंग पूर्व प्रचार्य आज भी सरकारी आवास में सेवानिवृत्त के बाद अवैध कब्जा किये है और प्रशासन चुप है। इस जन आंदोलन के चलते मेरे ऊपर भूमाफिया प्रचार्य ने पुलिस के सहयोग से मुकदमा अपराध संख्या 187/2018 लिखाया वहीं मेरी तरफ से मुकदमा अपराध संख्या 188/2018 भूमाफिया के पुत्रों व परिजनों पर हमला करने के लिए लिखाया गया। इन दोनों क्रॉस मुकदमों में जमानती धाराओं में आरोपपत्र विवेचक ने कोर्ट में दाखिल कर रखें है लेकिन दोनों ही पक्षकार अब न्यायालय में मुकदमा पैरवी नहीं कर रहे है। इसके बाद सत्तासीन बाँदा बीजेपी के मौजूदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी के खनन सिंडिकेट कृत्यों को जब मैंने लखनऊ से प्रकाशित दृष्टांत पत्रिका में लिखा तो इनके कारखास व खुरहण्ड गांव निवासी प्रदीप त्रिपाठी पुत्र स्वर्गीय चंद्रशेखर त्रिपाठी ने मेरे ऊपर मुकदमा अपराध संख्या 286/2018 थाना नगर कोतवाली बाँदा में लिखाया गया था। यह वाद पुलिस विवेचना में फ़ाइनल रिपोर्ट के बाद आज न्यायालय से खत्म हो चुका है। वहीं इन प्रदीप त्रिपाठी पर बाँदा के थाना फतेहगंज में मुकदमा अपराध संख्या 0060/2018 अपरहण व गैंगस्टर का दर्ज है।
एक मुकदमा थाना मौदहा ज़िला हमीरपुर में मूर्ति चोरी का लिखा है लेकिन आज यह सदर विधायक के संरक्षण में सुरक्षित है। वहीं बाँदा के नेता यहीं नहीं रुके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का ईनाम मुझे बराबर दिया जाता रहा है। तत्कालीन बीजेपी सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा द्वारा अपने जनप्रतिनिधि श्री चंद्रप्रकाश शुक्ला से 11 बीजेपी कार्यकर्ताओं पर मुकदमा अपराध संख्या 637/2018 लिखाया गया। इसमें चंद्रप्रकाश शुक्ला बनाम अनूप सिंह चौहान के साथ 11 अन्य नामजद हुए थे। धरना की जमानती धाराओं में मुझे तब फंसाया गया जबकि मैं उस दिन शहर बाँदा में उपस्थित नहीं था। देशभर में बीजेपी सरकार द्वारा हरिजन एक्ट वापस लाने के विरोध पर यह धरना बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सांसद आवास में किया था। आज इसमें फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल है। साथ ही वादी केस की पैरवी नहीं करता है। एक अन्य मुकदमा आईटी एक्ट का पत्रकार शिवकुमार बड़कू व मेरे ऊपर प्रभावशाली बीजेपी महिला नेता श्रीमती प्रभा गुप्ता द्वारा पहले कोरोना काल में लॉक डाउन के वक्त राशन वितरण में सोशल डिस्टेंस की अनदेखी पर खबर करने के चलते नगर कोतवाली में 4 अप्रैल 2020 को लिखाया गया इसमें भी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल है और वादिया अब पैरवी नहीं करती है।
पूरी कहानी सुनाकर आशीष कहते हैं, इस तरह मुझपर सामाजिक सरोकार व जनसंघर्ष पर नाहक मुकदमों की मार की गई और प्रताड़ित किया गया है। इसी को हथियार बनाकर वर्तमान एसपी अभिनंदन सिंह ने मेरी हिस्ट्रीशीट 95ए कालू कुआँ पुलिस चौकी शहर बाँदा में खोली है। वह सवाल करते हैं कि किसी को हिस्ट्रीशीटर बनाने के संबंध में डीजीपी/शासन के दिशानिर्देश को अनुपालित नहीं करने वाले बाँदा पुलिस अफसरों के दुष्कृत्य व खनन माफियाओं के संघठित नेक्सेस का संज्ञान लेने की महती कृपा कोई क्यों नहीं करता। ताकि पर्यावरण कार्यकर्ता व व्हिसिल ब्लोअर की सार्वजनिक सामाजिक हत्या न हो सके।
महत्वपूर्ण यह है कि, भ्रस्ट सिस्टम की बदौलत इन थोपे गए किसी भी मुकदमे में मुझे न्यायालय से अभी तक कोई सजा नहीं हुई और न ही कभी जेल गया हूँ। या जमानत आज की तारीख तक ली है। शहर के दबंग सरकारी भूमाफिया/संविदा लोकपाल द्वारा सरकार की ज़मीन हड़पने से बचाने में हुए आंदोलन पर महज एक क्रॉस केस में दोनों पक्षकार की तरफ से जमानती आरोपपत्र पर बाँदा एसपी श्री अभिनंदन सिंह ने सीओ सिटी राकेश कुमार सिंह,सीओ सदर श्री सत्यप्रकाश शर्मा ने षड़यंत्र रचकर मेरी सुनियोजित चारित्रिक हत्या करने को यह हिस्ट्रीशीट खोली है।
पुलिसिया ताकतवर लोगों द्वारा व्हाइट कॉलर अपराध में संलिप्त समूह की दुराग्रहपूर्ण सलाह पर भविष्य में मुझपर गुंडा एक्ट,जिला बदर और गैंगस्टर जैसी या फर्जी इनकाउंटर जैसी सुनियोजित घटना मेरे साथ कर मेरे परिवार को बर्बाद किया जा सकता है।
अंत में वह गुहार लगाते हुए कहते हैं, न्याय की विनम्र आशा में आपका बेटा आपसे भारतीय जनसरोकारी नागरिक होने के बदले न्यायसंगत कार्यवाही की अपील कर रहा है। निष्पक्ष जांच कमेटी गठित कर इस हिस्ट्रीशीट खोलने के मकसद का खुलासा किया जाए। मेरा परिवार व बुजुर्ग बीमार मातापिता गहरे सदमे में है। परिवार में किसी भी अनहोनी के ज़िम्मेदार यही उक्त लोग व अफशरशाही होगी। न्याय नहीं होने पर पीड़ित माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जायेगा। व देश के हर छोटे-बड़े लोकतांत्रिक मंच तक अपनी गुहार पहुंचाएगा।