Uniform Civil Code: चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा को याद आया समान नागरिक संहिता, कह दी ये बात
Uniform Civil Code : राज्य के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ कड़े मुकाबले में फंसी सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने तरकश से अब समान नागरिक संहिता का तीर निकाला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद इसे अपना पहला काम बताया है।
Uniform Civil Code : राज्य के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ कड़े मुकाबले में फंसी सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने तरकश से अब समान नागरिक संहिता का तीर निकाला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद इसे अपना पहला काम बताया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में भाजपा की नई सरकार आने पर शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सरकार यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) के लिए मसौदा तैयार करने को समिति बनाएगी। इससे राज्य में जल्द से जल्द सिविल यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत की रक्षा के लिए भाजपा सरकार अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद एक कमेटी गठित कर 'यूनिफार्म सिविल कोड' का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इससे सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनेगा, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत की रक्षा के लिए भाजपा सरकार अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद एक कमेटी गठित कर 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' का ड्राफ्ट तैयार करेगी। जिससे सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनेगा, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों। -श्री पुष्कर सिंह धामी, सीएम pic.twitter.com/fq9P7vEHiG
— BJP Uttarakhand (@BJP4UK) February 12, 2022
न्यूज एजेंसी एएनआइ के माध्यम से वीडियो संदेश जारी करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इसके लिए उत्तराखंड की सरकार न्यायविदों, सेवानिवृत्त जनों, समाज के प्रमुखजनों और अन्य स्टेट होल्डरों की एक कमेटी गठित करेगी। जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफार्म सिविल कोड का दायरा विवाह, तलाक, जमीन जायजाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा।
के सपनों को पूरा करने में एक अहम कदम होगा। साथ ही संविधान की भावनाओं को मूर्त रूप देगा। ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा। जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की परिसंकल्पना प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय समय पर इसे लागू करने पर जोर दिया।