Dehradun News: सरकार की बदहाली का हाल, अब प्रादेशिक सेना की भर्ती पर लगी रोक, मंत्री लगा रहे हैं पैसे माफ करने की गुहार

Dehradun News: उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था वैसे तो पहले से ही घाटे में चल रही है, लेकिन पैसे के अभाव में अब प्रदेश की कई योजनाएं बंद करने की भी नौबत आ रही है। ऐसे ही एक मामले में राज्य सरकार द्वारा भुगतान न किए जाने की सूरत में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना की भर्ती रैली पर रोक लगा दी है।

Update: 2022-10-16 13:36 GMT

प्रतीकात्मक फोटो

Dehradun News: उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था वैसे तो पहले से ही घाटे में चल रही है, लेकिन पैसे के अभाव में अब प्रदेश की कई योजनाएं बंद करने की भी नौबत आ रही है। ऐसे ही एक मामले में राज्य सरकार द्वारा भुगतान न किए जाने की सूरत में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना की भर्ती रैली पर रोक लगा दी है। रक्षा मंत्रालय से यह रोक प्रदेश सरकार से 132 करोड़ रुपए न मिलने की वजह से लगाई गई है। गढ़वाल और कुमाऊं में इस प्रोजेक्ट के तहत एक-एक बटालियन और चार कंपनियां कार्यरत हैं। पूर्व सैनिकों की ग्रीन सोल्जर्स के नाम से पहचाने जाने वाली ईको टास्क फोर्स की प्रतिपूर्ति का उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2018 से रक्षा मंत्रालय को भुगतान नहीं किया है, जिससे इस पर रोक लगी है।

मालूम हो कि प्रदेश के बंजर पहाड़ों को हरा-भरा करने के लिए खंडूड़ी सरकार में वर्ष 2012 में गढ़वाल में 127 इन्फेंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना ) ईको टास्क फोर्स का गठन किया गया था, जबकि कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ में 130 इन्फेंट्री बटालियन ईटीएफ का गठन किया गया था। दोनों ही बटालियन और इनकी दो-दो कंपनियों के चार सौ पूर्व सैनिक और आठ सैन्य अधिकारी तभी से बंजर पहाड़ों को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाए थे। जिस वजह से ग्रीन सोलजर्स ने कई पहाड़ियों और जंगलों को पुनर्जीवित किया था। चमोली जिले के माणा, देहरादून के मसूरी, पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी आदि क्षेत्रों की बंजर पहाड़ियों को पुनर्जीवित करने में ईटीएफ का अहम योगदान रहा है। ईटीएफ के इसी अहम योगदान की वजह से उसे वर्ष 2012 में अर्थ केयर अवार्ड, वर्ष 2008 में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ग्रीन गवर्नेस अवार्ड सहित कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है। ईटीएफ में कार्यरत पूर्व सैनिकों की सामरिक दृष्टि से भी अहम भूमिका है जो भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में वे फलदार पौधे लगाते हैं। एक बटालियन हर साल 800 हेक्टेयर में आठ लाख पेड़ लगाती है।

इस पूरे प्रोजेक्ट का खर्चा राज्य सरकार उठाती आई है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार वर्ष 2018 से केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को पूर्व सैनिकों को दिए गए वेतन एवं प्रोजेक्ट पर आने वाले खर्च का भुगतान नहीं कर रही हैं। पिछले पांच साल से यह रकम बढ़कर अब 132 करोड़ हो चुकी है। इस मामले में रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 132 करोड़ की बकाया धनराशि का भुगतान न होने पर दोनों बटालियन व इससे जुड़ी कंपनियों को बंद कर दिया है। सेना के मुताबिक केंद्र को बकाया भुगतान नहीं होने से रक्षा मंत्रालय की ओर से भर्ती रैली पर रोक लगा दी गई है। भर्ती रैली न होने से ईटीएफ में पूर्व सैनिकों की संख्या लगातार घटती जायेगी। मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि अगले साल तक भुगतान नहीं होने पर इन्फैंट्री बटालियन ईटीएफ को ही रद्द कर दिया जाएगा।

इस बाबत सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इस गंभीर समस्या से अपना हाथ झाड़ते हुए कहा कि ईटीएफ के मामले में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत करा दिया गया है। उनसे अनुरोध किया गया है कि 132 करोड़ की उत्तराखंड की इस देनदारी को माफ किया जाए। जबकि केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी बिल्कुल चुप्पी साधने वाले अंदाज में इतना ही कहा कि मेरा इस मामले में कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा। यह नीति निर्धारण का मामला है। बेहतर होगा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात की जाए। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी सरकार की लापरवाही से खंडूड़ी सरकार की एक बेहतरीन योजना दम तोड़ने जा रही है। जिससे सैकड़ों पूर्व सैनिक फिर से तो सड़क पर आ ही जाएंगे, प्रदेश के ईको सिस्टम को भी नुकसान झेलना पड़ेगा।

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