Dehradun News: इंद्रेश ने उठाए सवाल तो उत्तराखंड के डीजीपी आए बैकफुट पर, सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर देनी पड़ी सफाई

Dehradun News। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में भारतीय जनता पार्टी के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत की गिरफ्तारी के बाद उसकी रसूखदार लोगों के साथ तस्वीरें वायरल होने से नामचीन लोगों को लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

Update: 2022-08-17 17:36 GMT

Dehradun News। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में भारतीय जनता पार्टी के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत की गिरफ्तारी के बाद उसकी रसूखदार लोगों के साथ तस्वीरें वायरल होने से नामचीन लोगों को लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। एसटीएफ के हाथों गिरफ्तार होकर जेलयात्रा पर रवाना हुए हाकम सिंह की यह तस्वीरें वायरल होने के बाद उत्तराखंड के डीजीपी तक को अपनी सफाई पेश होने के लिए मजबूर होना पड़ गया है। भाकपा माले के फायर ब्रांड नेता इंद्रेश मैखुरी के सवाल उठाने के बाद डीजीपी अशोक कुमार की यह सफाई आई है।

बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएससी) की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का मसला इस समय सुर्खियों में बना हुआ है। मामले में अभी तक एसटीएफ द्वारा 18 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। इन गिरफ्तार लोगों में पुलिसकर्मी, न्यायिक कर्मचारी, अध्यापक तक शामिल हैं। लेकिन जिस गिरफ्तारी के बाद सियासी तूफान मचा हुआ है वह भारतीय जनता पार्टी के एक जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह की है। हाकम सिंह की गिरफ्तारी के बाद उसकी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ कई तस्वीरें वायरल होने के बाद इस मामले में रावत पर हाकम को शह देने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। इसके साथ ही हाकम की तस्वीरें उत्तराखंड पुलिस विभाग के मुखिया अशोक कुमार के साथ भी वायरल होने पर भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने तो एक चिट्ठी जारी करके डीजीपी को ही सवालों के दायरे में ला दिया है।

इंद्रेश ने अपनी इस चिट्ठी में लिखा था कि गिरफ्तार हुए हाकम सिंह पर इससे पहले 2020 में फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा में हुए घपले में मंगलौर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हो चुका था। लेकिन इसके बावजूद हाकम सिंह और उस जैसे अब तक महफूज रहे। हाकम सिंह के गिरफ्तार होने के बाद उसकी माननीय मुख्यमंत्री, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री व माननीय मंत्रीगणों के साथ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा हैरत की बात यह है कि आपकी सपरिवार तस्वीर भी हाकम सिंह के साथ वायरल हो रही है। यह तस्वीर हाकम सिंह के रिज़ॉर्ट की बताई जा रही है। हाकम सिंह नेताओं को टोपी पहना रहा था। लेकिन हैरत यह है कि वह राज्य की पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी को भी टोपी पहना रहा था!

हाकम सिंह पकड़ा भले ही अब गया हो, लेकिन जैसी जानकारी अब सामने आ रही है, उससे तो ऐसा लगता है कि परीक्षाओं में धांधली के जरिये धन कमाने की राह पर तो वह काफी पहले निकल पड़ा था। आम जनता को उसके इस काले रास्ते का पता न हो और उसके सामने सिर्फ दौलत के चमचमाते महल ही सामने आएँ, यह मुमकिन है। लेकिन आपसे मेरा सीधा सवाल है कि जब हाकम सिंह के रिज़ॉर्ट में आप रुके तो क्या आप जानते थे कि वह किस प्रवृत्ति का व्यक्ति है, उसने यह धन-संपदा कैसे अर्जित की है ? अगर आप जानते थे तो मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है, तब कहने को बचता ही क्या है ? लेकिन अगर आप नहीं जानते थे तो यह प्रदेश में पुलिस और अभिसूचना के पूरे तंत्र पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

आखिर इतने बड़े तंत्र के बावजूद कैसे पुलिस जैसे महकमें के सबसे बड़े अफसर को इस बात से गाफिल रखा जा सकता है कि जहां वे ठहरने जा रहे हैं, वह घोषित अपराधी तो नहीं है, परंतु उसकी पृष्ठभूमि संदिग्ध जरूर है ? आप थोड़ा सामान्य व्यक्ति के नजरिए से इस बात पर विचार करके देखिये। आपकी एसटीएफ़ एक व्यक्ति को भर्ती घोटाले के लिए गिरफ्तार करती है और उसे इस पूरे कांड का मास्टर माइंड बताती है। उसकी गिरफ्तारी के कुछ ही समय में इस मास्टर माइंड के साथ आपकी तस्वीरें सोशल मीडिया में तैरने लगती हैं। क्या यह embarrassing situation नहीं है ? क्या यह पूरी जांच की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर संदेह नहीं पैदा करता है ? न्याय के बारे में कहा जाता है कि न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, वह होता हुआ भी दिखना चाहिए। वही बात किसी भी जांच पर लागू होती है कि वह न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए बल्कि स्वतंत्र और निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए। बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि तस्वीर वाले एपिसोड ने इसको धक्का पहुंचाया है। न्याय-नैतिकता का तकाज़ा तो पदमुक्ति है पर चूंकि आप उत्तराखंड पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी हैं तो यह आप को ही तय करना है कि हाकम के काले साम्राज्य की तस्वीरें वायरल होने के बाद बेरोजगारों के भविष्य से जुड़ी जांच पर, यह काली छाया न पड़े, इसके लिए आप क्या उपाय करेंगे ?

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माले नेता इंद्रेश के सवाल उठाने के बाद उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार की ओर से सोशल मीडिया पर फोटोजेनिक पोस्ट के माध्यम से अपना जवाब देते हुए लिखा है कि "अपराधी हमारे लिए केवल अपराधी है। उसकी भाषा, जाति, धर्म या क्षेत्र से अपराधी का अपराध कम नहीं हो जाता, ना ही किसी के साथ फोटो खिंचवाने से कोई अपराधी पुलिस से बच सकता है।"

इस संदेश के साथ ही उत्तराखंड पुलिस के लोगो और अपनी तस्वीर के साथ अशोक कुमार ने जो फोटोजेनिक पोस्ट की है उसमें लिखा है कि "कानून हमेशा से सर्वोपरि रहा है और हमेशा रहेगा। अपराधी हमारे लिए केवल अपराधी है। उसकी भाषा, जाति, धर्म या क्षेत्र से अपराधी का अपराध कम नहीं हो जाता, ना ही किसी के साथ फोटो खिंचवाने से कोई अपराधी पुलिस से बच सकता है। कानून हमेशा से सर्वोपरि रहा है और हमेशा रहेगा।

साथियों, माननीय मुख्यमंत्री जी की के निर्देश पर यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामलें में मुकदमा पंजीकृत किया गया और मेरे द्वारा मुकदमे की जांच एसटीएफ को सौंपी गयी थी। एसटीएफ ने अल्प समय में ही इस प्रकरण में 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जो 18 लोग गिरफ्तार किए हैं ना वो कोई हाईप्रोफाइल है, ना कोई नेता, ना किसी जाति, क्षेत्र या राज्य के हैं, उत्तराखण्ड पुलिस की नजर में वे सभी सबसे पहले अपराधी हैं और अपराधियों के लिए उत्तराखण्ड में केवल एक ही स्थान है, वो है जेल। किसी राजनेता या अधिकारी के साथ फोटो खिंचाने से कोई अपराधी कानून की नजर से बच नहीं सकता है न वो फोटो कभी उसे बचा सकता है। न ही वो उसके निर्दोष होने में किसी रूप से सहायक होगा। कानून हमेशा से सर्वोपरि रहा है और हमेशा रहेगा। अपराधियों को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाएगा।"

इस मामले में इंद्रेश ने बताया यह तस्वीरें उन्होंने बुधवार की सुबह प्रदेश के डीजीपी को मेल की थीं। जिसके बाद करीब ग्यारह बजे उनके ट्विटर हैंडल से यह इस सम्बंध में पोस्ट की गई है।

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