Dehradun News: उत्तराखंड सरकार को महंगा पड़ा महिला की पीठ से घास का गट्ठर उतारना , 24 जुलाई को हैलंग में जुटेंगे राज्य भर के आंदोलनकारी

Dehradun News, Dehradun Samachar। सुदूर पहाड़ की एक सीधी-साधी घसियारी की पीठ पर लदा घास का गट्ठर उतारना राज्य सरकार के गले की फांस भी बन सकता है, यह पंद्रह जुलाई को चमोली जिले के हैलंग इलाके में महिला से जोर-जबरदस्ती कर रहे पुलिसकर्मियों ने शायद ही सोचा हो।

Update: 2022-07-20 17:11 GMT

Dehradun News: उत्तराखंड सरकार को महंगा पड़ा महिला की पीठ से घास का गट्ठर उतारना , 24 जुलाई को हैलंग में जुटेंगे राज्य भर की आंदोलनकारी

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Dehradun News, Dehradun Samachar। सुदूर पहाड़ की एक सीधी-साधी घसियारी की पीठ पर लदा घास का गट्ठर उतारना राज्य सरकार के गले की फांस भी बन सकता है, यह पंद्रह जुलाई को चमोली जिले के हैलंग इलाके में महिला से जोर-जबरदस्ती कर रहे पुलिसकर्मियों ने शायद ही सोचा हो। लेकिन प्रकृति के त्योहार हरेले से एक दिन पूर्व मंदोदरी देवी नाम की इस महिला के साथ हुई पुलिसिया बदसलूकी ने पूरे प्रदेश के लोगों को इतना उद्वलित कर दिया कि यह मामला निकट भविष्य में सरकार के लिए बड़ी परेशानी के रूप में देखा जाने लगा है।

इस प्रकरण की पृष्ठभूमि की जानकारी के लिए बताते चलें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ शहर के पास टीएचडीसी की पीपलकोटी विष्णुगाड़ नाम की जल विद्युत परियोजना चल रही है। इसी परियोजना के लिए हैलंग नाम की एक जगह पर सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। परियोजना को संचालित करने वाली कम्पनी के पास इस सुरंग से निकले मलवे को डंप करने के लिए जो स्थान उपलब्ध हैं, वहां मलवे का निपटारा करना खासा महंगा है। इसलिए कम्पनी सुरंग के इस मलवे को अपनी सुविधानुसार सीधे-सीधे अलकनंदा नदी में डंप करने की सोच रही है, लेकिन मलवा खुलेआम नदी के हवाले करने से होने वाले विवाद की वजह से कम्पनी ने बैकडोर का सहारा लेते हुए नदी के किनारे एक स्थान पर इस मलवे को डंप करना शुरू कर दिया जिससे भविष्य में यह मलवा बाढ़ आने पर खुद ही नदी में समा जाए। इस जगह पर गांव वाले अपनी चारागाह होने का दावा करते हैं।

उनका कहना है कि यह उनके पशुओं के लिए बची हुई आखिरी चारागाह है। यदि इस जगह को भी मलवे से बरबाद कर दिया गया तो वह अपने पशुओं के लिए चारा पत्ती लेने कहां जायेंगे ? इस मामले में जिला प्रशासन ने कम्पनी की सुविधा के लिए इस भूमि पर गांव के लिए खेल मैदान विकसित किए जाने की आड़ में यहां पर सुरंग का मलवा डाले जाने की अनुमति पहले ही दे दी है। लेकिन ग्रामीण अब भी इस जगह मलवा डाले जाने का विरोध कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि अधिकांश ग्रामीण इस योजना के समर्थन में हैं और उन्होंने अपनी अनापत्ति प्रशासन को दे दी है। महज "कुछ ही लोग" इसका विरोध कर रहे हैं। प्रशासन ने इन महज कुछ ही लोगों को सबक सिखाने और डराने-धमकाने के लिए इस जगह पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के सशस्त्र जवानों के साथ जिले भर के सरकारी अमले को यहां तैनात कर दिया।

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15 जुलाई को इसी गांव की तीन महिलाएं और एक पुरुष जिसमें मंदोदरी देवी, लीला देवी, संगीता भंडारी और विपिन भंडारी शामिल थे, को इस जगह से चारा पत्ती लेकर हाइवे पर आते ही सीआईएसएफ और पुलिस के जवानों ने रोक लिया। इन जवानों ने ग्रामीणों से जबरन उनके चारा-पत्ती के गठ्ठर छीन लिए। इस दौरान मंदोदरी की इन जवानों से तीखी झड़प भी हुई। जबकि एक अन्य महिला इस बेबसी पर अपनी आंखों के कोर से निकले आंसू साफ करती नजर आई। स्तब्ध कर देने वाला यह दृश्य पब्लिश खबर के साथ वीडियो में है। महिलाएं अपना घास का गट्ठर न छीने जाने की गुहार लगाती रहीं लेकिन घास लाने वाली महिलाओं के सम्मान में चुनाव से पूर्व घसियारी योजना लाने वाली पुष्कर सिंह धामी की सरकार के इन जवानों के सामने यह घसियारी महिलाएं बेबस ही बनकर रह गई।

खाकी वर्दीधारियों ने न केवल इनके घास के गट्ठर छीने बल्कि इन्हें खूंखार मुजरिमों की तरह तहसीलदार की गाड़ी में भरकर सीधे जोशीमठ शहर के पुलिस थाने पहुंचा दिया गया। इन महिलाओं को छः घंटे तक पुलिस वाहन कस्टडी और थाने में बिठाने के बाद इनका पुलिस एक्ट के तहत 250-250 रुपये का चालान कर छोड़ा गया। इस मामले में जोशीमठ के थानाध्यक्ष विजय भारती का जो बयान आया है उसके अनुसार हेलंग में कुछ परिवारों की ओर से सरकारी भूमि पर कब्जा किया गया है। यहां खेल मैदान और अन्य विकास योजनाओं का निर्माण प्रस्तावित है। निर्माण कार्य के दौरान ये महिलाएं चारापत्ती लेने गई थीं। शांति व्यवस्था बनाने के लिए उन्हें वाहन से थाने में लाया गया। उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया गया।

लेकिन इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे उत्तराखंड की आंदोलनकारी ताकतें में उबाल आ गया है। पुलिसकर्मियों द्वारा महिलाओं से घास के गट्ठर छीने जाने का मामला हैलंग से निकलकर राज्य की राजधानी देहरादून तक में तूल पकड़ने लगा है। उत्तराखंड महिला मंच सहित तमाम संगठन इसके खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। देहरादून में उत्तराखंड महिला मंच संगठन ने इस घटना के विरोध में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। मंच का कहना है कि 15 जुलाई को जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से न सिर्फ उनके घास के गट्ठर छीनते पुलिस व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान दिख रहे हैं बल्कि वीडियो में ही दिखता है कि एक महिला रो रही है, दूसरी के साथ छीना झपटी हो रही है।

उन्होंने कहा कि यह दृश्य इस राज्य में, जो कि महिलाओं के आंदोलन व उनकी शहादत व कुर्बानियों के बदौलत बना, देखना बहुत शर्मनाक है दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी कोई सफाई नहीं हो सकती। महिला मंच की प्रदेश अध्यक्ष कमला पंत ने कहा कि उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों हजार नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह की भूमि, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि, कम्पनियों को पहले ही दे दी गयी है। इसके बाद भी कम्पनियों की नीयत लोगों की सामूहिक हक-हकूक की भूमि को भी हड़प लेने की है। इससे आम ग्रामीणों के सम्मुख घास चारा लकड़ी का संकट पैदा हो गया है। यह घटना इसी का परिणाम है। दूसरी तरफ बागेश्वर में भी सवाल संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जोशीमठ के हेलंग में घास लेकर आ रहीं महिलाओं को रोकने की जांच कर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।

सवाल संगठन के अध्यक्ष रमेश पांडेय कृषक, किसान क्लब देवनाई के अध्यक्ष सुंदर बरोलिया, भुवन पाठक, कांग्रेस नेता रंजीत दास, लक्ष्मण आर्या, वन पंचायत सरंपच अर्जुन राणा, देवानंद आदि ने एसडीएम को ज्ञापन देकर घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इल्जाम लगाया है कि प्रदेश के वाशिंदों को उनके हक हकूक से जबरन वंचित रखने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी से घटना की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। कत्यूर घाटी गरुड़ के भी विभिन्न संगठनों ने भी संदन मिश्रा के नेतृत्व में एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में उन्होंने महिलाओं से ज्यादती करने वालों को कड़ी सजा दिलाने और बांध निर्माण कंपनी की जांच कराने की मांग की है।

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देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट के अनुसार विष्णुगाड़ पीपलकोटी परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कम्पनी द्वारा खेल मैदान बनाने के नाम पर जहां डम्पिंग ज़ोन बनाया जा रहा है, वह इस गांव के लोगों चारागाह के तौर पर अंतिम विकल्प है। यहां इन लोगों ने जमीन पर वृक्षारोपण कर इस भूमि को हरा-भरा बना रखा है। लेकिन डम्पिंग ज़ोन के नाम पर कम्पनी द्वारा यहां के हरे पेड़ काटकर चारागाह के इस अंतिम विकल्प को खत्म किया जा रहा है। त्रिलोचन ने उत्तराखण्ड के राजकीय पर्व हरेला के अवसर पर यहां की हरियाली नष्ट करने और हरियाली के रक्षकों पोषकों के साथ भी बदसलूकी कर उन्हें गिरफ्तार करने को राज्य की विडंबना बताते हुए इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

इसके अलावा राज्य के तमाम आंदोलनकारी संगठनों ने हैलंग घटना के विरोध में हैलंग कूच का भी आह्वान किया है। समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने बताया कि 24 जुलाई को प्रस्तावित इस कूच के दौरान इस घटना के विरोध में व्यापक आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

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