Dehradun News: महिलाओं से घास छीनने का विवाद, कमिश्नर से जांच के आदेश के बाद भी नहीं थम रहा जनाक्रोश, 24 को बनेगी बड़ी रणनीति
Dehradun News, Dehradun Samachar। चमोली जिले के हेलंग गांव से घसियारी महिलाओं के साथ हुई पुलिसिया बदसलूकी के मामले का उठा बवंडर मुख्यमंत्री द्वारा गढ़वाल कमिश्नर से जांच के आदेश के बाद भी थमने को तैयार नहीं है।
Dehradun News, Dehradun Samachar। चमोली जिले के हेलंग गांव से घसियारी महिलाओं के साथ हुई पुलिसिया बदसलूकी के मामले का उठा बवंडर मुख्यमंत्री द्वारा गढ़वाल कमिश्नर से जांच के आदेश के बाद भी थमने को तैयार नहीं है। राज्य की तमाम आंदोलनकारी ताकतों ने इस घटना को पहाड़ी अस्मिता पर हमला करार देते हुए इसके खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया है। दर्जनों संगठनों ने इस मामले में 24 जुलाई को हेलंग कूच के साथ हामी भरते हुए इस घटना के विरोध में हेलंग में ही रणनीति बनाने का ऐलान किया है।
जोशीमठ जिले में विष्णुगाड़-पीपलकोटि बिजली परियोजना के लिए बनने वाली सुरंग का मलवा हेलंग गांव के गोचर में डालने के विरोध में गोचर से घास ला रही घसियारी महिलाओं के पुलिस द्वारा गट्ठर छीने जाने और थाने ले जाकर उनका पुलिस एक्ट में चालान किए जाने की घटना पर उबले राज्य के तमाम सामाजिक, जनवादी, राजनैतिक संगठनों ने इस घटना को पहाड़ खाली करने के अलार्म के तौर पर लेते हुए व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी है। महिला एकता मंच, समाजवादी लोकमंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, चेतना आंदोलन, भाकपा माले, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, महिला एकता मंच, वन गांव संघर्ष समिति, देवभूमि विकास मंच, आवाज सहित कई संगठनों ने इस घटना को उत्तराखंडी अस्मिता पर हमला बताते हुए कहा रोटी के टुकड़ों पर भी टैक्स लगाने वाली सरकार अब महिलाओं के घास तक के गट्ठर छीनने पर आमादा हो रही है। यदि आज इस घटना का प्रतिकार नहीं किया गया तो आने वाले समय में एक घास का तिनका तक उठाने के लिए सरकार की मर्जी का मोहताज होना पड़ेगा। उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय समुदायों के जिस पहले अधिकार का सपना देखते हुए राज्य का निर्माण किया गया था। हेलंग की यह घटना उस सपने के ध्वस्तीकरण का पहला कदम है। जिसे राज्य का कोई भी व्यक्ति सफल नहीं होने देगा। हेलंग की इस घटना के विरोध में व्यापक आंदोलन के अगले चरण की घोषणा 24 जुलाई को हेलंग में ही की जाएगी।
हेलंग कूच की तैयारियों के बारे में समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, भुवन पाठक आदि ने बताया कि कुमाउं से खासी तादात में लोग हेलंग पहुंचेंगे। 23 जुलाई शनिवार की सुबह ही कुमाउं के अधिकांश शहरों से लोग अपने-अपने साधनों से रवाना होंगे। जिससे 24 जुलाई की सुबह ही हेलंग पहुंचा जा सके।
उपपा 24 को रामनगर में करेगी विरोध कार्यक्रम का आयोजन
दूसरी ओर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने हेलंग कांड के विरुद्ध 24 जुलाई को रामनगर में ही धरना-प्रदर्शन की घोषणा की है। हेलंग (चमोली) में पुलिस प्रशासन द्वारा घास ले जा रही महिलाओं से घास छीन कर उसे गिरफ्तार करने की घटना को शर्मनाक और उत्तराखंडी अस्मिता व स्वाभिमान पर हमला बताते हुए दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर 24 जुलाई रविवार को धरना प्रदर्शन करने का यह निर्णय लिया है। राज्य आंदोलनकारी व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी के संचालन में हुई बैठक में कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने हेलंग की घटना की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि इस घटना से राज्य के तमाम सामाजिक, राजनीतिक जन संगठनों में भारी रोष है। राज्य की धामी सरकार द्वारा इस संबंध में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। जिसको लेकर 24 जुलाई को लखनपुर क्रांति चौक पर विरोध कार्यक्रम किया जाएगा। इस बैठक में इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, उपपा के लालमणि, देवभूमि विकास मंच के मनमोहन अग्रवाल, वन ग्राम संघर्ष समिति के चिंता राम, राज्य आंदोलनकारी योगेश सती, चंद्रशेखर जोशी सहित कई लोग मौजूद रहे।
भाकपा माले ने बाल संरक्षण आयोग पर दी दस्तक
दूसरी ओर हेलंग मामले में घसियारी महिलाओं के साथ एक अबोध बच्चे को भी पुलिस कस्टडी में लिए जाने की घटना को शर्मनाक बताते हुए बाल संरक्षण आयोग से हस्तक्षेप की अपील की है। भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष को पुलिस कस्टडी में अबोध बालक की तस्वीर के साथ ज्ञापन भेजकर कहा है कि 15 जुलाई 2022 को चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के हेलंग में घास काट कर लौट रही महिलाओं से घास छीनने और उन्हें गिरफ्तार करने की घटना पूरे प्रदेश में चर्चा में है लेकिन इस प्रकरण में पुलिस की इस अवैध हिरासत में रहे अबोध बच्चे के मामले पर सबसे कम ध्यान दिया जा रहा है। हेलंग की इस घटना में न केवल महिलाओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया बल्कि एक डेढ़-दो साल की बच्ची को भी पुलिस कस्टडी में लिया गया। इस डेढ़-दो साल के बच्चे को भी एक घंटे से अधिक पुलिस के वाहन में बिना पानी-दूध आदि के बिठाए रखा गया। मैखुरी ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह समझ से परे है कि किसी अबोध बच्चे को इस तरह एक घंटे तक पुलिस की गाड़ी में क्यूं और कैसे बैठाये रखा जा सकता है ? वह अबोध बच्चा पुलिस की नज़र में किस अपराध का दोषी था ? अपने इस ज्ञापन में मैखुरी ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए तत्काल उक्त प्रकरण की जांच करवा कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है।