रामदेव को मिला था इम्युनिटी का लाइसेंस, बेचने लगे कोरोना की दवा, कारण बताओ नोटिस जारी

योग व आयुर्वेद के बड़े कारोबारी रामदेव व उनके सहयोगी बालकृष्ण ने मंगलवार को कोरोना की दवा लांच करने का दावा किया था। उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई लाइसेंस उन्हें नहीं दिया गया है।

Update: 2020-06-24 10:29 GMT

(Policing in India has traditionally remained a mixture of science and pseudo-science. A combination of professional skill, human element and logical technology on one hand and on the other hand a vicissitude of illogical belief, patronised loyalty and manipulative efficiency.)

जनज्वार। कोरोना की दवा बनाने का दावा करने वाले योग गुरु रामदेव व उनके सहयोगी व पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के सामने नई मुश्किल आ खड़ी हुई है। उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अफसर ने कहा है कि पतंजलि के आवेदन के अनुसार हमने उन्हें लाइसेंस जारी किया है। उन्होंने कोरोना वायरस की बात नहीं बताई थी, हमने उन्हें केवल इम्युनिटी बूस्टर, कफ और बुखार का लाइसेंस जारी किया है।

उत्तराखंड के आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक यतेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि रामदेव व बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर और खांसी जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से ही पता चला कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा कोरोना की किसी दावा का दावा किया जा रहा है, जबकि उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली खांसी जुकाम की दवा का लाइसेंस जारी किया गया है।

मालूम हो कि कल रामदेव व बालकृष्ण ने दिल्ली में हंगामेदार ढंग से कोरोना की दवा लांच की थी, जिसे कोरोनिल नाम दिया गया है। इसके साथ दो और दवाओं के साथ एक किट भी बाजार में उन्होंने उतारा जिसे कोरोना किट का नाम दिया गया है। इस दवा की भारी मांग पैदा करने की कोशिशें भी की गईं और कहा गया कि एक सप्ताह में एप के माध्यम से इसकी बुकिंग हो सकेगी।

रावत ने कहा है कि भारत सरकार का निर्देश है कि कोरोना के नाम पर दवा बनाकर कोई उसका प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता है। आयुष मंत्रालय से वैधता मिलने के बाद ही ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल विभाग की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जा रहा है।

रामदेव के कल के दावे के बाद आयुष मंत्रालय ने उनकी कंपनी को निर्देश दिया था कि वे इस दवा का प्रचार प्रसार नहीं करें और पहले यह स्पष्ट करें कि किस तरह यह दवा कोरोना से लड़ने में मददगार है। 

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