Uttarakhand Election 2022 Voting: मतदान खत्म होते ही भाजपा विधायकों में फैला हार का खौफ, ये है वजह

Uttarakhand Election 2022 Voting: उत्तराखण्ड की नई विधानसभा के लिए सोमवार को चुनाव सम्पन्न होते ही एकाएक भाजपा विधायकों ने पार्टी कार्यकर्ताओं संहित प्रदेश अध्यक्ष तक पर अपने को हरवाने का षड्यंत्र करने का आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं।

Update: 2022-02-15 13:53 GMT

Uttarakhand Election 2022 Voting: मतदान खत्म होते ही भाजपा विधायकों में फैला हार का खौफ, ये है वज

Uttarakhand Election 2022 Voting: उत्तराखण्ड की नई विधानसभा के लिए सोमवार को चुनाव सम्पन्न होते ही एकाएक भाजपा विधायकों ने पार्टी कार्यकर्ताओं संहित प्रदेश अध्यक्ष तक पर अपने को हरवाने का षड्यंत्र करने का आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। मतदान खत्म हुए अभी चौबीस घण्टे भी नहीं बीते कि कम से कम तीन प्रत्याशियों की ओर से "राग-विश्वासघात" छेड़ दिया गया है। जिसमें सभी भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक हैं। विधायकों के इस आरोप-प्रत्यारोप को लेकर माना जा रहा है कि उन्होंने मतगणना से पूर्व ही अपनी पराजय स्वीकार करने की भूमिका बनानी शुरू कर दी है।

नई विधानसभा के लिए सोमवार को हुए मतदान के दौरान ही जहां प्रदेश भर से मतदान के रुझान आते ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नेताओं के चेहरे खिलने शुरू हो गए थे तो भाजपा खेमे में सन्नाटा मचा हुआ था। मतदान समाप्ति के बाद भाजपा के बड़े नेताओं की ओर से आये औपचारिक बयानबाजी से भी लगने लगा था कि चुनाव परिणाम शायद भाजपा के अनुकूल नहीं हैं। महज कयासबाजी व अनुमान के आधार पर कांग्रेस को अपर हैंड मानने वालों को पहला बल मिला जिला हरिद्वार की लक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी व विधायक संजय गुप्ता के बयान से। मतदान खत्म होते ही भाजपा प्रत्याशी विधायक संजय गुप्ता ने जिस प्रकार का बयान दिया उससे लग रहा है कि उन्होंने तो अपनी हार ही स्वीकार कर ली है।

हरिद्वार की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली लक्सर विधानसभा सीट पर मतदान होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए संजय गुप्ता ने सीधे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर ही गंभीर आरोप लगाते हुए कह दिया कि मदन कौशिक ने उत्तराखंड में भाजपा का बड़ा नुकसान किया है। विधायक गुप्ता के अनुसार मदन कौशिक ने प्रदेश की कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को हराने का काम किया है। उनके नामित पार्षदों ने बीएसपी के प्रत्याशी के पक्ष में काम किया और मुझे हराने का काम किया है। विधायक संजय गुप्ता ने मदन कौशिक को पार्टी का गद्दार तक कह दिया। हरिद्वार जिले से निकली इस आवाज की धमक देहरादून तक पहुंच भी नहीं पाई थी कि दूसरा बम कुमाउं मण्डल के चम्पावत जिले की चम्पावत विधानसभा से फूटा।

यहां तो मतदान के अगले दिन मंगलवार को चम्पावत से भाजपा के प्रत्याशी व निवर्तमान विधायक कैलाश गहतोड़ी ने बाकायदा पत्रकार वार्ता करते हुए संगठन के लोगों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके साथ भीतरघात हुआ है। उन्होंने कहा है कि वे पार्टी फोरम में ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शिकायत करेंगे। वहीं भाजपा के जिलाध्यक्ष दीप चंद्र् पाठक ने कहा है कि पार्टी प्रत्याशी कैलाश चंद्र गहतोड़ी को संगठन के उन लोगों का नाम उजागर करना चाहिए, जिनने उनके साथ भीतरघात किया है। उन्होंने कहा है कि अगर पार्टी प्रत्याशी कैलाश गहतोड़ी ऐसे लोगों के खिलाफ लिखित में शिकायत करेंगे तो वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इससे अवगत कराते हुए भीतरघात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करेंगे।

जबकि ठीक इसी समय उधमसिंहनगर जिले की काशीपुर विधानसभा से भी ऐसे ही सुर निकल रहे थे। यहां भी विधायक हरभजन सिंह चीमा ने मतदान के अगले दिन पत्रकार वार्ता का आयोजन कर पार्टी के कुछ नेताओं पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पार्टी विरोध में काम किया है और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। काशीपुर विधानसभा से इस बार विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा भाजपा प्रत्याशी थे। जिनके खिलाफ चुनाव में काम करने का आरोप लगाते हुए चीमा ने गद्दारों के खिलाफ पार्टी से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने पार्टी में रहते हुए अपना काम ईमानदारी से नहीं किया है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। पार्टी को इसका संज्ञान लेना चाहिये। विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि जिन नेताओं ने पार्टी विरोधी काम किया है, उनकी पूरी जानकारी पार्टी को है।

प्रदेश में सोमवार को हुए चुनाव की मतगणना होने में अभी तीन हफ्ते से अधिक का समय बाकी है। लेकिन मतदान निबटते ही जिस प्रकार एक-एक करके भाजपा प्रत्याशी भितरघात की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। उससे साफ है कि चुनाव में जनता के रुझान का उन्हें कोई मजबूत इशारा मिल चुका है। जिस कारण वह मतगणना के दिन विपरीत परिणाम आने की भूमिका तैयार करने में जुट चुके हैं। जिससे पराजय का ठीकरा भितरघात पर फोड़ा जा सके।

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