Uttarakhand Madrasa Survey : 22 साल के उत्तराखंड का हासिल, बाप की गोद में मरते बच्चे और मदरसों का होने वाला सर्वे

Uttarakhand Madrasa Survey : पिछली शताब्दी के आखिरी दशक में "लड़ के लेंगे उत्तराखंड, छीन के लेंगे उत्तराखंड" का सड़कों पर नारा लगाने वालों को जब 9 नवंबर 2000 को अपना राज्य हासिल हुआ तो एक बार को लगा कि अब शताब्दी बदलने के साथ ही पहाड़ की तकदीर बदल जाए।

Update: 2022-09-15 14:53 GMT

Uttarakhand Madrasa Survey : 22 साल के उत्तराखंड का हासिल, बाप की गोद में मरते बच्चे और मदरसों का होने वाला सर्वे

Uttarakhand Madrasa Survey : पिछली शताब्दी के आखिरी दशक में "लड़ के लेंगे उत्तराखंड, छीन के लेंगे उत्तराखंड" का सड़कों पर नारा लगाने वालों को जब 9 नवंबर 2000 को अपना राज्य हासिल हुआ तो एक बार को लगा कि अब शताब्दी बदलने के साथ ही पहाड़ की तकदीर बदल जाए। ऐसा नहीं हुआ तो वही सड़कों पर नारा लगाने वाली पीढ़ी खीजकर सवाल उठाती है कि "22 साल के उत्तराखंड में आखिर हासिल क्या हुआ ?" इस सवाल का पिथौरागढ़ जिले में वायरल हो रहे और मुख्यमंत्री के दो दिन पहले वीडियो में छिपा है।

बात करें पहले वीडियो की तो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का वायरल हो रहा यह वीडियो बीडी पाण्डे जिला अस्पताल का है। विचलित करने वाले इस विडियो में एक बेबस पिता अपने मर चुके बच्चे की लाश अपने कंधे से लगाए बैठकर अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है। 22 साल के स्वशासित उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करता यह इकलौता वीडियो पूरे सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था को बताने के लिए पर्याप्त है। वीडियो को विस्तार करते हुए बता दें कि एक मासूम बच्चे को लेकर उसका पिता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बीडी पाण्डे जिला अस्पताल में पहुंचा हुआ था। गंभीर रूप से बीमार बच्चे को लेकर बच्चे का पिता जब इमरजेंसी वार्ड में गया तो वहां मौजूद डॉक्टर ने बच्चे को इमरजेंसी में देखने की बजाए उसे ओपीडी में भेज दिया गया है।

इस इमरजेंसी और ओपीडी के चक्कर लगाने के दौरान ही बच्चे ने पिता की बांहों में ही दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत के बाद अस्पताल परिसर में ही पिता कपड़े में लिपटे बेटे का शव गोद में लेकर बैठ कर आंसू बहाता रहा। डॉक्टर धरती का भगवान होता है, इस भरोसे का कत्ल हो चुका था। लेकिन इस घटना ने उत्तराखंड की सारी पोल पट्टी एक बार फिर खोल दी। इस बच्चे की संस्थागत हत्या के बाद कोई इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए आगे नहीं आया है। उल्टे अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्चे के उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई।

मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. जेएस नबियाल का कहना है कि इमरजेंसी में चेकअप के बाद जांच की गई, बच्चा खून संबंधी बीमारी से ग्रसित था। अस्पताल की व्यवस्था पर उठाए जा रहे सवाल बेबुनियाद हैं। रक्त संबंधी बीमारी से बच्चे की मौत हुई है। पिथौरागढ़ जिले के इस मामले से कुछ ही दिन पहले ऋषिकेश से आई उस खबर को छोड़ भी दिया जाए जिसमें इलाज में हुई देरी के चलते एक छः महीने की बच्ची ने दम तोड़ दिया था तो भी शायद ही कोई ऐसा सप्ताह बीतता हो जो उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य की तस्वीर नुमाया न करता हो।

अब बात करें दूसरे वीडियो की जो खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का है। इस विडियो में मुख्यमंत्री उत्तराखंड के मदरसों का सर्वे करने की बाद कर रहे हैं। वैसे मुख्यमंत्री का इन मदरसों से कोई लेना देना नहीं है। वह राज्य में हुए भर्ती घोटाले के खिलाफ चल रहे आंदोलन और युवाओं को भ्रमित करने की ही कवायद है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री धामी मदरसों के सर्वे को अपनी प्राथमिकता में बता रहे हैं। उनके इस वीडियो से अच्छी तरह समझा जा सकता है कि उनकी प्राथमिकता क्या है।

जनता के सामने अब दो वीडियो हैं। एक अस्पताल में बाप के कंधे पर रखी उसके बच्चे की लाश का तो दूसरा मदरसों में होने वाले सर्वे के ऐलान का। तय लोगों ने करना है कि उन्हें क्या चाहिए। सरकार ने तो वीडियो में बता दिया कि उसकी प्राथमिकता क्या है?

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