ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी VLCC ने बिना लाइसेंस बना दिया लाखों लीटर सैनिटाइजर, छापेमारी में खुलासा

कोरोना संक्रमण के कारण सैनिटाइजर की खूब मांगा है। ऐसे में भारी मुनाफे के लिए जो कंपनियां पहले से इन कारोबार में नहीं थी वे भी जल्दबाजी में कूद रही हैं...

Update: 2020-07-04 02:19 GMT

जनज्वार। बड़ी कंपनियां किस तरह संकट के दौर में भी नियमों का उल्लंघ कर आर्थिक लाभ के बारे में सोचती हैं इसका एक नया मामला देश में सामने आया है। ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली मशहूर कंपनी वीएलसीसी ने बिना लाइसेंस के ही हरिद्वार प्लांट में लाखों लीटर सैनिटाइजर बना दिया और उसे सप्लाई भी कर दिया। आबकारी विभाग की कार्रवाई में मौके से लगभग एक लाख लीटर सैनिटाइजर जब्त भी किया गया है और आबकारी एक्ट के तहत प्लांट हेड को गिरफ्तार कर लिया गया है।

आबकारी विभाग के उच्च अधिकारियों को सूचना मिलने के बाद टीम ने तीन दिन पहले कंपनी पर छापा मारा। यह छापामारी रात भर चली ओर इस दौरान एक लाख लीटर सैनिटाइजर जब्त किया गया। साथ ही वीएलसीसी, हरिद्वार के प्लांट हेड अशोक राजपूत को आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। इस संबंध में आबाकारी विभाग के इंसपेक्टर लक्ष्मण सिंह बिष्ट ने कहा है कि आरोपी प्लांट हेड को गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया है।

इस पूरे मामले में आबाकारी विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस कंपनी को लाइसेंस आठ जून को मिला, जबकि सैनिटाइजर का उत्पादन अप्रैल में ही शुरू कर दिया गया था। सैनिटाइजर बनाने के लिए भारी मात्रा में स्प्रिट मुंबई, दिल्ली व गाजियाबाद से मंगवाया गया। इतना ही नहीं लाइसेंस मिलने से पहले ही कंपनी ने छह लाख लीटर सैनिटाइजर बनाकर आपूर्ति भी कर दी।

दरअसल, कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने के बाद यह बात कही गई कि इससे बचाव के लिए सैनिटाइजर का उपयोग एक अहम माध्यम है। ऐसे में जो कंपनियां पहले से इस व्यवसाय में नहीं थीं, वे भी भारी मांग के कारण भारी मुनाफे की उम्मीद पाले इस कारोबार में जल्दबाजी में प्रवेश करने लगीं। जल्दबाजी इतनी की औपचारिंक रूप से लाइसेंस हासिल करने का इंतजार करने को भी तैयार नहीं। ऐसा ही मामला वीएलसीसी का है। वीएलसीसी ने सैनिटाइजर बनाने के लिए लाइसेंस हेतु आवेदन दिया था, लेकिन उसने पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया और सात लाख सैनिटाइजर पहले ही बेच दिया। इससे पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे मामले सामने आए हैं जब फर्जी सैनिटाइजर बनाने या बिना लाइसेंस के इसके निर्माण का खुलासा हुआ।

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