Vaccine के लिए जब मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल किया है महंगा तो फिर वैक्सीनेशन के लिए लोन क्यों?
Loan for purchase of COVID Vaccine : सरकारी मंत्री और अनेक बीजेपी नेता (BJP Leaders) इस वर्ष के शुरू से जनता को बताते रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम इसलिए लगातार बढ़ रहे हैं क्योंकि इन्ही अतिरिक्त कमाई से मुफ्त टीकाकरण में होने वाले खर्चे की भरपाई की जाती है।
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
Loan for purchase of COVID Vaccine। भले ही सरकार और सोशल मीडिया आपको यह बता रही हो कि पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों का कारण देश में मुफ्त टीकाकरण (Free Vaccination Drive) के लिए सरकारी खजाने में पैसे भरना है, पर तथ्य यह है कि भारत सरकार 66.7 करोड़ टीके खरीदने के लिए मनीला स्थित एशियाई डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) और बीजिंग स्थित एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (Asian Infrastructure Investment Bank) से 2 अरब डॉलर का कर्जा ले रही है। इसमें से 1.5 अरब डॉलर एशियाई डेवलपमेंट बैंक से और 50 करोड़ डॉलर एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्ट बैंक से लिए जायेंगे।
एशियाई डेवलपमेंट बैक (ADB) में सबसे बड़ी भागीदारी अमेरिका और जापान की है, जबकि एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक का सबसे बड़ा भागीदार चीन और भारत हैं। एशियाई डेवलपमेंट बैंक द्वारा यह कर्जा दिसम्बर 2020 में स्थापित एशिया पैसिफिक वैक्सीन एक्सेस फैसिलिटी (Asia Pacific Vaccine Access Facility) के तहत देय जाएगा।
इसकी शर्तों के अनुसार वैक्सीन खरीदने की पूरी प्रक्रिया कोवैक्स (COVAX), जो वैश्विक वैक्सीन पहल है, के तहत की जायेगी, उसी वैक्सीन को खरीदा जा सकेगा जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की पूर्व अनुमति मिली हुई है, या फिर वैक्सीन खरीदने वाले देश की वैक्सीन नियंत्रक संस्था विश्वस्तरीय (Authorized By Stringent Regulatory Authority) हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत के वैक्सीन नियंत्रक संस्था को विश्व स्तरीय नहीं मानती है। जहां तक वैक्सीन के विश्व स्वास्थ्य संगठन से पूर्व अनुमति की शर्त है, तो जाहिर है इस दायरे में भारत में निर्मित कोवैक्सीन (Covaxine) को नहीं खरीदा जा सकेगा क्योंकि इसे अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता नहीं दी गयी है।
बीजिंग स्थित वर्ष 2015 में स्थापित एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक द्वारा सबसे अधिक कर्ज लेने वाला देश भारत है। भारत सरकार ने अब तक इस बैंक से 28 परियोजनाओं के लिए 6.7 अरब डॉलर का कर्ज लिया है। हाल में ही चेन्नई मेट्रो प्रोजेक्ट (Chennai Metro Project) के लिए 35.67 करोड़ डॉलर का कर्ज स्वीकृत किया गया है।
कोविड वैक्सीन के नाम पर सरकार द्वारा कर्ज लेना सरकार के ही कई झूठ को उजागर करता है। सरकारी मंत्री और अनेक बीजेपी नेता इस वर्ष के शुरू से जनता को बताते रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम इसलिए लगातार बढ़ रहे हैं क्योंकि इन्ही अतिरिक्त कमाई से मुफ्त टीकाकरण में होने वाले खर्चे की भरपाई की जाती है।
हाल में ही 11 अक्टूबर को असम के तिनसुकिया में पत्रकारों से बात करते हुए पेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाकर ही मुफ्त टीके का खर्चा निकाला जा रहा है। इसके दस दिनों बाद, 21 अक्टूबर को केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मीडिया के सामने यही बात दुहराई। हरदीप पुरी ने तो हिसाब भी बताया कि प्रति लीटर पेट्रोल पर 32 रुपये की एक्साइज ड्यूटी जमा की जाती है, और इसी पैसों से मुफ्त टीकाकारण अभियान चल रहा है। जनता पर इतना भारी भरकम बोझ के साथ कर्जे से जिस अभियान को चलाया जा रहा है, उसे सरकार मोदी जी का उपहार बता कर प्रचारित करती है, और बेशर्मी से धन्यवाद मोदी जी के पोस्टर और होर्डिंग्स से पूरे शहर को पाटती है।
जब भी अर्थव्यवस्था की बात की जाती है तब प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग, सब चंगा है का राग अलापने लगता है। लगातार सरकार बताती रही है कि अब देश कर्जा मुक्त है, जबकि अकेले एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से ही 6.7 अरब डॉलर का कर्ज भारत सरकार के लिए स्वीकृत किया जा चूका है, और भी कर्जे की मांग जल्दी पूरी की जायेगी, यही नहीं भारत इस बैंक का सबसे अधिक कर्जा लेने वाला देश भी है।
एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक लगभग पूरी तरह चीन के स्वामित्व वाला बैंक है, इससे इतना तो समझा ही जा सकता है कि हमारे प्रधानमंत्री चीन द्वारा भारतीय सेनाओं की हत्या और लगातार सीमा में अतिक्रमण के बाद भी क्यों सीधे शब्दों में चीन की आलोचना नहीं कर पाते हैं।