6 साल में वाराणसी टोक्यो नहीं बन पाया, लेकिन बनारस के मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदल गया

अपने ट्वीट में रेल मंत्री ने बताया है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नाम बदलने की अनुमति दे दी है, आपको बता दें कि बीते 17 अगस्त को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी पत्र जारी कर दिया था...

Update: 2020-09-17 15:34 GMT

रेलमंत्री पीयूष गोयल और मंडुवाडीह स्टेशन (File photo)

जनज्वार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के रेलवे स्टेशन मंडुआडीह को अब बनारस नाम से जाना जाएगा। कुछ ही दिनो में इस स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों को यहाँ लगे साईन बोर्डों में स्टेशन का नाम बनारस रेलवे स्टेशन लिखा नजर आएगा। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आज गुरुवार 17 सितंबर को एक ट्वीट के जरिए इस बारे में जानकारी दी है।

अपने ट्वीट में रेल मंत्री ने बताया है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नाम बदलने की अनुमति दे दी है। आपको बता दें कि बीते 17 अगस्त को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी पत्र जारी कर दिया था। इस सम्बंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया था कि मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी हो चुका है।


रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट में लिखा 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जाएगा। उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापति पत्र के आधार पर इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दे दी गई।'

गौरतलब है कि किसी भी स्थान का नाम बदलने के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय, पोस्टल डिपार्टमेंट और सर्वे ऑफ इंडिया से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होता है। इसके बाद किसी भी म्यूजियम या स्टेच्यू और स्टेशनों के नाम बदले जा सकते हैं।

उधर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्राइवेट ट्रेनों के बिडिंग संबंधी जानकारियां दी है।

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