what are three farm laws repealed : तीनों कृषि कानून क्या है, जिसने पीएम मोदी को किया झुकने के लिए मजबूर
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद से फिर से सुर्खियों में है। लोग यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर तीनों कानून में क्या है, जिसने मोदी सरकार को न केवल उसे वापस लेने के लिए बाध्य किया बल्कि वो माफी मांगने के लिए मजबूर हुए।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कृषि कानूनों को शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापस ले लिया। उसके बाद से तीनों कानून फिर से दुनियाभर में सुर्खियों में है। लोग आपस में नए सिरे से यह चर्चा कर रहे हैं कि आखिर तीनों कानून क्या है, जिसे वापस लेने के लिए मोदी सरकार मजबूर हुई। यहां तक कि पीएम मोदी ने किसानों की भावनाओं को न समझ पाने के लिए माफी तक मांगी है।
दरअसल, सितंबर, 2020 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि सुधारों को लेकर तीन कृषि कानून बनाए थे। इनमें पहला कानून था कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य ( संवर्धन और सरलीकरण ) अधिनियम -2020, दूसरा कृषक ( सशक्तीकरण व संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और तीसरा आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 था। अब आप ये जानिए कि तीनों कृषि कानून क्या हैं।
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020 के तहत देश के किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प मुहैया कराना मुख्य मकसद था। ये कानून देश के किसानों को अच्छी कीमत पर अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता देता था। यह राज्य सरकारों को मंडी के बाहर होने वाली उपज की खरीद-फरोख्त पर टैक्स वसूलने से रोक लगाता था। इस कानून के तहत किसान अपनी फसलों को देश के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति, दुकानदार, संस्था आदि को बेच सकते थे। किसान अपनी उपज की कीमत भी खुद तय कर सकते थे.
2. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 के अन्तर्गत देशभर के किसान बुआई से पहले ही तय मानकों और तय कीमत के हिसाब से अपनी फसल को बेच सकते थे। सीधे शब्दों में कहें तो यह कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ा है। इस कानून को लेकर सरकार का कहना था कि इसके जरिए किसानों को नुकसान का जोखिम कम रहेगा। इसके अलावा, उन्हें फसल तैयार होने के बाद खरीदारों को जगह-जगह जाकर ढूंढने की भी जरूरत नहीं होगी। इसके जरिए देश का किसान समानता के आधार पर न सिर्फ खरीदार ढूंढ पाने में सक्षम होगा बल्कि उसकी पहुंच बड़े कारोबारियों और निर्यातकों तक बढ़ जाएगी।
3. आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020
आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 के तहत फसलों के भंडारण और फिर उसकी काला बाजारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले Essential Commodity Act 1955 बनाया था। इसके तहत व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज का भंडारण कर सकते थे। वे तय सीमा से बढ़कर किसी भी फसल को स्टॉक में नहीं रख सकते थे। नए कृषि कानूनों में आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया। सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा, अकाल या ऐसे ही किसी विपरीत हालात के दौरान इन वस्तुओं के भंडारण पर कोई सीमा नहीं लगेगी।