Nirbhaya Case : क्या हुआ था जब निर्भया कांड के गुनहगार विनय शर्मा ने जेल में फांसी लगाकर की थी जान देने की कोशिश?

गोंडा उत्तर प्रदेश का रहने वाला विनय शर्मा हरिराम ने तिहाड़ की जेल नंबर 8/9 के हाईसिक्योरिटी वार्ड की अपनी सेल में फांसी लगाकर जान देने की कोशिश कर ली थी...

Update: 2021-11-24 04:31 GMT

(2012 में देश को दहलाने वाले निर्भया कांड का मुख्य गुनहगार था विनय हरिराम)

Nirbhaya Case : देश की राजधानी दिल्ली में 2012 को उस वक्त भूचाल आ गया था, जब निर्भया गैंगरेप हुआ था। यह कांड इतना जघन्य था कि जिसने पूरे देश को एक साथ ला खड़ा किया था। बंगाल से आसाम तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक सिर्फ एक ही आवाज उठ रही थी कि, दोषियों को फांसी दो..फांसी दो...फांसी दो।

16 दिसंबर 2012 की रात लगभग दस बजे दिल्ली के महरौली की बस में मेडिकल स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ बस में चढ़ी थी। इसी बस में मौजूद 5 युवकों ने लड़की के साथ वो हैवानियत की थी, जिससे देशभर में उबाल आ गया था। बाद में तमाम इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी। जहां से 30 दिसम्बर 2012 को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

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निर्भया के सभी दोषियों को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था। जिनमें से एक दोषी की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह साढ़े पांच बजे निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई थी। आपको बता दें कि, इस कांड की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हुई थी।

जेल नंबर आठ में लगाई थी फांसी 

निर्भया कांड के सभी दोषियों में विनय शर्मा सबसे अधिक खूंखार बताया जाता था। वह एक जिम का ट्रेनर था। गोंडा उत्तर प्रदेश का रहने वाला विनय शर्मा हरिराम ने तिहाड़ की जेल नंबर 8/9 के हाईसिक्योरिटी वार्ड की अपनी सेल में फांसी लगाकर जान देने की कोशिश कर ली थी। जिसके बाद जेल प्रशासन ने उसपर उल्टा मुकदमा भी किया था। आपको बता दें कि जेल का ये नियम होता है की आप इस तरह का कुछ कांड करते हैं तो आप पर खुद ही मुकदमा बना दिया जाता है।

विनय से परेशान रहता ता उसकी सुरक्षा में लगा सिपाही

विनय शर्मा पुत्र हरिराम शर्मा द्वारा अपनी सेल में फांसी लगा लेने के बाद वार्ड नंबर 12 की एक सेल में अकेले सैपरेट कर दिया गया था। साथ ही उसकी सेल के बाहर एक टीएसपी (तमिलनाड़ू पुलिस) का जवान बिठा दिया गया था। लेकिन लोगों के मुताबिक वह टीएसपी का सुरक्षाकर्मी विनय शर्मा से इस कदर परेशान था की अपनी ड्यूटी बदलवाने के लिए कई बार जेलर से कह चुका था।

चेहरे पर नहीं झलकती थी फांसी की सजा 

विनय शर्मा को फांसी की सजा हो चुकने के बाद भी उसके चेहरे पर लेशमात्र भी शिकन नहीं झलकती थी। बल्कि वह और भी बेधड़क अंदाज में जिंदगी जीने लगा था। कहा जाता है कि जेल के भीतर बंद फांसी की सजा पाए किसी कैदी को जेल प्रशासन मारना पीटना तो दूर खाने पीने तक का उचित प्रबंध करता-रखता है। इन सभी दोषियों को 20 मार्च 2020 को तिहाड़ में ही फांसी पर लटका दिया गया था।

डिस्क्लेमर : इस रिपोर्ट का कुछ हिस्सा जेल पर लिखी गई चर्चित किताब जेल जर्नलिज्म से लिया गया है.

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