जमात और मरकज का घड़ियाली रोना रोने वाली गोदी मीडिया ने कुंभ की भीड़ पर मुंह में दही क्यों जमा लिया?
ऐसे में नए बयान बहादुर के रूप में सामने आए उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री ने फिर से बड़ा धांसू बयान दिया है। उनका कहना है कि जमाती बंद कमरे में थे इसलिए कोरोना फैला था, कुंभ का आयोजन खुले में चल रहा है यहां कोरोना फटक भी नहीं सकता...
जनज्वार ब्यूरो/नई दिल्ली। उत्तराखण्ड के हरिद्वार कुंभ में भी हालात ठीक नहीं हैं। रात दिन मरकज और जमातियों को कोरोना बम बताकर कुंटलों घड़ियाली आंसू बहाने वाली मीडिया को सांप क्यों सूंघ गया है। संघियों भगवाईयों की गोद में जाकर गोदी मीडिया का तमगा हासिल करने वाली मीडिया कुंभ में सोशल डिस्टेंस की उड़ती धज्जियों पर बकुरने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए। नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया। उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगी है। महाराष्ट्र कल रात से पूरा बंद हो गया। गुजरात के हालात खराब हैं। छत्तीसगढ़ में मौतों का आंकड़ा लोगों की नींद हराम कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी सारी फिकर छोड़कर बंगाल जीतने में लगे हैं। वह जीत भी जाएं या हार जाएं लाशों के ढ़ेर पर जश्न मनाने से क्या भला फायदा? देश के गृहमंत्री अमित शाह चुनाव आयोग को चुनौती दे रहे हैं।
ऐसे में नए बयान बहादुर के रूप में सामने आए उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री ने फिर से बड़ा धांसू बयान दिया है। उनका कहना है कि जमाती बंद कमरे में थे इसलिए कोरोना फैला था, कुंभ का आयोजन खुले में चल रहा है यहां कोरोना फटक भी नहीं सकता। महामहिम से ये किसी ने नहीं पूछने की हिम्मत की कि सोमवार को जिन 401 सन्यासियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई वो कौन लोग थे। मरकजी थे या साधु, सन्यासी।
बावजूद इसके गोदी मीडिया ने सवाल करने के बजाय आंखे मूंद ली हैं। सवाल करेंगे तो लाखों करोड़ो का विज्ञापन हाथ से निकल जाएगा। इनके आकाओं की मेहनत पर पानी फिरने लगेगा। नफरती प्लास्टिक के कीड़े फैलाने वाले बुरा मान जाएंगे। आईटी सेल और भक्त नाराज हो जाएंगे। इसलिए टीवी स्टूडियो की एसी का टम्प्रेचर बढ़ाकर नफरती मीडिया तमाशा देखकर मौज में है।