लखनऊ के अकबरनगर के सैकड़ों पर चला योगी का बुल्डोजर, माले ने कहा लोकसभा चुनाव परिणाम से भी नहीं लिया BJP ने सबक
योगी सरकार में बुल्डोजर प्रमुख रहा है और सरकार ने उसे एक तरह से अपनी पहचान (बाबा का बुल्डोजर) के तौर पर अपनाया, लेकिन जनादेश 2024 आने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी का बुल्डोजर रुका नहीं है....
लखनऊ। भाकपा (माले) ने लखनऊ के अकबर नगर में कुकरैल नदी पर रिवर फ्रंट बनाने और सौंदर्यीकरण के नाम पर गरीबों के आशियाने समेत 1100 घरों को बुल्डोजर से तोड़ने के लिए चलाए जा रहे प्रदेश सरकार के अभियान की निंदा की है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार 12 जून को जारी बयान में कहा कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भी प्रदेश में बुल्डोजर राज बेरोकटोक जारी है। उन्होंने कहा कि मुख्य रुप से उत्तर प्रदेश में मिली शिकस्त के कारण ही भाजपा केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत से दूर रही। किसी अन्य प्रदेश के मुकाबले उत्तर प्रदेश की जनता ने ही भाजपा को ज्यादा रोका।
इस शिकस्त में न सिर्फ मोदी सरकार बल्कि प्रदेश में योगी सरकार की नीतियां भी कारक रही हैं। योगी सरकार में बुल्डोजर प्रमुख रहा है और सरकार ने उसे एक तरह से अपनी पहचान (बाबा का बुल्डोजर) के तौर पर अपनाया, लेकिन जनादेश 2024 आने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी का बुल्डोजर रुका नहीं है। इससे लगता है कि भाजपा और उसकी सरकार ने अयोध्या (फैजाबाद सीट) समेत पूरे लोकसभा चुनाव परिणाम से सबक नहीं लिया और उसके संदेश को ग्रहण नहीं किया है, जो दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ है। बुल्डोजर राज रुकना चाहिए। बुल्डोजर का विध्वंस नहीं रुका तो भाजपा का ध्वंस जनता करेगी।
सोशल मीडिया पर अकबरनगर में घरों को बुल्डोजर को तोड़े जाने का विरोध करते लोगों के रोते-बिलखते और विरोध करते तमाम वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वायरल वीडियो में दिख रहा है कि विरोध करने वाली एक महिला को जबरदस्ती गाड़ी में बैठाने की कोशिश की गई और विरोध करने पर उसे बीच सड़क पर घसीटा गया।
प्रशासन का कहना है कि मंगलवार 11 जून की रात को सुबह तक मकान खाली करने की अंतिम चेतावनी दी गयी थी, जिसके बाद पानी और बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे। भीषण गर्मी से परेशान कुछ लोग रात में ही अपना सामान शिफ्ट कर चुके थे। जानकारी के मुताबिक जिन घरों पर बुल्डोजर चला है और जिन्हें अभी ढहाया जाना है वह कुकरैल नदी किनारे बने हैं और सरकार द्वारा डूब क्षेत्र में आने का हवाला देकर इन्हें अवैध घोषित किया गया है। सरकार का कहना है कि यहां से लोगों को नए घरों में शिफ्ट किया जा रहा है, लेकिन निवासियों का सवाल है कि अगर मकान अवैध थे तो उनसे हाउस-टैक्स, वॉटर टैक्स और बिजली बिल की वसूली क्यों की जा रही थी।
पिछले कई दशकों से अकबरनगर में रहने वाले लोगों का कहना है कि जो घर उन्हें दिए जा रहे हैं, वे बहुत छोटे हैं और उनमें उनका सामान भी नहीं आ सकेगा। गोविंदनगर में जो मकान मिला है, उसका कब्जा अभी तक नहीं मिला है। उन्हें बिना निर्माण पूरा हुए ही वहां से निकाल दिया गया।