10 दलित मजदूरों ने जहर खाकर की आत्महत्या की कोशिश, स्थायी नौकरी की थी मांग

Update: 2020-03-07 07:36 GMT

मजदूर पिछले 62 दिनों से फैक्ट्री के मेन गेट के सामने विरोध प्रदर्शन में बैठे हुए थे। विरोध प्रदर्शन के तौर पर कुछ मजदूरों ने अपने सर के बालों को भी कटा लिया था...

जनज्वार। गरीब और मेहनतकश जनता कभी भी सरकार के एजेंडे पर नहीं रही है और न ही उनका विकास, उनकी जरूरतों की तरफ ही कोई सरकार ध्यान देती है। ऐसे में मोदी का गृहराज्य गुजरात भी मजदूर उत्पीड़न की खबरों से अछूता नहीं है। यहां पिछले 2 महीने से भी ज्यादा वक्त से धरने पर बैठे 10 मजदूरों ने शासन—प्रशासन द्वारा उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान न दिये जाने के बाद जहर पीकर जान देने की कोशिश की।

गुजरात के सुंदरनगर जिले के ध्रांगधरा में डीसीडब्लयू केमिकल फैक्ट्री में काम करने 10 दलित मजदूरों ने 5 मार्च को जहरीली दवाई खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया है। ये मजदूर स्थायी नौकरी की मांग को लेकर पिछले 2 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। फैक्ट्री में होने वाले शोषण और अस्थायी नौकरी के कारण मजदूर काफी ज्यादा परेशान हैं।

टाइम्स आफ इंडिया के मुताबिक पिछले कुछ महीनों के दौरान इस निजी कंपनी के 70 से भी ज्यादा मजदूर बिना कारण के उनको निकाल देने और स्थायी न करने के मुद्दे को लेकर हड़ताल पर थे और इन्होंने खुद को स्थायी न किए जाने का विरोध करते हुए आत्महत्या की धमकी भी दी थी। मगर लगातार हड़ताल और धमकी के बाद ही जब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी तो 10 मजदूरों ने अपने प्रदर्शन वाली जगह पर ही जहर पी लिया। मजदूरों की हालात इतने बदतर है कि इन मजदूरों को केवल 15 दिन के लिए ही काम मिल पाता है। बाकी के 15 दिन मजदूर बेकार ही पड़े रहते हैं।

संबंधित खबर: दिल्ली दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं मजदूर, 5 दिन से नहीं है कोई काम

जदूर पिछले 62 दिनों से फैक्ट्री के मेन गेट के सामने विरोध प्रदर्शन में बैठे हुए थे। विरोध प्रदर्शन के तौर पर कुछ मजदूरों ने अपने सर के बालों को भी कटा लिया था। जिन दलित मजदूरों ने धरनास्थल पर ही जहर पीकर जान देने की कोशिश की उनकी मांग थी कि उन्हें कंपनी में स्थायी नौकरी मिले और उन्हें मिलने वाला वेतन भी स्थायी कर्मचारियों के बराबर हो। गौरतलब है कि आंदोलनरत दलित श्रमिकों में से कई पिछले 10 साल से भी ज्यादा वक्त से कंपनी में नौकरी कर रहे थे।

मामले पर फैक्ट्री में काम करने वाले प्रमोद चौहान ने बताया कि हम मजदूरों पर फैक्ट्री के मालिक काफी ज्यादा शोषण करते हैं। काम करने का समय भी हम लोगों के लिए तय नहीं है। इसके अलावा कारखानों में मजदूरों को कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर केवल 15 दिनों के लिए काम में रखा जाता है। बाकी के 15 दिन हम मजदूर बेकार ही पड़े रहते है।

स्थायी नौकरी की मांग को लेकर मजदूरों ने कई बार फैक्ट्री के प्रबंधन से बात करने की कोशिश भी की लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं की गई। इसके अलावा हम पिछले 2 महीने से आंदोलन कर रहे है। लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं की जा रही। जिस कारण हम जहर खाने को मजबूर हो गए हैं।

संबंधित खबर: सोनभद्र के पत्थर खदान में बड़ा हादसा, एक मजदूर की मौत और कई घायल

फैक्टी में काम करने वाले अन्य मजदूर मनीष ने बताया कि हम मजदूर कुछ मांगों के साथ ये आंदोलन कर रहे है। जिसमें से हमारी पहली मांग जिन परिवार के लोग फैक्ट्री में काम करने बाद किसी कारण नौकरी छोड़ देते है। तो उनके परिवार में से किसी एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए इसके अलावा जिन मजदूरों की मौत फैक्ट्री में काम करने के दौरान हो जाती है। उनके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए। लेकिन प्रबंधन ने हमारी एक भी मांग को अभी तक नहीं माना है।

लित मजदूरों द्वारा धरनास्थल पर जहर पीकर जान देने की खबर जब पुलिस को लगी तो वह वहां पहुंची और आत्महत्या का प्रयास करने वाले सभी श्रमिकों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है। मगर इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।

हर पीने वाले सभी 10 मजदूरों को अस्पताल ले जाया गया, जहां से सभी मजदूरों को सुरेन्द्रनगर के सिविल अस्पताल में रेफर किया गया। दलित मजदूरों द्वारा धरनास्थल पर जहर पीकर जान देने की खबर जब पुलिस को लगी तो वह वहां पहुंची और आत्महत्या का प्रयास करने वाले सभी श्रमिकों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है। मगर इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।

Tags:    

Similar News