10 माह वेतन न मिलने से परेशान BSNL कर्मचारी ने की आत्महत्या, दूसरी तरफ दो दिन में 22 हजार BSNL कर्मियों को वीआरएस

Update: 2019-11-08 04:45 GMT

केरल में बीएसएनएल आफिस में कांट्रैक्ट पर काम करने वाले रामकृष्णन ने पिछले 10 महीने से सेलरी नहीं मिलने के कारण दफ्तर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, रामकृष्णन गुजर रहे थे भारी आर्थिक तंगी से....

जनज्वार। सरकार द्वारा दूरसंचार विभाग को सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनल में तब्दील किये जाने के बाद से यह जबर्दस्त घाटे में चल रही थी, इस घाटे से उबरने के लिए सरकार ने एक नई स्कीम लांच की है, जिसके तहत कर्मचारियों के लिए वीआरएस स्कीम लागू की गयी है। इसके तहत अब तक 22 हजार से भी ज्यादा कर्मचारी वीआरएस ले चुके हैं। जहां एक तरफ सरकार की पुराने कर्मचारियों को वीआरएस देकर घर बिठाने की योजना है, वहीं एक बीएसएन कर्मी ऐसा भी है, जिसने पिछले 10 माह से सेलरी न मिलने के कारण ऑफिस में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

केरल में बीएसएनएल आफिस में कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी रामकृष्णन ने पिछले 10 महीने से सेलरी नहीं मिलने के कारण बृहस्पतिवार 7 नवंबर को दफ्तर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। केरल के मल्लापुरम में बीएसएनएल के दफ्तर में काम करने वाला रामकृष्णन पैसे की तंगी के चलते काफी परेशान था।

पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद बताया कि रामकृष्णन वंडूर का रहने वाला था और पिछले 30 साल से अंशकालिक सफाईकर्मी के तौर पर बीएसएनएल में काम कर रहा था। श्रमिक संघ नेताओं का कहना है कि बीएसएनएल के कांट्रेक्ट कर्मचारियों को पिछले 10 महीने से वेतन नहीं मिल रहा था और ये लोग बीते 130 दिन से वे बकाया वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, बावजूद इसके वेतन नहीं दिया जा रहा। लंबे समय से वेतन न मिलने के कारण रामकृष्ण ने आफिस में ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

बीएसएनएल कांट्रेक्ट कर्मचारियों को वेतन भुगतान न होने का विरोध कर रहे कर्मचारी संघ ने रामकृष्णन की आत्महत्या के बाद कहा कि रामकृष्णन वित्तीय संकट से गुजर रहे थे। 52 साल के रामकृष्णन बीएसएनएल में कैजुएल कर्मचारी थे और उन्होंने 7 नवंबर को नीलाम्बर में बीएसएनएल के ऑफिस में खुदकुशी कर ली। ऐसा कदम उन्हें तब उठाना पड़ा जबकि वह वह पिछले 30 सालों से वहां काम कर रहे थे। रामकृष्णन ने 30 साल पहले बतौर हाउस कीपिंग स्टॉफ के रूप में टेलीकॉम ऑथारिटी को ज्वाइन किया था।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 68,751 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है है, जिसमें एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय समेत कर्मचारियों के लिये स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना और 4 जी स्पेक्ट्रम आवंटन को भी शामिल किया गया है।

बीएसएनएल कंपनी प्रबंधन का भी कहना है कि हमारे लगभग तकरीबन 1 लाख कर्मचारी वीआरएस लेने योग्य हैं, इसलिए वीआरएस स्कीम लांच की गयी है। कंपनी को उम्मीद है कि 1 लाख लोग जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है, उनमें से 70 से 80 हजार कर्मचारी इस स्कीम के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी (वीआरएस) ले लेंगे।

कंपनी प्रबंधन द्वारा इतने बड़े पैमाने पर वीआरएस लेने की योजना तब लांच की गयी है और तकरीबन एक लाख को वीआरएस देने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि बीएसएनएल में कुल कर्मचारियों की संख्या ही लगभग 1.50 लाख है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि इससे कंपनी सैलरी में 7 हजार करोड़ रुपए बचा सकेगी।

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