आरटीआई में हुआ खुलासा, पिछले 5 सालों में SBI की 2568 ब्रांचों पर लग चुका है ताला

Update: 2019-11-04 05:50 GMT

अब फिर से मोदी सरकार 10 सरकारी बैंकों को 4 बड़े बैंकों में करने जा रही है तब्दील, जिससे प्रभावित होंगी लगभग 70000 बैंक शाखायें...

जनज्वार। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि बीते 5 सालों में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया की 2568 शाखाओं पर ताला लग चुका है।

तना ही नहीं आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक ही पिछले पांच सालों में विलय या शाखाबंदी की प्रक्रिया से सार्वजनिक क्षेत्र के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखायें या तो बंद हुई हैं या तो दूसरी शाखाओं में शामिल कर दी गई हैं। सबसे बड़ा खुलासा तो यह है कि इन 3,427 बैंकों में सबसे ज्यादा यानी तकरीबन 75 प्रतिशत बैंक की शाखाएं SBI की हैं।

रटीआई के मुताबिक पिछले पांच सालों में SBI में पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक को मिलाया गया है। इतने बड़े पैमाने पर एसबीआई ब्रांचों की तालाबंदी की खबर ने सबको चौंकाकर रख दिया है। गौरतलब है कि अब फिर से मोदी सरकार 10 सरकारी बैंकों को 4 बड़े बैंकों में तब्दील करने जा रही है। इस योजना पर काम भी शुरू हो चुका है।

जारों एसबीआई शाखाओं के बंद होने की सूचना मध्य प्रदेश के नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा लगायी गयी आरटीआई के बाद हासिल हुई है। चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक से सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसके बाद यह खुलासा हुआ है।

रबीआई द्वारा सूचना अधिकार के तहत उपलब्ध करायी गयी जानकारी के मुताबिक, देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं, 2015-16 में 126 शाखाएं, 2016-17 में 253 शाखाएं, 2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मर्ज कर दिया गया। आरबीआई द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के मुताबिक पिछले 5 वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं हैं।

रबीआई द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के मुताबिक, एसबीआई के साथ भारतीय महिला बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर को मर्ज किया गया था, जो 1 अप्रैल 2017 से प्रभावी भी हो गया था। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक को मर्ज कर दिया गया था, जो इस साल 1 अप्रैल 2019 से लागू हुआ था।

स साल मोदी सरकार जिन 10 सरकारी बैंकों को 4 बड़े बैंकों में मर्ज करने की योजना पर काम कर रही है, उसका बड़े पैमानी पर विरोध शुरू हो गया है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर बैंकों के विलय से तकरीबन 7000 बैंक शाखायें प्रभावित होंगी।

खिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBIA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने मीडिया से कहा कि, अगर सरकार देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार बड़े बैंक बनाती है, तो इन बैंकों की कम से कम 7,000 शाखाएं प्रभावित हो सकती हैं। इनमें से अधिकांश शाखाएं महानगरों और शहरों की होंगी। प्रस्तावित विलय के बाद संबंधित सरकारी बैंकों का कारोबार घटेगा, क्योंकि आमतौर पर देखा गया है कि किसी बैंक शाखा के बंद होने या इसके किसी अन्य शाखा में विलीन होने के बाद ग्राहकों का उससे आत्मीय जुड़ाव समाप्त हो जाता है।'

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