देवरिया के 4 गांवों में खुले में शौच पर 5 हजार का जुर्माना, लेकिन जिन दर्जनों के पास नहीं शौचालय वह कहां जाएं 

Update: 2019-09-30 05:56 GMT

जो शौचालय बनाया सरकार ने, वह शौच जाने लायक हैं नहीं, ऐसे में सजा सरकार की प्रतिनिधियों को मिलने की बजाय खामियाजा गरीब और कमजोर ग्रामीणों का पड़ रहा है झेलना...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वच्छता सुलभ शौचालय अभियान की पोल खोल रहे हैं देवरिया जिले के कई गांव, जिनमें ग्रामीण क्षेत्र में गांव के लोग सड़क पर दे रहे हैं पहरा

देवरिया से अरविंद गिरी ​की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के जनपद देवरिया के विकासखण्ड क्षेत्र लार के न्याय पंचायत रोपन छपरा के ग्रामसभा रतनपुरा, गौरा पांडे के सैकड़ों लोग सुबह-शाम सड़क पर पहरा लगा रहे हैं। पहरा इसलिए कि जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं उनके घरों की महिलाएं और पुरुष सड़क के किनारे शौच ना कर सकें। यह पहरा ग्रामीण युवाओं द्वारा दिया जा रहा है और खुले में शौच करने वाले हर व्यक्ति से 5000 रुपये प्रावधान की तख्तियां इनके हाथों पर मौजूद हैं।

सा इसलिए क्योंकि जिन घरों में शौचालय नहीं हैं, वो लोग सड़क के दोनों छोरों पर शौच करते हैं और सड़क किनारे भारी पैमाने पर गंदगी फैल रही है। इस गंदगी के चलते लोग ​बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। लार के रोपन छपरा, परासी चकलला, रतनपुरा, गौरा पांडे ग्राम पंचायतों ने तय किया है कि जो लोग खुले में सड़क किनारे शौच करते पाये जायेंगे उन्हें 5 हजार का जुर्माना भरना पड़ेगा।

गौरतलब है कि स्वच्छ भारत अभियान प्रधानमंत्री मोदी की सफल योजनाओं में गिनी जा रही है। बीजेपी और तमाम मंत्रीगण दावा करते हैं कि हर घर में शौचालय सरकार ने मुहैया करा दिया है, जबकि इसी स्वच्छ भारत अभियान को रोपन छपरा, परासी चकलला, रतनपुरा, गौरा पांडे ग्राम पंचायतें आईना दिखा रहा है।

शौचालय योजना की पोल खुलने पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के गांव में पूर्ववर्ती सरकार में हुए सैकड़ों शौचालय का भुगतान हो गया था, जिसकी जांच शासन से होने पर तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश कुमार पाण्डेय को उनके पद से हटा दिया गया। इसके अलावा जिला पंचायत राज अधिकारी को शासन में अटैच कर प्रधान के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी।

जिलाधिकारी देवरिया अमित किशोर इस पूरे मसले पर कहते हैं कि ‘लोगों को स्वच्छ भारत ​अभियान के प्रति जागरुक करने के लिए 500 रुपये सरकार की तरफ से फाइन लगाया जाता है, अगर गांव में 5000 वसूला जा रहा है तो हम इसकी जांच करायेंगे। शासन-प्रशासन की तरफ से हर घर को शौचालययुक्त करने के लिए और वृहद पैमाने पर अभियान चलाये जा रहे हैं। जहां तक शौचालय के लिए सेक्रेटरी और सचिव को 2 हजार रुपये कमीशन देने की बात है हमने कई ग्राम प्रधानों पर कार्रवाई की है ऐसे मामलों में।’

गौरतलब है कि बीजेपी के तमाम दावों और वादों के बावजूद ग्रामीण भारत में सभी लोगों के पास अभी शौचालय नहीं हैं। ग्रामीण मुकेश कहते हैं, शौचालय के लिए शासन से मिलने वाली धनराशि मात्र बारह हजार रुपए है और उसमें भी सेक्रेटरी और सचिव का कमीशन भी दो हजार देना होता है, जिससे आधा अधूरा शौचालय ही गांवों में बन पा रहा है। आधे अधूरे शौचालय में भला कोई कैसे शौच कर सकता है, इसलिए लोग सड़क किनारे शौच करने चले जाते हैं।

लार के रोपन छपरा, गौरा पांडे, रतनपुरा और परासी चकलाल गांवों के लगभग 75% लोग शौचालय न होने के वजह से रोड के दोनों किनारे ही शौच करने जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि न्याय पंचायत रोपन छपरा, गौरा पांडे, रतनपुरा और परासी चकलाल के शौचालय कार्य में अनियमिततायें बरती गयी हैं। आखिर शौचालय बना है तो काफी संख्या में महिलाओं व पुरुषों को बाहर क्यों जाना पड़ता है?

गौरा पांडेय के गफूर अंसारी कहते हैं, हमारे गांव में लगभग 6 अधूरे शौचालय ग्राम प्रधान द्वारा बनाया गये हैं। वह कार्य अभी तक 1 वर्ष से अधूरे पड़े हुए हैं, जो इस्तेमाल करने के लायक नहीं हैं। इसके अलावा रतनपुरा में भी यही हाल देखने को मिली। यहां भी शौचालय पूरी तरह से नहीं बनें हैं, सभी शौचालय सालभर से अधूरे पड़े हैं।

रतनपुरा गांव के राज मंगल यादव कहते हैं, हमारे गांव में बने सभी शौचालयों की दशा बहुत खराब है। किसी का शौचालय का कमरा बना है तो उसका टंकी नहीं बना है? किसी की टंकी है, तो उसका ढक्कन नहीं है। किसी में सीट नहीं लगी है और किसी में तो छत तक नहीं बनी है। आखिर हम लोग ऐसे शौचालयों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।

से में सवाल है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत यह पैसा आया तो उसका हुआ क्या? क्योंकि शौचालय पूरी तरह नहीं बने हैं और लोग बाहर शौच के लिए सड़कों पर जाने को मजबूर हो रहे हैं।

ब जिन घरों में शौचालय बने हुए हैं उन घरों के ग्रामीण सड़क किनारे पहरा दे रहे हैं ताकि सड़क किनारे कोई शौच के लिए न बैठ पाये। जो ऐसा करते हुए पकड़ा जायेगा उससे 5000 रुपये फाइन वसूला जा रहा है।

ड़क किनारे पटी शौच की गंदगी से बीमारियां फैल रही हैं। तंग आकर ग्रामीण रात को भी सड़कों पर कांटे बिछा लालटेन की रोशनी में पहरा दे रहे हैं। हाथों में 'रोड के किनारे शौच करने पर पकड़े गए तो 5000 रुपया जुर्माना लगेगा' स्लोगन लिखी तख्तियां लगाकर लोग घूम रहे हैं।

ह पहलकदमी ग्राम प्रधानों की पहलकदमी पर लगायी जा रही है। पूरे रोपन छपरा और गौरा पांडे के लोगों को ग्राम प्रधान द्वारा डुगडुगी बजाकर यह बोला गया है कि कोई व्यक्ति शौच के लिए सड़क के किनारे ना जाएं।

से में सवाल यह भी है कि जिन गरीबों के पास शौचालय नहीं है वह क्या करें। चारों तरफ खेत में फसल और पानी लगा हुआ है। कोई खेत खाली नहीं है। सिर्फ सड़​क किनारे बैठना ही एकमात्र विकल्प है। शौचालयविहीन लोग कह रहे हैं आखिर हम शौच करने कहा जायें, यह तो हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है।

रीबों के लिए इतनी बड़ी समस्या खड़ी हो रही है, मगर शासन—प्रशासन कान देने को तैयान नहीं है। अगर इस तरफ सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो गांवों में बड़ी दुर्घटनायें हो सकती हैं। ग्रामीणों के बीच आपसी दंगल शुरू हो सकता है।

ग्रामीण महिला रजनी देवी कहते है, हमारे घरों में शौचालय नहीं बना है तो आखिर हम कहां जायें, हमारे बच्चे शौच करने कहां जायें। पकड़े जाने पर आखिर हम कहां से 5000 का फाइन भर पायेंगे। क्यों नहीं सरकार हमारी सुनती, हमारे लिए उचित कदम उठाती। नेताओं को हमारी याद सिर्फ वोट के वक्त ही क्यों आती है।

हीं दूसरी तरफ रोड किनारे इतनी गंदगी पटी हुई है कि वहां से पैदल क्या वाहन पर तक जाना दुश्वार हो गया है। स्कूली बच्चों केा उन्हीं गंदगी पटी सड़कों से जाना होता है, तो बीमारियों का डर हर समय बना रहता है। रोपन छपरा से गौरा पांडे मार्ग शौच की गंदगी से पटा पड़ा है। गाड़ी, मोटरसाइकिल एवं एंबुलेंस के चालक तक उस रूट से जाना नहीं चाहते।

फिलहाल जब पूर्वांचल में बाढ़ की स्थितियां बनी हुई हैं, हालात और भी बदतर हो गये हैं। सैकड़ों घरों जहां शौचालय नहीं है, उनमें हालात भयावह बने हुए हैं। ग्राम प्रधान सुदर्शन यादव कहते हैं, इस भरी बरसात में जिसका शौचालय बना है वह भी और जिसका नहीं बना है वह भी सड़क के किनारे ही शौचालय कर रहे हैं, जिससे सड़क पर आने जाने वाले लोगों को गन्दगी का सामना करना पड़ रहा है। जहां शौचालय बने हुए हैं वह भी बाढ़ में जलमग्न हो चुके हैं।

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