नेपाल में ढाई महीने से फंसे दुमका के 49 मजदूर लौट रहे हैं घर, जनज्वार ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर

Update: 2020-06-04 16:01 GMT

दुमका के इन प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए एक दंडाधिकारी तैनात किया गया है, जो इन्हें वहां से दुमका तक लेकर आएंगे...

जनज्वार, दुमका। झारखंड के दुमका के नेपाल में फंसे 49 मजदूर गुरुवार 4 जून को सुबह भारत-नेपाल बार्डर पर पहुंच गए. वे इस वक्त वीरगंज में हैं और संभावना है कि आज देर रात ही या शुक्रवार की सुबह वे वीरगंज से दुमका के लिए बस से रवाना हो जाएंगे. इन प्रवासी श्रमिकों के लिए दुमका जिला प्रशासन ने विशेष बस की व्यवस्था की है.

ये लोग नेपाल के सिंधु पालचोक जिले में एक हाइड्रो पाॅवर प्लांट के लिए टाॅवर लगाने का काम करते थे, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से ढाई महीने से इनका काम भी बंद था और ये घर भी नहीं आ पा रहे थे. दो देशों का के बीच का मामला होने के कारण इन्हें अड़चनें आ रही थी. पिछले सप्ताह 28 मई को जनज्वार ने इनकी खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर सरकार व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था.

संबंधित खबर : नेपाल में फंसे झारखंड के 50 मजदूर दो महीने से कर रहे हैं मिन्नतें, केंद्र व राज्य के बीच उलझा है घर वापसी का मामला

दुमका के इन प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए एक दंडाधिकारी तैनात किया गया है, जो इन्हें वहां से दुमका तक लेकर आएंगे. इसके साथ ही जिले के सभी संबंधित पदाधिकारियों को कोविद 19 के लिए तय किए गए प्रोटोकाॅल के तहत आवश्यक कार्रवाई करने को सूचित किया गया है.

दुमका के ये श्रमिक कल शाम को सिंधुपालचोक जिले से रवाना हुए थे. इन्हें पास व अन्य तकनीकी जरूरतों में झारखंड सरकार से मदद मिली. हालांकि सिधुपालचोक से वीरगंज तक आने के लिए इन्हें एक बस व एक पिकअप वैन के किराये का प्रबंध खुद करना पड़ा.

श्रमिकों के इस दल में शामिल नारायण दास ने बताया कि 80 हजार रुपया किराया हमें बार्डर तक पहुंचने के लिए देना पड़ा जिसे हम सभी 49 लोगों ने मिल कर जुटाया किया. उन्होंने कहा कि 60 हजार रुपये बस का और 20 हजार रुपये पिकअप वैन का किराया लगा. हालांकि दुमका डीसी बी राजेश्वरी और एसडीओ राकेश कुमार की मदद की इन्होंने प्रशंसा की.

Tags:    

Similar News