आगरा में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने 50 लाख रुपये में बनाई 6 सड़कें, रातोंरात हो गयीं गायब!

Update: 2019-09-04 03:39 GMT

योगी राज में किस तरह कदर भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है उसका नमूना आगरा में आया है सामने, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग 6 सड़कें कागजों में ही बना डकार गया 50 लाख रुपये...

जनज्वार। उत्तर प्रदेश का ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) घटिया निर्माण के लिए कुख्यात है। यहां कहा जाता है कि जो जनप्रतिनिधि अपने सांसद निधि या विधायक निधि से निर्माण कार्य का दायित्व आरईएस को देते हैं, वे परम भ्रष्ट होते हैं, क्योंकि इस विभाग में नीचे से ऊपर तक भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और जमकर कमीशनखोरी होती है।

यूपी की योगी सरकार में किस कदर भ्रष्टाचार है उसका नमूना आगरा में सामने आया है। यहां आरईएस ने लाखों रुपये की 6 सड़कें कागज में बना दी हैं और पैसे का बंदरबांट कर लिया है। इन नवनिर्मित सड़कों का भौतिक मुआयना करने इलाके के मुख्य विकास अधिकारी पहुंचे तो उन्हें मौके पर वो सड़कें मिलीं ही नहीं, जिनका कागजों में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से निर्माण कराने का दावा किया गया था। इस मामले को लेकर सीडीओ ने आरईएस के अधिशासी अभियंता को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) ने कागजों में आगरा की पुरानी ईदगाह कालोनी में दो और विभव नगर के चार सेक्टरों में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से हाल ही में छह सड़कों का निर्माण कराने का दावा किया था, लेकिन जब इन नवनिर्मित सड़कों का भौतिक मुआयना करने इलाके के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) जे रीभा पहुंचे तो उन्हें मौके पर वो सड़कें मिलीं ही नहीं। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी ने आरईएस के अधिशासी अभियंता को नोटिस भेजा है।

गौरतलब है कि आरईएस को शहर के पुरानी ईदगाह कॉलोनी में तकरीबन 18 लाख रुपये की लागत से दो सड़कों का निर्माण कराना था। इसके अलावा विभाग को विभव नगर के भी चार सेक्टरों में चार सड़कों का निर्माण करवाना था। इस पूरे कार्य की कुल लागत तकरीबन 50 लाख रुपये बताई जा रही है। इन सड़कों के निरीक्षण में ईदगाह कालोनी में किस स्थान पर कौन सी सड़क बनाई गई है, इसका पता नहीं चला, जबकि विभव नगर के सेक्टर एक, दो, तीन और चार में बनाई गई सड़कों की भी स्पष्ट जानकारी नहीं मिली।

सीडीओ ने इस दौरान अधिकारियों की निरीक्षण आख्या का भी अवलोकन किया तो पता चला कि विभागीय अधिकारियों ने अपनी निरीक्षण आख्या में सड़कों की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई का भी उल्लेख नहीं किया है। यहां तक कि निर्माण कार्य में प्राक्कलन का उल्लेख भी नहीं किया गया। दोनों जगहों पर बनाई गई सड़कों की स्थिति, खर्च धनराशि के बारे में भी नहीं बताया गया है।

मामले में लीपापोती की कोशिशें उच्च स्तर पर शुरू हो गयी है और मिड दे मील में नमक के साथ रोटी देने के मामले की तरह देर सबेर सीडीओ पर भी गाज़ त्रगिरना तय माना जा रहा है।

रईएस के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र सिंह का दावा है कि पुरानी ईदगाह कालोनी में दो सड़कें बनवा दी गई हैं, जबकि विभव नगर में अभी काम चल रहा है। नई सड़कों पर बोर्ड और व्यय आदि अंकित करवाया जाएगा।

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