सिंगरौली में रिलायंस का राखड़ बांध टूटा, 6 लोग बहे, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद होने की आशंका
10 अप्रैल को शाम पांच बजे सभी ग्रामीण लॉकडाउन का पालन करते हुए घर मे ही पड़े थे। किसी को कहां पता था लॉकडाउन में राबरन शाहू के पूरे खानदान का नामोनिशान खत्म हो जाएगा....
दिल्ली ब्यूरो के साथ मिर्जापुर से पवन जायसवाल की रिपोर्ट
जनज्वार। शुक्रवार 10 अप्रैल को मध्यप्रदेश के सिंगरौली ज़िले में एक कोयला बिजलीघर का एश-डेम टूट गया और 6 लोग इसके बहाव में लापता हो गये। आसपास के सैकड़ों एकड़ के इलाके में कोयला बिजलीघर की यह ज़हरीली राख फैल गई। 4,000 मेगावॉट का यह कोयला बिजलीघर निजी कंपनी रिलांयसपावर का है। एक साल के भीतर सिंगरौली में इस तरह की तीसरी घटना हुई है। इससे पहले अगस्त में एस्सार कंपनी के प्लांट और फिर अक्टूबर में सरकारी कंपनी एनटीपीसी के बिजलीघर में इसी तरह डेम टूटा था।
जब बिजली बनाने के लिये कोल पावर प्लांट में कोयला जलाया जाता है, तो फ्लाइएश निकलती है। इसके निस्तारण के लिये समुचित प्लांट को समुचित प्रबंध करने चाहिये लेकिन अक्सर कंपनियां नियमों की अनदेखी करती हैं। इसमें राबरन शाहू के परिवार के 5 लोग गायब हो गये, इसके अलावा पावर प्लांट के मज़दूर के भी लापता होने की सूचना है।
सिंगरौली के ज़िलाधिकारी के व्ही एस चौधरी ने इस मसले पर बताया कि “गारा (फ्लाइएश) प्लांट से निकला और उसके बाद निकट में बह रही एक जलधारा से जा मिला जो उसे बहाकर आगे ले गई। इस मामले में प्रभावित ग्रामीणों को खाने—पीने और किसी तरह की अन्य समस्या नहीं होने दी जायेगी और प्रभावितों को मुआवजा भी दिया जायेगा। जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया है कि जिम्मेदार परियोजना और परियोजना अधिकारियों पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जायेगी।
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यूपी-मध्यप्रदेश का सोनभद्र-सिंगरौली का इलाका भारत के अनेक पावर सेंटर्स में से है। यानी यह इलाका उन बिंदुओं में है, जहां पावर प्लांट्स का जमावड़ा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और प्रशासन हर दुर्घटना के बाद कहते हैं कि यह पता किया जायेगा कि गलती कहां हुई, लेकिन यह बात किसी से छुपी नहीं है कि बिजलीघर पर्यावरण नियमों और सेफ्टीगाइडलाइंस की अनदेखी करते रहे हैं। नियमों के मुताबिक कोयला बिजलीघर से निकली 100% राख का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाना चाहिये। इस राख का इस्तेमाल ईंट और सीमेंट बनाने में होता है।
कोयला बिजलीघर अक्सर पिछड़े इलाकों में स्थापित किये जाते हैं, जहां पर ये अपने प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और काम-धंधे पर बड़ा असर डालते हैं। मिसाल के तौर पर सोनभद्र के इलाके में पावर प्लांट्स से निकलने वाली राख और ज़हरीले पानी ने आसपास की जलधाराओं को प्रदूषित कर दिया है। इसी तरह ये पावर प्लांट बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण के लिये भी ज़िम्मेदार हैं और जब इस तरह इनके फ्लाइ ऐश के बांध बार-बार टूटते हैं तो वह आसपास की खेती तबाह कर किसानों का काफी नुकसान करते हैं।
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स्थानीय ग्रामीणों का कहना है, रिलायंस पावर कंपनी का राखड़ बांध टूटने से कई जिंदगियां उसके अंदर समाहित हो गयीं। सूचना मिलते ही क्षेत्र में हाहाकार मच गया। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं बहाव इतना तेज था कि लोगों को संभलने का समय भी नही मिला।
स्थानीय ग्रामीण कहते हैं, 10 अप्रैल को शाम पांच बजे सभी ग्रामीण लॉकडाउन का पालन करते हुए घर मे ही पड़े थे। किसी को कहां पता था लॉकडाउन में राबरन शाहू के पूरे खानदान का नामोनिशान खत्म हो जाएगा। राखड़ के बहाव में घर का तो नामोनिशान मिट गया है।
ग्रामीण बताते हैं, इसकी चपेट में आने वाले राबरन शाहू का परिवार बह गया है, तो कई लोगों का सबकुछ बह गया। पहले से ही हम कोरोना की मार झेल रहे हैं और अब तो हमारी फसल भी बर्बाद हो जायेगी।
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एक तरफ कोरोना की महामारी से लोग दहशत और लॉकडाउन में हैं तो दूसरी ओर नई मुसीबत तैयार हो गई। रिलांयस का डेम टूटने के कारण दो गाँवों में राखड़ का मलवा घरों में प्रवेश कर गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब आधा दर्जन लोग मलवे की चपेट में आये हैं। लेकिन ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि कितने लोग डेम की भेंट चढ़े हैं, इसने कितनी जिंदगियां लील ली हैं।
6 लोगों के गायब होने के अलावा इस घटना में कई लोग घायल भी हुए हैं। सिंगरौली कलेक्टर के वी एस चौधरी और पुलिस अधीक्षक टीके विद्यार्थी द्वारा जारी संयुक्त बयान में प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि 6 लोगों के लापता होने की आशंका है, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा। वहीं 4 बच्चों समेत करीब एक दर्जन लोग इसमें घायल हैं।
यूपी एमपी बार्ड से सटे सिंगरौली के हर्रहवा भांड़ी में स्थित रिलायंस राखड़ डेम बनाया गया था, जिसके टूटने से अब तक गांव में जान माल की कितनी क्षति हुई है, यह ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। रिलायंस प्रबंधन की लापरवाही को झेल रही यहाँ की जनता कब तक इनकी लापरवाही को इस तरह भुगतती रहेगी, यह बड़ा सवाल है।
सिंगरौली में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता मुन्ना झा कहते हैं, 'यह घटना 10 अप्रैल की शाल को 5 बजे घटी, जिसमें लगभग 6 लोग गायब हैं। हालांकि अभी ठीक—ठीक पता नहीं चल पाया है कि इसमें कितने लोगों की मौत हुई है। इस घटना के लिए पूरी तरह रिलायंस प्रबंधन जिम्मेदार है। इसके कारण सैकड़ों एकड़ फसल के बर्बाद होने की भी आशंका है।'
इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद अब तक रिलायंस प्रबंधन की ओर से किसी जिम्मेदार व्यक्ति के सामने न आने से लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
स्थानीय लोगों का कहना है मानकों को ताक पर रखकर इस बांध का निर्माण कराया गया था। इसके जर्जर होने की सूचना कंपनी प्रबंधन को पहले से ही थी, बावजूद इसे ठीक नहीं कराया गया, जिसका खामियाजा कई लोगों ने अपनी जान देकर चुकाया। इसके अलावा लोगों की संपत्तियों को भी इससे भारी नुकसान पहुंचा है। गरीबों का सबकुछ तबाह हो गया है, आखिर कौन करेगा इसकी भरपाई। पहले से ही कोरोना का कहर कम था कि एक कहर और टूट पड़ा।