7 दलित मजदूरों से 2 महीने तक काम कराने के बाद बिना पैसे दिये बाद भगा दिया ठेकेदार ने, बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रयासों से मिला न्याय

Update: 2019-10-13 04:35 GMT

जब मज़दूरों ने अपनी तय मजदूरी के हिसाब से ठेकेदार से मज़दूरी के पैसे मांगे तो ठेकेदार ने उन्हें डरा-धमकाकर और गालियां देकर भगा दिया...

जनज्वार। मध्य प्रदेश से काम की तलाश में दिल्ली आये 7 दलित मजदूरों का एक ठेकेदार ने न सिर्फ शोषण किया, बल्कि उनकी 2 महीने की मजदूरी भी उन्हें नहीं दी थी। मजदूरी मांगने पर उन्हें डराकर और गालियां देकर भगा दिया। अब इन मजदूरों को बंधुआ मुक्ति मोर्चा की पहलकदमी पर न्याय मिला है। 11 अक्टूबर मजदूरों का शोषण कर रहे ठेकेदारों ने पुलिस की मौजूदगी में गरीब मजदूरों की मजदूरी का भुगतान किया।

करीबन 3 महीने पहले मध्य प्रदेश के सागर और छत्तरपुर जिले से दलित परिवारों के 7 गरीब लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली आये। यहां वे निजामुद्दीन में किसी के माध्यम सें मुकेश शर्मा के सम्पर्क में आये, जिसने सभी मज़दूरों से उद्योग भवन के पास कुछ दिन काम कराया। फिर उसके बाद तालकटोरा एरिया के नम्बर-16, नम्बर-2 नम्बर-10 उसके बाद एयरपोर्ट के पास, मिलिट्री कैम्प-12 नम्बर, पुलिस कम्पाउंड तीन मूर्ति, आर.के.पुरम सेक्टर-6 के अलावा 10 पंत मार्ग नई दिल्ली में काम कराया।

मुकेश शर्मा ने इन मज़दूरों को दो माह तक काम का कोई पैसा नहीं दिया। जब मज़दूरों ने अपनी तय मजदूरी के हिसाब से उससे मज़दूरी के पैसे मांगे तो उसने उन्हें डरा-धमकाकर भाग जाने को कहा। गरीब मजदूर उसके सामने मजदूरी के लिए रोते-गिड़गिड़ाते रहे, मगर मुकेश और उसके साथी रामकृपाल ने उनकी एक न सुनी।

10 पंत मार्ग दिल्ली के सड़कों पर ये मज़दूर रो-बिलख रहे थे, तो किसी ने इन्हें बंधुआ मुक्ति मोर्चा के बारे में बताया। पीड़ित मजदूर 26 सितम्बर को बंधुआ मुक्ति मोर्चा कार्यालय पहुंचे और वहां से बंधुआ मुक्ति मोर्चा टीम की मदद से इन्होंने मुकेश शर्मा और उसके साथी के खिलाफ लिखित में शिकायत दर्ज कराई।

जदूरों को उनकी उचित मजदूरी और न्याय दिलाने के लिए बंधुआ मुक्ति मोर्चा से जुड़े दलसिंगार ने दिल्ली के श्रममंत्री गोपाल राय, श्रम आयुक्त दिल्ली, जिला उपायुक्त नई दिल्ली एवं पुलिस उपायुक्त नई दिल्ली तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार, भारत सरकार, एवं चीफ लेबर कशिनर, (सेन्ट्रल) को बंधुआ मज़दूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 एवं न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 तथा अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत कार्यवाही करने एवं तत्काल प्रभाव से मज़दूरों को न्याय दिलाने के संदर्भ में 27 सितम्बर, 2019 एवं 7 अक्टूबर, 2019 को एक पत्र लिखा और फोन पर बात भी की।

30 सिम्बर, 2019 को सभी मज़दूरों ने न्याय के लिए एसडीएम चाणक्यपुरी राकेश दहिया से भी मुलाकात की, जिनके निर्देश पर नाॅर्थ ऐवन्यू के थाना प्रभारी ज्ञानेन्द्र राणा एवं उनकी टीम ने त्वरित कार्रवाई की। उसी के बाद राकेश शर्मा और उसके साथी ने 11 अक्टूबर, 2019 को 10 पंडित पंत मार्ग, नई दिल्ली से मज़दूरों का मज़दूरी का भुगतान किया।

जिन मजदूरों को मजदूरी के लिए प्रताड़ित किया गया उनमें मध्य प्रदेश के सागर जिले के गूगता खुर्द गांव के 53 वर्षीय मोहन वर्ष, 51 वर्षीय फूलबाई, 21 वर्षीय धर्मेद्र, 14 साल की पूजा, 20 वर्षीय सोनू सिंह, 27 वर्षीय गोविन्द और 17 वर्षीय उमेश रजक शामिल थे।

देश के सुप्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश जी द्वारा स्थापित बंधुआ मुक्ति मोर्चा 38 वर्षों से समाज के अंतिम व्यक्ति एवं असंगठित क्षेत्र में कार्यरत बंधुआ मजदूरों के लिए न्याय दिलाने का कार्य कर रहा है, जिससे देश में कोई भी बंधुआ जीवन जीने को मज़बूर न रहे।

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