CAA-NRC से नाराज भाजपा के 76 मुस्लिम सदस्यों ने दिया इस्तीफा, बोले हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर हम कब तक फंसे रहेंगे ?

Update: 2020-01-24 08:54 GMT

सीएए-एनआरसी पर अपनो ने ही छोड़ा भाजपा का साथ, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 76 सदस्यों ने छोड़ा पार्टी का दामन, बोले धर्म के आधार पर देश को बांट रही सरकार..

जनज्वार। नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं। लोग सड़कों पर हैं लेकिन अब खुद भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के मुस्लिम सदस्य अपने समुदाय से अलग होकर भाजपा का समर्थन नहीं करना चाहते हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में असंतुष्ट सदस्य भाजपा से इस्तीफा दे रहे हैं।

नागरिकता अधिनियम के विरोध के चलते सदस्यों में फैले असंतोष के कारण मध्यप्रदेश में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के 76 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले भी अल्पसंख्यक मोर्चा के 48 सदस्यों ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद इस्तीफे की लहर हे चल पड़ी है।

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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर देश भर में चल रहे आंदोलनों से फैले असंतोष के चलते मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के 76 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।

Full View जिला अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष आदिल खान और राज्य के मीडिया प्रमुख जावेद बेग सहित अल्पसंख्यक सेल के 48 सदस्यों ने इससे पहले पद छोड़ दिया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाने वाले राजिक कुरैशी फारशीवाला ने भी भाजपा छोड़ दी है। राजिक कुरैशी फारशीवाला ने कहा कि यह केवल हम ही जानते हैं कि हमारे समुदाय के लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए मनाना कितना मुश्किल है। हम उन्हें मनाने के लिए सब कुछ करते हैं लेकिन सीएए, एनआरसी जैसे विवादास्पद मुद्दों पर भाजपा के रवैये से हमारे लिए लोगों से वोट मांगने में मुश्किल हो जाएगी।

फारशीवाला कहते हैं, 'हम हिंदू-मुस्लिम मुद्दों में कब तक फंसेंगे? क्या हमारे बच्चों को हायर ऐजुकेशन पूरा करने का मौका नहीं मिलेगा? हमने बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मामले में पार्टी की सराहना की और ट्रिपल तलाक कानून का विरोध नहीं किया लेकिन कॉमन सिविल कोड जैसे अधिक विवादास्पद मुद्दे भविष्य में दिखाई देते हैं।

न्यूज 18 के अनुसार, 'इंदौर अल्पसंख्यक मोर्चा के महासचिव वसीम इकबाल खान कहना है, 'हम ट्रिपल तलाक, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद, धारा 370 को निरस्त करने जैसे विवादास्पद मुद्दों के साथ अपने समुदाय के लोगों का साथ नहीं छोड़ सकते।' 'सीएए, एनआरसी और अन्य ऐसे कानून 85% आबादी के मन में नफरत पैदा करने का प्रयास है जो उन लोगों के खिलाफ है जो देश की आबादी का लगभग 15% हैं। हम देश के 31% निरक्षर लोगों से अपेक्षा नहीं कर सकते हैं कि वे आसानी से अपने नागरिकता के दस्तावेज पेश कर सकेंगे।'

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धर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें इस्तीफे के बारे में पता नहीं है और उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत नेताओं से बात करेंगे। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार विजयवर्गीय ने कहा, 'वे स्पष्ट रूप से निहित स्वार्थों द्वारा गुमराह किए गए हैं और पार्टी नेतृत्व निश्चित रूप से उनकी चिंताओं को दूर करेगा।'

क्या है समान नागरिक कानून ?

मान नागरिक कानून ऐसा कानून है जो देश के समस्त नागरिकों, चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। देशभर के सभी नागरिकों को चाहे वह किसी भी धर्म अथवा समुदाय का हो, सबके लिए एक जैसा ही क़ानून रहेगा।

Full View दें कि भाजपा सरकार लगातार जनता को भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि सीएए मुसलमानों के ख़िलाफ नहीं है लेकिन इसके बावजूद हर कहीं मुस्लिम समुदाय सक्रिय रूप से आंदोलनों में नजर आ रहा है। साथ ही मुस्लिम समुदाय की महिलाएं जोर-शोर से भाग ले रहीं हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद, शाहीन बाग, लखनऊ के क्लॉक टॉवर पर मुस्लिम महिलाओं के प्रदर्शन इसके उदहारण हैं।

केंद्र सरकार मुस्लिम समाज को भरोसा दिलाती रही है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी भी व्यक्ति की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन मुस्लिम समुदाय संतुष्ट नजर नहीं आता। लोगों को डर है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के बाद केंद्र सरकार एनआरसी लाएगी और फिर उनको देश से बाहर कर दिया जाएगा या अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया जाएगा।

जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी कह चुके हैं कि नागरिकता संशोधन क़ानून का हिंदुस्तान के मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है। प्रदर्शन करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है और कोई विरोध प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकता है।कोई भी हमें यह करने से रोक नहीं सकता है| यह जरुरी है कि हम इसे नियंत्रण में रहकर शांतिपूवर्क तरीके से करें तथा अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखें।

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