CAA-NPR के लिए सरकार नहीं मांग रही कोई कागज, 'कागज नहीं दिखाएंगे' के नारे के कारण आंदोलनकारियों में फैल रहा भारी भ्रम
अगर कागज दिखाने की बात को सच मानने लगे तो CAA-NRC NPR के खिलाफ खड़े आंदोलन का प्रभाव और परिणाम शून्य में तब्दील हो जाएगा, क्योंकि सरकार तीसरी बार में कागज मांगेगी, पहली बार में नहीं...
जनज्वार। CAA-NRC और NPR के विरोध में पूरे देशभर में आंदोलन हो रहे हैं। भारी संख्या में आंदोलनकारियों को पुलिस ने इस दौरान गिरफ्तार किया है और लगभग 2 दर्जन लोग इससे भड़की हिंसा में मारे जा चुके हैं।
CAA-NRC और NPR के विरोध में अब 'कागज नहीं दिखायेंगे' नारा बुलंद होता जा रहा है, मगर असलियत में CAA-NPR के लिए सरकार किसी तरह का कोई कागज नहीं मांग रही है। कागज पर आंदोलनकारी भ्रम की स्थिति में हैं। अगर आंदोलनकारी कागज दिखाने के चक्कर में पड़े तो उनका विरोध कमजोर पड़ेगा और सांप्रदायिक शक्तियां अपनी कोशिश में सही साबित होंगी।
इस मसले पर सामाजिक कार्यकर्ता मुनीष कुमार कहते हैं, लोग अगर कागज दिखाने की बात को सच मानने लगे तो यह आंदोलन का प्रभाव और परिणाम शून्य में तब्दील हो जाएगा, क्योंकि सरकार तीसरी बार में कागज मांगेगी, पहली बार में नहीं। अगर आपके घर से आकर एनपीआर वाले जानकारी ले गए, उसके बाद बहुत कम लोग बचेंगे, जिनको कागज दिखाना होगा।
मुनीष कुमार आगे कहते हैं, होना तो यह चाहिए कि CAA-NRC और NPR का विरोध करने वालों को NPR के लिए आ रहे सरकारी बाबुओं को ही अपनी डिटेल नहीं दें, जिससे इस आंदोलन को बल मिलेगा और सरकार भी बैकफुट पर जाने को मजबूर होगी।'
मुनीष कहते हैं, देशभर में ज्यादातर को अपनी जन्मतिथि को पता नहीं तो अपने माता-पिता की जन्मतिथि कैसे बता पायेंगे। इसमें हजारों हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें पहले कागज नहीं मांगे जायेंगे, जबकि एक फॉर्म में संबंधित सूचना जमा करनी होगी। इस कानून में खासतौर पर मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित रखा गया है, जिसके खिलाफ देशभर में लोग आंदोलित हैं।
आइये मुनीष कुमार से जानते हैं 'कागज नहीं दिखायेंगे' का सच, और क्यों नहीं हैं कागज दिखाने जरूरी