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उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में भी शाहीनबाग की तरह CAA के खिलाफ धरने पर बैठी महिलायें, कहा देश में अराजकता फैला रही मोदी सरकार

Nirmal kant
23 Jan 2020 1:39 PM GMT
उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में भी शाहीनबाग की तरह CAA के खिलाफ धरने पर बैठी महिलायें, कहा देश में अराजकता फैला रही मोदी सरकार
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उत्तराखंड में नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ उमड़ा जनसैलाब, प्रदर्शनकारियों ने कहा देश को बांटने और अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही मोदी सरकार...

हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट

जनज्वार। एनआरसी और सीएए के विरोध की लहर शाहीन बाग से कई शहरों का रुख कर चुकी है जिसमे अब उत्तराखंड के कुमाऊँ द्वार हल्द्वानी का नाम भी शामिल हो चुका है।CAA-NPR के लिए सरकार नहीं मांग रही कोई कागज, ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ के नारे के कारण आंदोलनकारियों में फैल रहा भारी भ्रम

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दमनकारी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह देश को बांटने और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका धरना तब तक रहेगा जब तक केन्द्र सरकार द्वारा बिल वापस नहीं लिया जाता है। कड़ाके की ठंड में घर का चूल्हा छोड़ बच्चों के साथ महिलाएं धरने पर बैठी हैं।

पर बैठी महिलाओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा नागरिक संशोधन कानून में सभी जाति और धर्म के लोगों को शामिल किया जाय। महिला एकता मंच ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हल्द्वानी में चल रहे धरना प्रदर्शन को धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया।

स्थल पर हुई सभा को संबोधित करते हुए मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि भाजपा सरकार सीएए के माध्यम से समाज को बांटने की घृणित राजनीति कर रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार हम महिलाओं को कमजोर न समझे।

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हिला नेत्री कौशल्या ने कहा कि नागरिकता कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसियों के साथ मुस्लिमों व अन्य सभी को नागरिकता दी जानी चाहिए।

प्रदर्शनकारी मरियम कहती हैं, 'हम चाहते हैं कि एनआरसी और सीएए का बहिष्कार हो, क्योंकि जो अमीर लोग हैं वो तो अपने दस्तावेज सुरक्षित रख सकते हैं लेकिन जो गरीब लोग हैं जिनके घर में बिजली तक नहीं है, वो अपने दस्तावेज सुरक्षित नहीं कर सकते। आप दस्तावेज के लिए कह रहे हैं, हम हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे।'

अन्य प्रदर्शनकारी लड़की ने कहा कि एनआरसी लागू करने के लिए मोदी सरकार ने जो CAA बनाया है, हमने देखा है कि असम में एनआरसी किया गया। वहां 19 लाख लोगों को डिटेंशन कैम्पों में डाला गया, लेकिन भारत की जनता इतनी अमीर नहीं है कि सबका अपना मकान हो। भारत की अधिकांश जनता मजदूर तबके से है। हम तो अपने दस्तावेज दिखा सकते हैं लेकिन एक रिक्शा-ऑटोचालक कहां से अपने दस्तावेज दिखाएगा।

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