उत्तराखंड में नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ उमड़ा जनसैलाब, प्रदर्शनकारियों ने कहा देश को बांटने और अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही मोदी सरकार...
हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट
जनज्वार। एनआरसी और सीएए के विरोध की लहर शाहीन बाग से कई शहरों का रुख कर चुकी है जिसमे अब उत्तराखंड के कुमाऊँ द्वार हल्द्वानी का नाम भी शामिल हो चुका है।CAA-NPR के लिए सरकार नहीं मांग रही कोई कागज, ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ के नारे के कारण आंदोलनकारियों में फैल रहा भारी भ्रम
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दमनकारी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह देश को बांटने और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका धरना तब तक रहेगा जब तक केन्द्र सरकार द्वारा बिल वापस नहीं लिया जाता है। कड़ाके की ठंड में घर का चूल्हा छोड़ बच्चों के साथ महिलाएं धरने पर बैठी हैं।
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महिला नेत्री कौशल्या ने कहा कि नागरिकता कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसियों के साथ मुस्लिमों व अन्य सभी को नागरिकता दी जानी चाहिए।
प्रदर्शनकारी मरियम कहती हैं, 'हम चाहते हैं कि एनआरसी और सीएए का बहिष्कार हो, क्योंकि जो अमीर लोग हैं वो तो अपने दस्तावेज सुरक्षित रख सकते हैं लेकिन जो गरीब लोग हैं जिनके घर में बिजली तक नहीं है, वो अपने दस्तावेज सुरक्षित नहीं कर सकते। आप दस्तावेज के लिए कह रहे हैं, हम हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे।'