पांव धोकर पिलाने वाले भाजपा सांसद को मिलेगा बेस्ट सांसद का अवार्ड

Update: 2018-09-18 10:35 GMT

पांव धोकर कार्यकर्ता को पिलाने वाले सांसद डॉ दूबे को उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू के हाथों ये पुरस्कार प्रजातांत्रिक व संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए दिया जाएगा...

सुशील मानव की रिपोर्ट

लो भाई रामराज्य आ ही गया। जनता को चरणामृत पान कराने वाले गोड्डा झारखंड से भाजपा सांसद निशिकात दूबे को लोकमत पार्लियामेंट्री अवार्ड 2018 के लिए चयनित किया गया है। उनका चयन बेस्ट सांसद के तौर पर किया गया है। नई दिल्ली में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाले समारोह में उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू के हाथों पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

बता दें कि बेस्ट सांसद के तौर पर उनका चयन करने वाली लोकमत पार्लियामेंट्री अवार्ड जूरी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी हैं। इस कमेटी में फारुख़ अब्दुल्ला, प्रो सौगत रॉय, प्रफुल पटेल, डी राजा, डॉ सुभाष कश्यप, एच के दुआ, रजत शर्मा, विजय दारदा व हरीश गुप्ता शामिल थे।

विडंबना ये कि जूरी ने इस सामंतवादी मूल्यों में विश्वास करने वाले सांसद निशिकांत दूबे का चयन बेस्ट सांसद अवार्ड के लिए करते हुए कहा कि- 'सांसद डॉ दूबे को ये पुरस्कार प्रजातांत्रिक व संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए दिया जाएगा।'

जबकि लोकमत ग्रुप ऑफ न्यूज पेपर के चेयरमैन विजय दारदा ने इसी सामंती सांसद के बारे में कहा कि- 'डॉ निशिकांत दूबे का परफार्मेंस प्रेरणास्त्रोत है। इससे सांसदों पर सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा। लोकमत ग्रुप आपके चयन पर हर्ष व्यक्त करती है।'

गौरतलब है कि झारखंड के गोड्डा जिले कलाली के कन्हवारा गांव में कझिया नदी पर 21 करोड़ की लागत से बने हाइलेवल पुल के लोकार्पण के मौके पर गोड्डा प्रखंड के पूर्व महामंत्री पवन कुमार साह ने सांसद निशिकांत दूबे के पांव पखारकर पीया।

इस दौरान निशिकांत दुबे बड़े प्रेमभाव से पांवों को पखारने और उस जल को ग्रहण करने का अवसर प्रदान करते हुए बाकायदा अपने पांव पखरवाकर सार्वजनिक चरणामृत पान करवाकर उन्हें कृतज्ञ किया। भाजपा के राम यानी सांसद निशिकांत दूबे चरणामृत देकर खुद भी गदगद हो उठे।

बता दें कि उन्हीं के संसदीय क्षेत्र के एक कार्यकर्ता पवन साह ने उनके चरणों को थाली के जल से धोया, बारी- बारी से। चरणों को धोकर तौलिए से पोंछा। फिर उस थाली के जल को, चरणामृत की तरह न केवल पिया, बल्कि उसे अपने माथे भी लगाया।

अपनी इस सामंतवादी कुकृत्य का विरोध होने पर सांसद महोदय पूरी बेशर्मी से अपना बचाव करते हुए विरोधियों को लानत देते हैं और परंपरा की दुहाई देते हुए कहते हैं कि- 'पवन साह जैसे निष्ठावान कार्यकर्ता यदि खुशी का इज़हार पैर धोकर कर रहा है तो क्या गजब हुआ? उन्होंने जनता के सामने कसम खायी थी, उनको ठेस न पहुँचे इसका मैंने सम्मान किया, पैर धोना तो झारखंड में अतिथि के लिए होता ही है, इसे राजनीतिक रंग क्यों दिया जा रहा है? अतिथि का पैर धोना गलत है क्या, अपने पुरखों से पूछिए, महाभारत में कृष्ण जी ने क्या पैर नहीं धोया था? लानत है ऐसी घटिया मानसिकता पर।'

वहीं चरणामृत पान करनेवाले पवन शाह का कहना है कि, “'2009 में पहली बार निशिकांत दूबे कन्हवारा आये थे, उन्हें बताया गया था कि कझिया नदी के पानी से टापू बन जाता है। मैंने वादा किया था कि अगर यहां पुल बन जाता है तो सार्वजनिक तौर पर पांव पखारकर पीऊँगा। आज उस पुल का शिलान्यास हो रहा था, सांसद ने अपना वादा पूरा किया तो मैंने भी अपनी कसम पूरी करने के लिए उनका पांव धोकर पीया।'

जनता के पैसे से पुल बनवाकर जनता को पुल सौंपने में भाजपा सासंद का योगदान उस क्षेत्र का प्रतिनिधि सांसद होने के नाते उनका कर्तव्य और उत्तरदायित्व था। बावजूद इसके भाजपा के राम यानी निशिंकांत दूबे ने ऐसा आचरण किया है तो ये उनकी उनके पार्टी व मातृ-संगठन की सामंतवादी वैचारिकी व आचरण का अमानवीय और बर्बर उदाहरण है।

उससे भी ज्यादा शर्मनाक है उनको श्रेष्ठ सासंद अवार्ड के लिए चुना जाना। एक सामंतवादी व्यक्ति को श्रेष्ठ सासंद घोषित करके पुरस्कृत करने के पीछे दरअसल प्रतिगामी सामंती मूल्यों की प्रतिस्थापना की सोच काम कर रही है।

यह इस दौर की पैटर्न की सोच को स्थापित करने वाली घटना है। रामकथा में केवट ने श्रीराम के चरणों को धोया पखारा और पान किया था। आम जनता के वोट से सांसद बनकर उसी जनता को पांवों में रखने वाली ये सामंतवादी सोच घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है।

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