कुमाउंनी के आंचलिक शब्दों में पिरोई गई मर्मस्पर्शी 'नेचुरल रिंगटोन’

Update: 2017-11-16 17:12 GMT

आधुनिक जीवनशैली में पढ़ाई या आजीविका के कारण गांव को छोड़कर मजबूरन शहर में बस जाने पर होने वाली छटपटाहट कहानी में बारिकी से चित्रित हुई है...

चित्तौड़गढ़, राजस्थान। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ मेंं सम्भावना संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहानीकार कर्नल मुकुल जोशी ने अपनी कहानी 'नेचुरल रिंगटोन’ का पाठ किया।

14 नवंबर को चिल्ड्रन डे पर विजन स्कूल आॅफ मैनेजमेंंट मेंं आयोजित एक संगोष्ठी मेंं कर्नल जोशी ने बडे प्रभावपूर्ण ढंग से अपनी कहानी सुनाई। कहानी में पहाड़ी गांव के वातावरण, खानपान, आस्थाएं, मानवीय पारिवारिक सम्बन्धों से लेकर गीत और परम्पराओं को पिरोया गया है।

कुमाउंनी भाषाओं के आंचलिक शब्दों ने कहानी को मर्मस्पर्शी बना दिया। आधुनिक जीवन में पढ़ाई या आजीविका के कारण गांव छोड़कर मजबूरी में शहर में बस जाने पर होने वाली छटपटाहट भी कहानी में बारिकी से चित्रित हुई है।

कहानी पाठ के बाद महेन्द्र खेरारू के सवाल के जवाब में कहानीकार ने बताया कि आधुनिक सोशल मीडिया के कारण बडी संख्या में रचनाएं इन पर आ रही है, पर जल्दबाजी के चलते इनमेंं सार्थकता की कमी है। हालांकि नये रचनाकारों को इससे प्रोत्साहन मिल रहा है, इन रचनाओ में से वे ही बचेंगी जो शाश्वत होगीं।

एम.एल.डाकोत ने पश्चिमी संस्कृति ओैर भारतीय संस्कृति मेंं बेहतर कौन का सवाल उठाया। जोशी ने बताया कि भारतीय संस्कृति विश्व मेंं प्राचीन और श्रेष्ठतम मानी जाती है, पर हमेंं सभी से उपयोगी तत्वों को ग्रहण करना चाहिए। कवि नंदकिशोर निर्झर ने कहानी पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि रचना मेंं रचनाकार बोलता है।

योगेश शर्मा ने भी अपने विचार प्रकट किये। कार्यक्रम का संचालन कर रहे लक्ष्मण व्यास के सवाल के जवाब मेंं कर्नल जोशी ने बताया कि सेना मेंं काम करना नौकरी मात्र नहीं है, यह देश की सेवा और जीवन जीने की शैली और कला है।

कार्यक्रम के शुरूआत मेंं कहानीकार का परिचय देते हुए संचालक कनक जैन ने बताया कि मुकुल जोशी का कहानी संग्रह ‘मैं यहां कुषशल से हूं’ प्रकाशित हो चुका है। उनकी कहानियां हंस, ज्ञानोदय, कथादेश जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं मेंं प्रकाशित होती रहती हैं। वे चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल सहित आॅफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई एवं पंचमढ़ी आदि स्थानों पर कार्य कर चुके हैं।

कार्यक्रम मेंं स्थानीय काॅलेज मेंं हिन्दी विभागाध्यक्ष अखिलेश चाष्टा, चित्रकार मुकेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार नटवर त्रिपाठी, विकास अग्रवाल, गोपाल जाट, ओम पालीवाल, रमेश शर्मा, बाबुखां मंसूरी, वर्षा वाडिका, पूजा जोशी, हरीश खत्री आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

विजन काॅलेज की निदेषक डाॅ. साधना मण्डलोई ने कहानीकार जोशी का स्वागत करते हुए उनके उदबोधन को विद्यार्थियों एवं साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणास्पद बताया। कार्यक्रम के अंत मेंं संभावना संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. केसी शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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