देश के सबसे बड़े कांडला पोर्ट में लगी भीषण आग, 24 घंटे बाद प्रशासन बोला 'नहीं बता सकते कब बुझेगी आग'
इतना बड़ा पोर्ट होने के बावजूद सुरक्षा की दृष्टि से बरती गयी है बहुत बड़ी कोताही, 4 लोगों की मौत, आसपास दहशत का माहौल, स्थानीय लोग कह रहे हैं नहीं बुझ पायी आग तो हो जायेगा बहुत बड़ा नुकसान...
गुजरात के कच्छ से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
कच्छ के कांडला यानी दीनदयाल बंदरगाह पर कल 30 दिसंबर के दिन में 1 बजे से आग लगी हुई है, जिसे अभी तक काबू नहीं किया जा सका। आग उस समय लगी जब कांडला पोर्ट यानी दीनदयाल के आईएमसी स्थित मेथनोल टैंक में ब्लास्ट हुआ। इस घटना में 4 मजदूरों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता है। अभी तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। प्रशासन के मुताबिक आग पर काबू पाने में अगले कई घंटे लग सकते हैं। आशंका जतायी जा रही है कि अगर जल्द ही आग पर काबू नहीं पाया जा सका तो बहुत तबाही मचेगी।
गौरतलब है कि कंडला का दीनदयाल पोर्ट भारत के सबसे बड़े बंदरगाहों में शुमाार है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इसके पास इंडियन मेलासिस कंपनी के केमिकल संग्रहण टैंक में कल 30 दिसंबर की दोपहर 1:00 बजे आग इंस्पेक्शन करते समय अचानक टेंपरेचर ज्यादा होने के कारण बहुत बड़े धमाके के साथ लगी। इस धमाके में टैंक का ढक्कन उड़ गया।
वहीं वहां मौजूद कुछ अन्य लोगों का कहना है कि टैंक में वेल्डिंग का काम हो रहा था और उसी दौरान आग लगी। इस घटना में चार लोगों की जान चली गई। धमाका इतनी जोर से हुआ था कि एक व्यक्ति का शव घटनास्थल से बहुत दूर जाकर गिरा। आग लगे टैंक में मिथेनॉल रखा हुआ था, जोकि अति ज्वलनशील पदार्थ होता है, जबकि इस टैंक के आसपास में अन्य बहुत से टैंक हैं और उनमें भी ज्वलनशील पदार्थ रखा हुआ है।
टैंकों में ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण अगर आग अगल बगल फैलती है तो बहुत ही भयानक स्थिति हो जायेगी, इसलिए आग लगे टैंक और आसपास के टैंकों को पानी डालकर ठंडा किया जा रहा है। इस घटना में जिन 4 लोगों की मौत हुई है उनमें संजय ओमकार वाघ, संजय संजू साहू, दर्शन बैजनाथ राय और ओमप्रकाश मोहन लाल रेगर शामिल हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि इतना बड़ा पोर्ट होने के बावजूद यहां आग लगने की स्थितियों से निपटने के लिए किसी तरह के उपकरण मौजूद नहीं हैं। आग लगने के कारण यहां 1800 किलोलीटर मेथेनॉल जलकर जब खाक हो जाएगा, तब इस आग पर काबू पाया जा सकता है। पिछले 24 घंटे से यह आग ऐसे ही अनवरत जल रही है।
पोर्ट प्रशासन और अग्निशमन विभाग का कहना है कि शायद इस आग पर काबू पाने में 12 घंटे का समय और लग जायेगा। इसके बाद यह अपने आप ही बुझ जाएगी, लेकिन इस आग के कारण आसपास के टैंकों में आग ना लगे इसलिए पानी का छिड़काव और फॉर्म का छिड़काव किया जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम पर दीनदयाल पोर्ट के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ओम प्रकाश दादलानी से कहते हैं, इस पूरी घटना में हताहतों की संख्या 4 है और आज शाम को इस टैंक के अंदर बड़ी पाइपलाइन से फॉर्म डालकर चार एजेंसी या साथ मिलकर आग बुझाने का काम करेंगे।
यह आग इतनी भयानक है कि आसपास रहने वाले लोगों में भय का माहौल देखने को मिल रहा है। यहां पर दीनदयाल पोर्ट की कोताही सामने आती है, इतना बड़ा बंदरगाह होने के बावजूद भी यहां पर फायर सेफ्टी की सारी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
यहां अतीत में भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जब जामनगर और राजकोट से मशीनरी मंगवा कर ऐसी आग पर काबू पाया गया है। यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि दीनदयाल पोर्ट में अरबों रुपए खर्च करके रिनोवेशन करवाया जाता है, लेकिन सुरक्षा की सुविधाओं के लिए कोई विशेष खर्च नहीं किया जाता।
इस मसले पर स्थानीय पत्रकार जावेद समा कहते हैं, दीनदयाल पोर्ट में ऐसी कई घटनाएं घटती रहती हैं, जिसकी जानकारी बाहर नहीं आती। मास्टर जगराम के केस में शिकायतें दर्ज हुई है, लेकिन ऐसे कई केस हैं जिनमें कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाती और मामला यूं ही रफा-दफा हो जाता हैं
जावेद समा के मुताबिक दीनदयाल पोर्ट में हर माह में एक से दो जहाज ग्राउंड हो जाते हैं। यहां पर ड्रेजिंग की भी पूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं जिसके कारण बड़े जहाज कांधला ना आकर मुंद्रा चले जाते हैं और इसका फायदा अडानी को मिलता है। ऐसे ही कई कारणों से दीनदयाल पोर्ट के ऊपर शंका पैदा होती है।
जावेद समा कहते हैं पहले भी जब ऐसी आग लगने की घटना हुई थी, तब आग की घटना अपने कैमरे में कैद करने वाले पत्रकारों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया था। सुरक्षा का हवाला देकर पत्रकारों को निष्पक्ष पत्रकारिता करने से रोका जाता था। दीनदयाल पोर्ट में सुरक्षा के मामले में कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें कई मानव जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं। ऐसी घटनाओं से दीनदयाल पोर्ट ना ही कोई सीख ले रहा है और ना ही मानव जिंदगियों की कीमत समझ रहा है। अब यह आग कितने घंटों बाद बुझेगी, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।