एबीवीपी की झूठी शिकायत के भरोसे गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय

Update: 2018-05-04 18:11 GMT

जिस झूठे शिकायती पत्र को आधार बनाकर चुनाव आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं शिक्षा विभाग, गुजरात प्रदेश को गुमराह किया गया और मीडिया में दुष्प्रचारित किया गया है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है....

गुजरात, जनज्वार। हाल में ही गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा एक अलोकतांत्रिक एवं अवैधानिक फैसला लेते हुए विश्वविद्यालय के 9 प्रोफेसरों को कारण बताओ नोटिस दिया है। इन प्रोफेसरों पर कथित रूप से गुजरात विधानसभा चुनाव-2017 में कांग्रेस पार्टी एवं उनके सहयोगियों के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने का आरोप लगा।

इस खबर के बारे में तमाम न्यूज़ चैनलों, अखबारों एवं सोशल मीडिया में आते ही नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- गुजरात यूनिट ने गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन के इस अवैध कृत्य को बड़ी गंभीरता से संज्ञान में लिया है।

प्राथमिक तहक़ीक़ात में पाया गया कि जिन प्रोफेसरों पर कांग्रेस को सहयोग देने का आरोप लगा, वह दरअसल आरएसएस-बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा अहस्ताक्षरित एवं अवैध शिकायत के आधार पर लगाया गया, ये तमाम आरोप बेबुनियाद एवं निराधार हैं।

जिस अवैध शिकायती पत्र को आधार बनाकर चुनाव आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं शिक्षा विभाग, गुजरात प्रदेश को गुमराह किया गया और मीडिया में दुष्प्रचारित किया गया है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पूरी परिघटना की सबसे पहले नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- गुजरात यूनिट द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की गई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन और सत्तावादी पार्टी आरएसएस-बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी की मिलीभगत एवं सोची-समझी साजिश के तहत एवं बिना किसी दस्तावेजी सबूत एवं साक्ष्य का खुलासा किये यह आरोप लगाया कि भारत सरकार के केंद्रीय सिविल सेवा के नियमों के आचरण संहिता के नियमों का उल्लंघन इन पीड़ित प्रोफेसरों द्वारा किया गया, जो बेहद हास्यास्पद है।

अगर प्रमुख अखबारों की खबरों की मानें तो उन पर मुख्य आरोप था कि इन सभी प्रोफेसरों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के हाल के ही सम्पन्न हुए गुजरात चुनाव के दौरान पिछले साल यानि 24 नवंबर के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी और उनकी पार्टी के अन्य सहयोगियों के भी विधानसभा चुनाव प्रचार का कथित रूप से हिस्सा रहे हैं।

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है जहां सबको अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत किसी भी से मिलने-जुलने के लिए स्वतंत्र है।

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- गुजरात यूनिट सीयूजी ने प्रशासन से मांग की है कि एबीवीपी के अहस्ताक्षरित एवं अवैध शिकायत पत्र को आधार बनाकर लगाए गए सभी आरोपों को ख़ारिज कर उन सभी प्रोफेसरों के दिये गए कारण बताओ की नोटिस को तत्काल प्रभाव से तुरंत वापस लिया जाय।

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- गुजरात यूनिट ने कहा है कि गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन के इस अनैतिक एवं अवैध कदम व सत्ता की सह में लिए फ़ांसीवादी एवं अलोकतांत्रिक फैसले के खिलाफ कभी धरना-प्रदर्शन एवं आंदोलन के माध्यम से करारा जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इसके घटना के बाबत में अपनी बात रखते हुए एनएसयूआई- गुजरात स्टेट यूनिट के राज्य महासचिव ‘अमित पारेख’ ने खुले शब्दों में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना बीजेपी-आरएसएस के फासीवादी और तानाशाही शासन स्पष्ट प्रतीक है, जहां वे देशभर में सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने व विपक्ष की तरफ से उठ रही हर एक आवाज दबाने के लिए लगातार षड्यंत्र कर रहे हैं।

एनएसयूआई का कहना है कि सरकार विशेष रूप से उच्च शैक्षणिक संस्थान को लगातार टार्गेट कर उस संस्थान को ही बदनाम करने की कोशिशों में लगे हुई है, लेकिन अब छात्र आरएसएस/बीजेपी/एबीवीपी के किसी भी अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक हरकत को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

एनएसयूआई-गुजरात राज्य इकाई ने कहा है कि भविष्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम का दुरुपयोग कर उसे बदनाम करने तथा इस तरह से सीयूजी जैसे उच्च शैक्षणिक संस्थानों सुनियोजित तरीके से लक्षित करने के खिलाफ प्रदेश भर का हमारा कार्यकर्ता एक-जुट होकर सीयूजी प्रशासन के इस कुनीतियों एवं तानाशाही रवैये के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

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