बड़ी उम्मीद के साथ बदलाव का सपना लेकर आये पत्रकार टूटी उम्मीदों के साथ छोड़ रहे आम आदमी पार्टी, दिल्ली महिला आयोग में मीडिया एडवाइजर रहे पत्रकार भूपेंदर सिंह भी छोड़ चुके हैं पिछले साल पार्टी....
दिल्ली, जनज्वार। 2011 में अन्ना आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी से शुरुआत से ही बिखरने लगी थी, मगर सत्ता में आने के बाद लग रहा था स्थितियां ठीक हैं। हालांकि बीच—बीच में अनेक लोगों ने पार्टी छोड़ी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में पार्टी से जुड़े पत्रकार से नेता बने दो पत्रकारों आशुतोष और आशीष खेतान के इस्तीफा देने से आम आदमी पार्टी में भूचाल आ गया है।
कुछ दिन पहले आईबीएन-7 चैनल के मैनेजिंग एडिटर रहे आशुतोष ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब आज 22 अगस्त सुबह सुबह दिल्ली डायलॉग कमीशन के वाईस चेयरमैन रहे आशीष खेतान ने भी पार्टी छोड़ देने का ऐलान किया। आम आदमी पार्टी की तरफ से फिर वही पुराना गीत गया जा रहा है कि आशीष खेतान को मनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ दिन पहले आशुतोष ने भी जब पार्टी से इस्तीफा दिया था, तो पार्टी की तरफ से यही कहा गया था की पार्टी उनको मनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।
आखिर क्या वजह है कि पत्रकार पार्टी छोड़ रहे हैं, जबकि योगेंद्र यादव जैसे नामचीन लोगों को पार्टी ने खुद बाहर का रास्ता दिखाया। दरअसल ये पत्रकार अपनी अपनी जगह अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे। जब पार्टी बनी और उसके बाद सरकार तो इनको लगा कि अब तक जो वह दूसरी सरकारों की कमियां, सस्ती राजनीति, वोट बैंक की राजनीति और धूर्तता उजागर करते आये हैं, वो अपनी पार्टी और अपनी पार्टी की सरकार में नहीं होने देंगे।
लेकिन कुछ ही सालों में अरविन्द केजरीवाल के हिटलरशाही रवैये और अन्य पार्टियों की तरह वोट बैंक की राजनीति व पैसे लेकर टिकट बेचने के आरोपों के बाद से लोगों को इस पार्टी व दूसरी पार्टियों में कोई ख़ास फर्क नहीं नज़र आया और पत्रकारों से नेता बने इन लोगों ने पार्टी छोड़ना ही बेहतर समझा।
दिल्ली महिला आयोग में मीडिया एडवाइजर का पद संभाल रहे व अन्ना आंदोलन व पार्टी के बनने से जुड़े रहे भूपेंदर सिंह ने भी पिछले साल पार्टी के सभी पदों और दिल्ली महिला आयोग के मीडिया एडवाइजर के पद से इस्तीफा दे दिया था। राजनितिक गलियारों में पत्रकारों के पार्टी छोड़ने को लेकर अलग अलग चर्चाओं का बाजार गर्म है।
कुछ लोगों का कहना है अरविन्द केजरीवाल सबसे अलग राजनीति करने आये थे, वही अब लालू के बेटे, मुलायम के बेटे के साथ नज़र आते हैं। और उनके पार्टी के नेता राहुल गाँधी के फ़ोन के इंतज़ार में कई कई बार प्रेस कांफ्रेंस कर डालते हैं।
पार्टी सूत्रों का ही कहना है कि पिछले साल राज्यसभा की 2जी अर्थात सुशील गुप्ता और एंडी गुप्ता को टिकट बेचने से पार्टी में कई लोग नाराज़ थे, जिसका नतीजा ये इस्तीफा है। कुछ लोगों का कहना है कि आशुतोष को राज्यसभा की टिकट नहीं मिली, इसलिए वो पार्टी छोड़ गए। जबकि कुछ लोगों का ये भी कहना है की उन्हें पार्टी राज्यसभा भेज रही थी, लेकिन उन्होंने सुशील गुप्ता के साथ राज्यसभा जाने से मना कर दिया था। उसके बाद ही एंडी गुप्ता को राज्य सभा की टिकट दी गई।
अब आशीष खेतान को लेकर कहा जा रहा है कि वह नई दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। पिछली बार वह नई दिल्ली से ही लोकसभा का चुनाव हारे थे, लेकिन उनका कहना है कि वो कानून की पढाई करने के लिए विदेश जाना चाहते हैं इसलिए पार्टी छोड़ रहे हैं। वहीं नई दिल्ली से पार्टी ने वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर ली थी। लेकिन ऐन मौके पर वो भी पीछे हट गए और अब पार्टी की मुसीबत बढ़ गई है।
एक के बाद आप नेताओं के पार्टी छोड़ने पर बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार राजेश प्रियदर्शी एफबी पर लिखते हैं, 'योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार, आधा पंजाब, आशुतोष और अब आशीष खेतान ये सब आम आदमी नहीं हैं। केवल सरजी आम आदमी हैं।'