नवरात्रों के बाद अब अच्छे दिनों की उम्मीद कर रहे पंजाब-हरियाणा के पोल्र्टी फार्मर्स
हरियाणा सरकार ने अंडे व चिकन की बिक्री की दी मंजूरी, बताया आवश्यक वस्तुओं में आता है पोल्ट्री भी। लॉकडाउन की वजह से गंभीर आर्थिक संकट से दो चार हो रहे थे किसान...
जनज्वार ब्यूरो चंडीगढ़। हरियाणा और पंजाब के पोल्ट्री उत्पादक किसानों को उम्मीद है कि नवरात्र के बाद अब उनके अच्छे दिन आ सकते हैं। लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा आर्थिक संकट का सामना पोल्ट्री उत्पादक किसानों को उठाना पड़ रहा है। हरियाणा में एक माह में किसानों को 2500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
स्थिति यह है कि किसान चूजे फार्म से निकाल कर फेंक रहे हैं। पूरा पोल्ट्री उद्योग इस बार ठप हो गया है। हेचरी और अंडे उत्पादन के साथ साथ चिकन की मार्केट भी इस वक्त जीरो हो गयी है।
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किसानों ने बताया कि अंडे की बिक्री बहुत कम हो गयी है। चिकन के दाम 120 रुपये प्रति किलो ग्राम से 30 से 35 रुपये तक आ गये थे। लॉकडाउन होने की वजह से आवाजही बंद होने की वजह से अंडों की सप्लाई नहीं हो पा रही थी। यूथ पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के प्रवक्ता संदीप सिंह ने बताया कि इस बार हर तरफ से मार पड़ी है। एक तो रेट डाउन आ गये। अफवाहों ने भी काम खराब कर दिया।
उन्होंने बताया कि मार्केट में इस तरह की अफवाह थी कि कोरोना वायरस पक्षियों और जानवरों से फैल रहा है। सरकारी स्तर पर इस अफवाह का खंडन करने की दिशा में कुछ नहीं हुआ। इस वजह से भी लोगों ने अंडे व चिकन से दूरी बना ली थी। उन्होंने बताया कि रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी है। इस वक्त फीड तक नहीं मिल रही है।
पशुपालन और डेयरी विभाग, हरियाणा के प्रधान सचिव, राजा शेखर ने बताया कि सभी नगरपालिका और निकायों को बोल दिया गया कि पोल्ट्री को भी आवश्यक वस्तु के रूप में माना जाये। उन्होंने कहा कि इसी बिक्री होने दे। इसके साथ ही लोगों को जागरूक करें कि अंडे व पोल्ट्री प्रोडेकट बिलकुल सुरक्षित है।
प्रधान सचिव ने यह भी बताया कि भारत सरकार ने भी 30 मार्च को स्पष्ट किया है कि चिकन और अंडे प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत। इससे खाने वाले की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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पोल्ट्री फार्मर्स ने बताया कि हालांकि अभी विपरीत हालात है। इससे उभरने के लिए अभी समय लगेगा। क्योंकि अभी भी परिवहन की समस्या उनके सामने खड़ी है। इस हालत में उन्हें माल को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाना भी खासा मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि अंडे हिमाचल और उत्तराखंड में सप्लाई होते हैं, जबकि चिकन दिल्ली। अब न तो वह हिमाचल और उत्तराखंड जा पा रहे हैं न दिल्ली।
उन्होंने मांग की कि सरकार की ओर से उन्हें इस तरह के पास दिये जाए जिससे वह अपना माल दूसरे राज्यों में लेकर जा सके। यदि ऐसा नहीं होता तो प्रदेश में अंडे व चिकन की इतनी बिक्री नहीं होगी कि उनका काम चल सके।