कोरोना इलाज की मुश्किलों को सोशल मीडिया पर शेयर करने वाले डॉक्टर को ममता ने भेजा जेल
पश्चिम बंगाल में डॉक्टर के उत्पीड़न का मामला आया सामने तो दिल्ली में हिंदूराव अस्पताल के 4 डॉक्टरों ने सुरक्षा उपकरण न मिलने पर सौंपा प्रबंधन को अपना इस्तीफ़ा....
जेपी सिंह की टिप्पणी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को उस डॉक्टर का जब्त किया गया मोबाइल फोन और सिम कार्ड फौरन लौटने के निर्देश दिए हैं जिसने कोरोना वायरस के मरीजों और संदिग्धों का इलाज कर रहे साथी डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपकरण की कथित कमी का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किए थे।
कैंसर रोग चिकित्सक इंद्रनील खान ने बुधवार 1 मार्च को अदालत का रुख करते हुए पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। जस्टिस आईपी मुखर्जी ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को राज्य द्वारा स्पष्ट रूप से बरकरार रखा जाना चाहिए। यदि विचारों की अभिव्यक्ति से सरकार असहमत है, तो वह इस आरोप का बचाव नहीं कर सकती है कि उस व्यक्ति को लंबे समय तक पूछताछ की योजना है तथा उसे गिरफ्तार करने और उसके मोबाइल फोन और सिमकार्ड को जब्त करने की धमकी दी जा रही है।
इस बीच उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा संचालित हिंदूराव अस्पताल के चार कॉन्ट्रैक्चुअल डाक्टरों ने कथित रूप से निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया नहीं कराने के कारण इस्तीफा दे दिया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की मांगों को सुनने के बजाय उन पर कार्रवाई की बात की है। अस्पताल प्रशासन ने कहा है इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा और डॉक्टरों एवं नर्सों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
हिंदू राव अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी एक ऑफिस ऑर्डर में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों एवं नर्सों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाएंगे और उनके नामों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल ऑफिस और नर्सिल काउंसिल ऑफ इंडिया के ऑफिस में भेजा जाएगा।
दरअसल चउत्तरी दिल्ली मुंसिपल कारपोरेशन द्वारा संचालित बारा हिन्दूराव अस्पताल में कोरोना वायरस के 14 बेड और 19 आइसोलेशन वार्ड स्थापित किए गए हैं। हॉस्पिटल के 6 डॉक्टर और स्टाफ नर्स ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) यानी सेफ्टी किट की कमी के कारण काम करने से इंकार कर दिया। काफी विरोध के बाद भी जब डॉक्टर्स को किट उपलब्ध नहीं कराई गई तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
बात जब ऊपर पहुंची तो डॉक्टरों को किट उपलब्ध कराने की बजाय तुगलकी फऱमान जारी कर दिया गया। चिकित्सकों और नर्सों को कोरोनोवायरस रोगियों के इलाज के लिए पर्याप्त पीपीई उपकरण की आवश्यकता थी जो उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई और न ही इस पर कोई आश्वासन दिया गया।
गौरतलब है कि पश्चिम मंगल में कैंसर रोग चिकित्सक इंद्रनील खान पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से उसके अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को सुरक्षा उपकरण कथित तौर पर मुहैया न कराने के संबंध में फेसबुक पर कुछ पोस्ट करने के लिए दक्षिण 24 परगना जिले के माहेस्ताला पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कलकत्ता हाईकोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केवल आवश्यक मामलों पर ही सुनवाई कर रहा है। जस्टिस आईपी मुखर्जी ने डॉक्टर के पोस्ट पढ़े। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि रिट याचिकाकर्ता द्वारा किए गए ट्वीट के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मामले पर प्रकाश डालने के लिए उसका आभार जताया था।
अदालत ने कहा कि अगर किसी विचार की अभिव्यक्ति से सरकार का अपमान होता है तो वह विचार व्यक्त करने वाले व्यक्ति को डराकर आरोप से बचाव नहीं कर सकती।
जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि राज्य ऐसा तब कर सकता है कि जब कोई नागरिक किसी दूसरे व्यक्ति या देश के वृहद हित को नुकसान पहुंचाने की मंशा से दुर्भावनापूर्वक कथित तथ्यों का प्रसार करने की कोशिश करके इस आजादी का इस्तेमाल करने का प्रयास करता है।
उन्होंने आदेश दिया कि अगर प्रथम दृष्टया सभी सबूत अपराध का खुलासा करें तो पुलिस याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किए बगैर उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सकती है। याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत ने डॉक्टरों को कुछ समय के लिए इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट न करने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि कैंसर स्पेशलिस्ट इंद्रनील ख़ान ने शिकायत की थी कि पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में डॉक्टर रेनकोट पहनकर अपना कार्य करने को विवश हैं। यहाँ तक कि वहाँ के डॉक्टरों को घटिया गुणवत्ता वाले मास्क पहनने को मजबूर होना पड़ रहा है। चूँकि कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और मेडिकल कर्मचारी पहली पंक्ति में हैं, इसीलिए उनके संक्रमित होने का ज्यादा ख़तरा है। ऐसे में उन्हें ज़रूरी संसाधन और उपकरण न मुहैया कराया जाना ममता बनर्जी की सरकार की ग़लती है। इसी ग़लती को डॉक्टर ख़ान ने उजागर किया।
डॉक्टर ख़ान ने सीधा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गुहार लगाई कि अगर स्थिति संभाली नहीं गई तो इससे बड़ी तबाही हो सकती है। उनकी इस शिकायत के बाद पश्चिम बंगाल के ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग’ ने डॉक्टर ख़ान को इस मुद्दे को हाइलाइट करने के लिए धन्यवाद दिया।
विभाग ने बताया कि डॉक्टरों को माइक्रो-फाइबर से बने ‘पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट’ देने की व्यवस्था की जा रही है, जो सभी मानकों पर खड़ा करें। इसके बाद डॉक्टर ख़ान ने विभाग को उनकी शिकायत सुनने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मेडिकल कर्मचारी व डॉक्टर्स सबसे ज्यादा कोरोना की जद में हैं, ऐसे में उनके लिए ये व्यवस्थाएँ होनी चाहिए।
बाद में ख़बर आई कि ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर इंद्रनील ख़ान को रातोंरात माहेस्थाला पुलिस उठाकर ले गई और उन्हें हिरासत में रख लिया गया। कहा जा रहा है कि सरकार की खामियों को उजागर करने की उन्हें सज़ा दी गई है। डॉक्टर ख़ान को जिंजीरा बाजार इन्वेस्टीगेशन सेंटर में हिरासत में लेकर रखा गया। उन्हें रविवार (मार्च 29, 2020) को रात 9:30 बजे उठाया गया और रात 2 बजे तक हिरासत में रखा गया। साथ ही उनका फोन सीज कर लिया गया।
पश्चिम बंगाल में कोरोना के अब तक 26 मामले सामने आ चुके हैं और उनमें से 4 की मृत्यु हो चुकी है। कुल 22 सक्रिय मामले अभी भी मौजूद हैं। इनमें से किसी को भी ठीक नहीं किया जा सका है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देने की बजाए खामियों की तरफ ध्यान दिलाने वालों पर कार्रवाई करने में लगी हुई है।