नगर निगम के साथ सीओ और सिटी मजिस्ट्रेट भी मौके पर मौजूद थे, उनकी मौजूदगी में लगभग 200 मलिन बस्ती वासियों को पुलिस तथा प्रशासन ने क्रूरता तथा बेशर्मी के साथ उनकी झोपड़ियों से बेदख़ल करके जेसीबी से ढहा दिया गया....
सुशील मानव की रिपोर्ट
इलाहाबाद, जनज्वार। 30 मार्च 2019 को मोदी सरकार का ‘विकास’ अपने लाव लश्कर यानी बुलडोजर, जेसीबी और करेली, कोतवाली, शाहगंज और खुल्दाबाद की फोर्स के डेढ़ सौ पुलिस वालों के साथ चलकर इलाहाबाद के शिब्बन घाट बस्ती (करेला बाग) में पहुँचा। विकास के पहुंचते ही 70 साल से इस जगह रह रहे लोगों को उजाड़कर बेघर कर दिया गया। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक यह झोपड़पट्टी अवैध रूप से बसी थी।
बस्ती के लोगों का आरोप है कि, न तो उन्हें कोई पूर्व सूचना दी गई, न ही अपना सामान निकालने का समय। जो कुछ भी उनके पास थोड़ा बहुत सामान-बर्तन था उसे उनके अस्तित्व की तरह बुलडोजर के नीचे कुचलकर नष्ट कर दिया गया। विरोध करने पर उन्हें बर्बरतापूर्वक मारा-पीटा गया। नगर निगम की टीम के साथ कई थानों फोर्स और अधिकारी पहुंचे और बुलडोजर और जेसीबी से हमारी बस्ती जमींदोज कर दी।
सूचना मिलने पर विरोध की अगुवाई करने पहुंचे पूर्व पार्षद शिव सेवक सिंह को भी मारा-पीटा गया और उन्हें सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जेल में डाल दिया गया। यहां की महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा गया। उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। गौरतलब है कि शिब्बन घाट पर तीस घरों की बस्ती थी, जोकि सैकड़ों लोगों के सिर पर छत देती थी।
नगर निगम के लोगों के साथ सीओ और सिटी मजिस्ट्रेट भी मौके पर मौजूद थे, उनकी मौजूदगी में लगभग 200 मलिन बस्ती वासियों को पुलिस तथा प्रशासन ने क्रूरता तथा बेशर्मी के साथ उनकी झोपड़ियों से बेदख़ल करके जेसीबी से ढहा दिया गया। महिलाओं, लडकियों, बच्चों तथा बुजुर्गों तक को निर्लज्जतापूर्वक पीटा गया। रोती—कलपती महिलाओं तथा बिलखते बच्चों तथा लड़कियों पर किसी को भी दया नहीं आई।
सामाजिक कार्यकर्ता निधि मिश्रा कहती हैं, 'कुछ लोगों ने फेसबुक पर कैंपेन चला रखा है कि मोदी को इसलिए दुबारा चुनना चाहिए, क्योंकि देश को 'मजबूत सरकार' की ज़रूरत है, जो जेहादियों के आतंक से भारत को बचा सकें। दुनियाभर के देशों से जेहादी आतंक की कहानियां ढूंढ—ढूंढकर परोसी जा रही हैं। जिस देश में सबसे ज़्यादा आतंक खुद सरकार ने मचा रखा हो, उसको जेहादी आतंक की ज़रूरत नहीं।'
निधि आगे कहती हैं, 'आपके पेशानी पर बल भी न पड़ेगा, क्योंकि आपकी "दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ" वाली पिकनिक तो स्विस कॉटेज में हो चुकी, फोटुएं खीची जा चुकीं, कला प्रेम प्रदर्शित किया जा चुका। आपके पक्के घरों के आगे की चौड़ी पक्की सड़क और चौड़ी हो चुकी, आपके शहर के चौराहों पर रंग बिरंगी सुंदर मूर्तियां लग चुकी, फव्वारे लग गये।'
बकौल निधि, 'आपके मन लायक विकास तो हो चुका। इन उजड़ते घरों की न आप फोटो खींचेंगे, न सवाल उठाएंगे, न आपको यहां आतंकवाद दिखेगा। क्योंकि आपकी नज़र में आतंकवाद तो तब ही होता है जब कहीं बम ब्लास्ट होता है या कोई फिदायीन खुद को उड़ा देता। ग़रीब लोगों के चेहरों पर ये विकास के आतंक की छाया आपको नहीं दिखेगी, क्योंकि 'मजबूत सरकार' ने मजबूती से आपकी समझ और संवेदना पर कब्ज़ा कर लिया है।'
नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक झोपड़पट्टी अवैध रूप से बसी थी। यह सरकारी ज़मीन थी। सवाल यह है कि क्या इस देश का नागरिक जिसकी पास कोई जमीन या आवास नहीं है, जिसके पास सिर छिपाने की जगह नहीं है वह कहाँ रहेगा? सूत्रों के मुताबिक कूड़ाघर बनाने के लिये करैल बाग़ की झोपड़पट्टियों को उजाड़ा गया है। सरकार के इस कदम से स्पष्ट हो जाता है कि इस देश में अब मनुष्य का जीवन कूड़े-कचरे से भी गया गुज़रा है।
इस मामले में नागरिक समाज इलाहाबाद की ओर से इस घटना की घोर निंदा करते हुए थानाध्य़क्ष करेली को अविलम्ब बर्खास्त करने की माँग की गई और इस घटना के विरोध 1 अप्रैल, 2019 को ज़िलाधिकारी प्रयागराज के कार्यालय पर धरना देकर विरोध-प्रदर्शन किया गया।