अज्ञात हमलावर द्वारा यह हमला उमर खालिद को जान से मारने के लिए किया गया था....
जनज्वार, दिल्ली। राजधानी दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर एक अज्ञात हमलावर ने जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद पर गोली चलाई। उमर खालिद सुरक्षित हैं। किसी और के भी अभी तक इस दौरान किसी के हताहत या घायल होने की खबर नहीं है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अज्ञात हमलावर द्वारा यह हमला उमर खालिद को जान से मारने के लिए किया गया था।
मोदी राज में उमर खालिद पर इस तरह से हुए हमले को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए सोशल मीडिया पर लोग तरह—तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। इसका विरोध करते हुए अंकित सिंह नाम के एक ट्वीटर यूजर लिखते हैं कि यह अस्वीकार्य है। एक लोकतांत्रिक देश में सबको अपनी अलग—अलग राय और मत रखने का अधिकार है। लेकिन किसी की आवाज दबाने के लिए हिंसा का सहारा लेना सरासर गलत है।
रफी मार्ग पर हुई गोलीबारी कर मामले में अपने को चश्मदीद बता रहे पत्रकार संतोष कुमार का कहना है कि 'चाय की दुकान पर अचानक दो लड़कों के बीच झगड़ा हुआ। एक लड़की ने बीच-बचाव की कोशिश की,तभी एक लड़के ने पिस्तौल निकालकर फायर किया, लेकिन गोली नहीं चली। बाद में हमलावर हवाई फायर कर फरार हो गया। तब तक उमर खालिद मौके पर नहीं था।'
मौके पर मौजूद चश्मदीदों जोकि उमर के साथी हैं, के मुताबिक छात्र नेता उमर खालिद हमारे साथ एक कार्यक्रम में आया था। जब हम एक चाय के स्टॉल पर थे तभी सफेद शर्ट पहने एक शख्स पास आया, उसने पहले धक्का मारा फिर फायरिंग कर दी। धक्के की वजह से खालिद गिर गया और गोली उसके पास से निकल गई। हमने उसको पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसने हवा में कई बार फायरिंग और वह भागने में कामयाब हो गया।
जेएनयू में उनके साथी और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने उमर खालिद पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह हम लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है, ताकि हम लोग डरकर चुप बैठ जाएं।
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जेएनयू के कुछ दिन पहले पूर्व छात्र अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद के अलावा कुछ अन्य छात्रों के खिलाफ जेएनयू प्राधिकार द्वारा लगाए जुर्माने को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन की यह कार्रवाई तर्कहीन थी। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत विरोधी कथित नारेबाजी की एक घटना के सिलसिले में यह फैसला दिया है। उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अन्य कुछ छात्रों ने अपने ऊपर लगाए जुर्माने और कमेटी की सिफारिशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
जेएनयू के अपीलीय प्राधिकार द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद के खिलाफ लगाए जुर्माने के आदेश को निरस्त कर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि जेएनयू कार्यालय का आदेश अनगिनत बिंदुओं पर टिकने योग्य ही नहीं है। कोर्ट के इस कथन के बाद जेएनयू के वकील ने कोर्ट से दलील दी कि वह इस फैसले को वापस ले रहे हैं।
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घटनाक्रम के मुताबिक विश्वविद्यालय परिसर ने मामला दर्ज किया था कि 2016 में अफजल गुरू को फांसी देने के खिलाफ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और उनके साथियों ने भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। इसी घटना के बाद जेएनयू प्रशासन ने कन्हैया कुमार को अनुशासनहीनता का दोषी ठहराते हुए उन पर 10 हजार रुपए का दंड भी लगाया था।
माना जा रहा है कि उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अन्य छात्रों पर से हटे देशद्रोही के ठप्पे के बाद यह कार्रवाई की गई है। कुछ हिंदुवादी और अराजक तत्वों की योजना इन्हें देशद्रोही और उमर खालिद को आतंकी ठहराने की थी।