एपेक्स नर्सिंग कॉलेज के फर्जीवाड़े का नया खुलासा

Update: 2017-07-27 15:47 GMT

जनज्वार, बनारस। अपेक्स नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा प्रकरण में नए—नए खुलासे सामने आने लगे हैं। इस मामले में लगाई गई तमाम आरटीआई के जवाब में संबंधित संस्थानों ने जो जवाब दिए हैं, उससे इसके फर्जीवाड़े और काले चिट्ठे सबके सामने उजागर हो रहे हैं।

गौरतलब है कि आरटीआई एक्टिवस्ट अवधेश दीक्षित ने इसकी मान्यता को लेकर एक आरटीआई दायर की थी, जिसके जवाब में चार जुलाई को इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने उक्त कॉलेज की 2017—18 में मान्यता समाप्त करने की जानकारी दी है।

इस खुलासे के बाद से ही फर्जीवाड़े से पीड़ित अपेक्स के छात्रों में जबर्दस्त रोष व्याप्त था और उन्होंने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। मगर बजाय उनकी आवाज सुनने के पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कॉलेज प्रबंधन का ही साथ दिया।

गौरतलब है कि बनारस के डीएलडब्लू हाइड्रिल रोड स्थित एपेक्स नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को जब से पता चला है कि नर्सिंग कोर्स की मान्यता के बगैर ही नर्सिंग कॉलेज नर्सिंग की पढ़ाई करा रहा था, तबसे छात्रों की हालत पागलों जैसी हो गयी है। छात्र—छात्राएं परेशान हैं, रो—धो रहे हैं और चारों ओर गुजारिश करते फिर रहे हैं कि उनके बर्बाद हुए तीन साल कोई लौटा दे। वह हाथ जोड़ गुजारिश कर रहे हैं कि कोई उनके सपनों को भी लौटा दे जिसको देखते हुए उनके अभिभावकों ने अपने बच्चों पर लाखों रुपए खर्च किए।

एपेक्स कॉलेज के फर्जी होने की जानकारी के बाद आंदोलनकारी छात्रों को प्रबंधकों ने पीटा और छात्राओं से दुष्कर्म की धमकी दी थी। आंदोलनरत छात्राओं के साथ हुई मारपीट और अभद्रता के मामले में अस्पताल के चेयरमैन समेत अन्य लोगों पर नौ संगीन धाराओं में नौ जुलाई को मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यहां यह बताना भी जरूरी है कि अपेक्स की मान्यता को लेकर छात्रायें पिछले तीन महीने से कॉलेज प्रशासन समेत तमाम मंत्रियों और प्रदेश के मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुकी हैं, मगर प्रशासन कॉलेज प्रबंधन के साथ ही खड़ा नजर आ रहा है। 

इस फर्जीवाडे़ के खुलासे के लिए अलग—अलग संस्थानों में आरटीआई से सूचना मांगी गयी थी। इसी क्रम में अवधेश दीक्षित द्वारा केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) में लगाई गई आरटीआई का जवाब 20 जुलाई को दिया गया, जिसमें यह खुलासा हुआ कि केजीएमयू ने 21 अप्रैल 2015 को अपेक्स नर्सिंग कॉलेज की सम्बद्धता समाप्त कर दी थी।

इतना ही नहीं केजीएमयू द्वारा उक्त कॉलेज की सम्बद्धता समाप्ति का कारण अपेक्स की अनियमितताओं को ठहराया है। केजीएमयू द्वारा अपेक्स नर्सिंग कॉलेज को वहां जारी अनियमितताओं को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था, मगर अपने गरूर में नर्सिंग कॉलेज ने उसका जवाब तक देने की जरूरत नहीं समझी।

समयसीमा के भीतर जब अनियमितताओं से सम्बंधित कारण बताओ नोटिस का जवाब अपेक्स कॉलेज ने केजीएमयू को नहीं दिया तो 21 अप्रैल 2015 को वाइस चांसलर के आदेशानुसार तत्कालीन कुल सचिव केजीएमयू ने अपेक्स की सम्बद्धता समाप्त कर इसकी सूचना शासन को भेज दी थी।

अपेक्स नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है, क्योंकि इन संस्थानों के साथ ही एक जून को काशी विद्यापीठ से भी आरटीआई से तमाम बिंदुओं पर जानकारी मांगी गयी थी, लेकिन चालीस दिन से भी ज्यादा का समय हो जाने के बाद वहां से अभी तक आरटीआई का कोई जवाब नहीं दिया गया है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की इस मामले में चुप्पी संदिग्ध है। कॉलेज सूत्रों के मुताबिक इस मामले में उसकी मिलीभगत होने की संभावना है। हालांकि इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता अवधेश दीक्षित ने विद्यापीठ के कुलसचिव और कुलपति दोनों से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए सूचना देने में हीलाहवाली करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग भी की है।

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