बंगाल दंगे में बेटे के मारे जाने पर इमाम ने कहा, किसी ने बदले की सोची तो मैं छोड़ दूंगा शहर और मस्जिद

Update: 2018-03-30 17:38 GMT

अगर भारत में इमाम जैसे मिजाज के लोग होने लगे पैदा तो दंगों का मेला लगना हो जाएगा बंद, चुनावी पार्टियों के लिए वोटर होंगे नागरिक न कि दंगाइयों—फसादियों की भीड़

पूरे बंगाल को दंगों की आग में झोंकने की तैयारी कर चुके संघ समर्थकों के लिए यह बुरी खबर है कि एक इमाम ने बेटे की हत्या के बाद ऐसी अपील की है जिसकी कट्टरपंथियों को नहीं थी कोई उम्मीद

जनज्वार, कोलकाता। पिछले चार दिनों से पश्चिम बंगाल के आसनसोल में चल रहा हिंसा का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हिंसा रामनवमी के दिन 25 मार्च को भड़की जब वहां गाने—बजाने और हुड़दंगई को लेकर विरोध हुआ। इस हिंसा में अब तक चार लोगों की हत्या हो चुकी है। कल 16 वर्षीय एक युवक को दंगाई भीड़ ने पीट—पीट कर मार डाला।

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25 मार्च, रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक चार लोग मारे जा चुके हैं। हिंसा कम होने के बजाय और भी ज्यादा भड़कती जा रही है। जो चौथा शख्स दंगे की भेंट चढ़ा वह एक मुस्लिम नाबालिग युवा है।

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मारे गए 16 वर्षीय युवक के पिता मौलाना इम्दादुल रशीदी हिंसाग्रस्त आसनसोल की एक मस्जिद के इमाम हैं। बेटे सिबतुल्ला रशीदी की हत्या के बाद 29 मार्च को आसनसोल में एक समूह को संबोधित करते हुए लोगों से शांति की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने बदले की बात की तो वे मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे।

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दंगे में मारा गया सिबतुल्ला रशीदी आखिरी बार बोर्ड की परीक्षा के समय दिखाई दिया, उसके बाद से वह गायब था। दंगा आसनसोल के रेल पार इलाके में भड़का है।

गौरतलब है कि जैसे ही सिबतुल्ला की मौत की खबर सामने आई, मुस्लिम समुदाय के लोग आसनसोल के ईदगाह के मैदान में एकजुट होने लगे हजारों की तादाद में लोग एकत्रित हो गए थे, जो बदले की बातें कर रहे थे, मगर दंगे में अपने बेटे को खो चुके मौलाना ने शांति की अपील कर उस भीड़ को शांत कराया।

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बताया जा रहा है कि मौलाना इम्दादुल रशीदी के 16 वर्षीय बेटे सिबतुल्ला रशीदी रविवार से ही गायब था। उन्होंने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी जिसके बाद पुलिस ने इंतजार करने की बात कही थी। फिर गुरुवार की सुबह पुलिस ने फोन कर सिबतुल्ला के पिता को बताया कि एक लाश मिली है और पहचान के लिए बुलाया।

थाने पहुंचे पिता ने बेटे की पहचान की और लाश को दफनाया गया। मौलाना का कहना था कि लाश ही हालत देख समझा जा सकता है कि मेरे बेटे की पीट—पीट कर हत्या की गयी थी। पिता का कहना था जब मेरा बेटा घर से रविवार को निकला तो उस समय दंगाई बहुत बवाल किए हुए थे। शायद उसे इसका अंदाजा नहीं था।

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बेटे को दफनाए जाने के बाद उग्र और आहत भीड़ को संबोधित करते हुए मौलाना रशीदी ने कहा कि वह नहीं चाहते कि कोई और बाप अपना बेटा खोए। और वह यह भी नहीं चाहते कि उनके बेटे की निर्मम हत्या का कोई बदला ले या इसकी सोचे। अगर ऐसा कोई करता है तो मैं यह मस्जिद और शहर छोड़कर चला जाउंगा। मैं 30 सालों से इमाम हूँ। शांति का सन्देश देना मेरा कर्तव्य है। मैं नहीं चाहता कि इस आग में अब और घर जलें।

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जहां एक तरफ अपने बेटे को गंवा चुके इमाम जैसे लोग हैं, वहीं दूसरी तरफ मौकापरस्त राजनेता हैं, जिन्हें मौत पर भी राजनीति ही करनी होती है और केंद्र में सत्तासीन भाजपा का तो रिकॉर्ड ही रहा है लाशों पर राजनीति करने का। कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में हुए दंगे के पीछे भी संघ समर्थित और भाजपा समर्थित लोग ही दंगों के लिए जिम्मेदार हैं।

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इस मामले में भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो पर भी धारा 144 का उल्लंघन करने के लिए पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। गौरतलब है कि कल 29 मार्च को कुछ लोगों को बाबुल सुप्रियो ने चमड़ी उधेड़ने की धमकी दी थी, जब गुस्साई भीड़ उनके खिलाफ नारेबाजी कर रही थी।

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