बैंकों में खत्म हो जाएंगी 30 फीसदी नौकरियां

Update: 2017-09-14 19:22 GMT

भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक आॅफ इंडिया समेत एचडीएफसी और आईसीआई बैंकों में ऐसे सॉफ्टवेयर एंट्री कर चुके हैं, जो इंसानों के कामों की नकल कर कहीं अधिक स्पीड से उन कामों को करते हैं...

जनज्वार, दिल्ली। एडवांस टैक्नोलॉजी जहां हमारी जीवनशैली को आसान और आरामदायक बना रही है, वहीं यह आने वाले कुछ समय में खतरे की घंटी भी साबित होगी। सिटीबैंक के पूर्व सीईओ विक्रम पंडित की मानें तो अगले पांच सालों में टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट का खतरा सिर्फ आईटी सेक्टर ही नहीं उठायेगा, बल्कि बैंकिंग सेक्टर को भी यह गहरे प्रभावित करेगा। बैंकिंग क्षेत्र की तकरीबन 30 फीसदी नौकरियां एडवांस टेक्नोलॉजी के चलते खत्म हो जाएंगी।

वित्तीय संकट के कारण 2012 में सिटीबैंक से इस्तीफा देने वाले पूर्व सीईओ विक्रम पंडित का कहना है कि अगले पांच सालों में बैंकिंग सैक्टर में 30 फीसदी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि प्रोद्यौगिकी क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है, यही विकास 30 फीसदी नौकरियां खत्म करने के लिए जिम्मेदार है।

सिंगापुर में ब्लूमबर्ग टेलीविज़न से हुई एक बातचीत में विक्रम पंडित ने कहा, अगले पांच सालों में बैंकिंग की तीसरी तिमाही 30 प्रतिशत नौकरियां खत्म हो जाएंगी। उनके मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स, बैंक ऑफिस फ़ंक्शंस जैसे कर्मचारियों की जरूरतों को कम करते हैं।

सिटीबैंक से इस्तीफा देने के बाद विक्रम पंडित ने इक्विटी फर्म यानी ओर्गन समूह की स्थापना की, जहां वे सीईओ के बतौर कार्य कर रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर में नौकरियां कम होने के लिए स्थितियां बननी कुछ समय पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। इसे इस तरह देखा जा सकता है कि लोग अब बैंकों में न जाकर इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सेवा का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करने लगे हैं और अगले 4—5 साल में यह आंकड़ा और ज्यादा मात्रा में बढ़ेगा।

दुनिया की सबसे बड़ी फर्म मानी जाने वाली वॉल स्ट्रीट मशीन संचालन और क्लाउड कंप्यूटिंग सहित नए प्रौद्योगिकी का प्रयोग लगातार बढ़ा रही है, ताकि संचालन ज्यादा से ज्यादा आॅटोमैटिक हो जाएगी और जाहिर तौर पर इससे मैन पॉवर की मांग लगातार कम होगी। हालांकि इसका असर दिखना शुरू भी हो गया है, इस सेक्टर में कार्य कर रहे लोग नए क्षेत्रों में जॉब तलाश करने लगे हैं।

मार्च 2016 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक खुदरा बैंकिंग में ऑटोमेशन के आने से 2015 और 2025 के बीच में 30 प्रतिशत लोगों की डिमांड कम हुई है, जिसके चलते अमेरिका में कुल 770,000 लोगों को पूर्णकालिक नौकरी छोड़नी पड़ी और यूरोप में लगभग 10 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोने पड़े।

बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों के जानकारों के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में डाटा एंट्री जैसे काम करने वाले लोगों की कोई जरूरत ही नहीं रह जाएगी।

आॅटोमैटिक मशीन से काम लेने की शुरुआत भारतीय बैंकिंग सेक्टर में हो चुकी है। भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक आॅफ इंडिया समेत एचडीएफसी और आईसीआई बैंकों में ऐसे सॉफ्टवेयर एंट्री कर चुके हैं, जो इंसानों के कामों की नकल कर कहीं अधिक स्पीड से उन कामों को करते हैं।

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