भगवा तालिबानियों ने धर्मांतरण के नाम पर दलितों को दौड़ा—दौड़ा कर मारा

Update: 2018-07-04 04:29 GMT

उत्तर प्रदेश में किसे कौन सा धर्म अपनाना है, किसकी पूजा करनी है ये तय कर रहे हैं भगवा तालिबानी

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश में भगवा तालिबान का आतंक अपने चरम पर है। संविधान और कानून का इनके राज में कोई मतलब ही नहीं है। हो भी कैसे न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया लोकतंत्र के सारे स्तम्भों को तो भगवा तालिबान ने बंधक बना रखा है।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के संग्रामगढ़ थाना के अंतर्गत रायकाशीपुर गांव में 1 जुलाई को दलित ईसाइयों की प्रार्थना सभा पर गाड़ियों में सवार होकर आए करीब दो दर्जन भगवा तालिबानियों ने असलहे समेत हमला कर दिया और वहां मौजूद लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर निर्ममता पूर्वक मारा-पीटा।

भगवा गैंग की बर्बरता का आलम ये कि उन्होंने महिलाओं और बच्चों तक को भी नहीं बख्शा। वहां रखी धार्मिक मूर्तियों और दस मोटर साइकिलों को तोड़फोड़ दिया गया। साथ ही भय और आतंक पैदा करने के लिए फायरिंग भी की गई, जिससे चारो ओर दहशत फैल गयी।

भगवा तालिबानियों द्वारा किए गए इस सुनियोजित हमले में घनश्याम, डब्बू गौतम निवासी रायकाशीपुर,अजय गौतम निवासी मोहम्मदपुर सुहाग, राजेश कनवा, सुरेश कुमार,महरानीदीन निवासी सिटकहिया, जियालाल निवासी विजयीमऊ, द्रोपदी निवासी जबलपुर धर्मेंद्र कुमार व प्रियांशी निवासी कर्माइन, प्रकाश निवासी लोकापुर, अर्जुन पटेल निवासी खैरा, पुत्तीलाल, राम सजीवन निवासी सागर रायकाशीपुर, धीरज निवासी रुमतपुर, मुन्नालाल भदशिव समेत बीस लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए।

पीड़ितों का आरोप है कि सूचना के बावजूद पुलिस प्रशासन घटनास्थल पर नहीं पहुँची। पुलिस प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये से नाराज गुस्साये पीड़ित लोग संग्रामपुर थाने पहुँच गये। तब जाकर योगी आदित्यनाथ की निर्लज्ज पुलिस ने रामकुमार गौतम की तहरीर पर रायकाशीपुर निवासी राजेंद्र सिंह, उसके बेटे रोहित सिंह, शिवम पांडेय निवासी मुरैनी, विवेक तिवारी निवासी सरैया नौवड़िया के अलावा 20 अज्ञात लोगो के खिलाफ केस दर्ज किया। हमले में घायल रामकुमार गौतम इस घटना को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। उनका कहना है कि वो चुनाव में आरोपी के खिलाफ थे, इसीलिये उन्हें जानबूझकर गलत बहाने से निशाना बनाया जा रहा है।

बता दें कि रायकाशीपुर निवासी राम कुमार गौतम की ओर से अपने घर पर ही अक्सर प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं। जहाँ यीशू दरबार भी लगता रहा है। सोमवार को भी ऐसी ही एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। यही कोई दोपहर का समय था और वहां काफी संख्या में लोग प्रार्थना के लिए जुटे थे, यीशू भजन और कीर्तन किया जा रहा था। राम कुमार गौतम के घर पर सभी लोग यीशू कीर्तन पर और प्रार्थना में लीन थे। इसी दौरान अचानक चार गाड़ियों में भरकर करीब दो दर्जन असलहाधारी अचानक वहां आ धमके और वहां मौजूद लोगों को लाठी-डंडों से पीटना शुरू कर दिया।

दूसरी ओर जैसा कि हर घटना और हमला के बाद हिंदुत्ववादी भगवा गैंग धर्मांतरण का आरोप लगाता रहा है यहाँ भी कह रहा है कि प्रार्थना (चंगाई सभा) के बहाने लोगो का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। दरअसल रायकाशीपुर में रामकुमार गौतम के घर पर यह चंगाई सभा कोई नई बात नहीं थी। करीब दो साल से उनके घर यीशू दरबार लगना शुरू हुआ और फिर इसमें शामिल होने वाले लोगो की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी।

अगर धर्मांतरण हो भी रहा हो तो क्या तो उससे निपटने के लिए देश में पुलिस प्रशासन और कानून नहीं है। पुलिस में सूचना देने के बजाय भगवा तालिबानियों ने दलित समुदाय के लोगों पर हमला क्यों किया? भगवा आतंकियों के पास इतनी अधिक मात्रा में गैरलाइसेंसी हथियार असलहे कहाँ से आये? क्या इसे किसी कट्टर हिंदू संगठन द्वारा इन्हें मुहैया करवाया गया था?

दूसरा बड़ा सवाल ये कि सूचना के बावजूद पुलिस घटनास्थल तक क्यों नहीं पहुँची,जबकि पीड़ित खुद थाने पहुंच गये। क्या पुलिस की जानकारी में उनकी मिलीभगत से भगवा अपराधियों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया?

क्या अब संविधान के अनुच्छेद 25-28 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार का देश में कोई अर्थ नहीं रह गया है? क्या अब देश का कानून भगवा गैंग की लाठी से चलेगा? क्या अब लोगो को वही सब करना होगा जो ये भगवा तालिबानी चाहेंगे?

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