महाराणा प्रताप दिवस पर भीम आर्मी के अध्यक्ष के भाई की गोली मारकर हत्या

Update: 2018-05-09 17:31 GMT

पिछले साल इसी दिन जला दिया गया था दलितों का शब्बीरपुर गांव, कई दिनों होती रही थी हिंसा, उसी आरोप में भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर हैं एनएसए में बंद

जनज्वार, सहारनपुर। भीम आर्मी के सहारनपुर जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की आज गोली मारकर हत्या कर दी गयी। सचिन की गोली से उस समय हत्या हुई जब वह रामनगर गांव से सहारपुर शहर की ओर आ रहे महाराणा प्रताप जुलूस के बगल से वह गुजर रहे थे।

भीम आर्मी के संघर्षों को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजी एसआर दारापुरी ने बताया कि पुलिस का कहना है वह प्रोसेशन के बगल में गिर गया, जबकि परिजनों का कहना है कि उसकी हत्या हुई है।

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सहारनपुर भीम आर्मी के सचिन वालिया के साथी प्रदीप नारवाल के अनुसार सचिन की राजपूतों ने गोली मारके हत्या कर दी है। सचिन वालिया सहारनपुर भीम आर्मी अध्यक्ष कमल वालिया के भाई हैं। अभी अभी सहारनपुर के साथी ने बताया की आज महाराणा प्रताप शोभा यात्रा निकालते वक्त राजपूतो ने गोली मारी। अभी कुछ दिन पहले कमल वालिया जेल से छूटे हैं।

भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की फाइल फोटो

 सचिन की मौत के बाद मामले की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि अभी सचिन वालिया का पोस्टमार्टम हो रहा है, उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जा सकता है कि मौत का कारण क्या है। यानी उसे गोली मारी गई है या मौत की वजह कुछ और है।

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हत्या के विरोध में सहारनपुर जिला अस्पताल के बाहर सचिन के भाई और परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। परिजनों का आरोप है कि सचिन को प्रशासन ने मरवाया है। इसीलिए परिजन सचिन के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने का भी विरोध किया, जिसके बाद मौजूदा पुलिस प्रशासन को बल प्रयोग भी करना पड़ा।  

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हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि महाराणा प्रताप जयंती को देखते हुए हमने अलर्ट जारी किया था और महाराणा प्रताप भवन पर 800 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। प्रशासन का कहना है कि हमने 200 लोगों को जयंती मनाने की सशर्त अनुमति दी थी, जबकि भीम आर्मी ने जयंती न मनाने की चेतावनी भी दी थी। शायद यही कारण रहा हो कि हत्या को अंजाम दे दिया गया हो। 

सचिन वालिया की हत्या पर रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने दुख दुःख प्रकट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सामंती तत्वों के मनोबल चरम पर हैं, क्योंकि सामन्ती ताकतों के सरगना खुद मुख्यमंत्री हैं। योगी आदित्यनाथ पहले हिन्दू युवा वाहिनी के सामन्ती गुंडों के सरगना थे और अब मुख्यमंत्री के तौर पर राजपूत अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। भीम आर्मी के नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर रासुका लगाकर जेल बंद किया जाना एक रणनीति है, ताकि नाइंसाफी के खिलाफ कोई बोले नहीं, दूसरी तरफ सहारनपुर समते पूरे सूबे में शासन-प्रशासन राजपूत अपराधियों न सिर्फ बचा रहा बल्कि उनके सहयोगी की भूमिका निभा रहा है।

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