कोरोना समेत इन 3 भयावह बीमारियों से जूझ रहा है बिहार

Update: 2020-03-28 12:03 GMT

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव ने कहा कि पटना, नालंदा एवं नवादा जिले में कौओं एवं कुछ अन्य पक्षियों के मरने की जानकारी मिली है, जिनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इन तीन जिलों में पॉल्ट्री फॉर्म पर भी नजर रखी जा रही है और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है...

पटना से आलोक कुमार की रिपोर्ट

जनज्वार। इस समय बिहार के लोग तीन तरह की बीमारियों से हलकान और परेशान होने लगे हैं। एक है चीन के वुहान से टहलकर विश्वव्यापी जानलेवा बीमारी कोरोना। दूसरा है बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फ्लू और तीसरा है चमकी बुखार। हालांकि वैश्विक कोरोना को लेकर राज्य से लेकर केन्द्र की सरकार सचेत एवं क्रियाशील हैं। वहीं राज्य में सिर उठा रही बीमारी बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फ्लू की प्रसार पर मुखर होकर ‘जनज्वार‘ ने प्रमुखता से खबर प्रकााशित की थी। जनवरी माह के अंत में बिहार में भी बर्ड फ्लू की दस्तक महसूस की गई थी। 28 जनवरी 2020 को पटना में कौवों की रहस्यमयी ढंग से हुई मौत ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया था। इसका संज्ञान लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय बैठक करने को मजबूर हो गए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव एन सरवन कुमार ने बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर के संबंध में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी पक्षियों की अप्राकृतिक मौत हो रही है उस पर नजर रखें। फ्लू के प्रभाव को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाएं। स्वास्थ्य विभाग के साथ भी संपर्क बनाये रखें।

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ससे पूर्व पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव ने कहा कि पटना, नालंदा एवं नवादा जिले में कौओं एवं कुछ अन्य पक्षियों के मरने की जानकारी मिली है, जिनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इन तीन जिलों में पॉल्ट्री फॉर्म पर भी नजर रखी जा रही है और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

न्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों से पक्षियों के अन्य सैंपल कलेक्ट किये गए हैं जिन्हें जांच के लिए कोलकाता भेजा जा रहा है। सरवन ने कहा कि बर्ड फ्लू को देखते हुये पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम गठित कर इस पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। भागलपुर एवं रोहतास में स्वाइन फीवर की भी जानकारी मिली है और इस संदर्भ में भी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।आज भी पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-40 में एक कौआ की मौत हो गयी। इससे लोग घबरा गए हैं।

Full View बीच कोरोना के खतरे के बीच शुक्रवार को अचानक एसकेएमसीएच में चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चे के भर्ती होने के बाद हड़कंप है। भर्ती बच्चा सकरा के बैजू बुजुर्ग गांव के मुन्ना राम का साढ़े तीन साल का पुत्र आदित्य कुमार है। उसे पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

डॉक्टरों ने उसको संदिग्ध एईएस का मरीज बताया है। बताया कि बच्चे में चमकी समस्या स्थिर हो रही है, लेकिन सीरियस है। इसकी रिपोर्ट एसकेएमसीएच प्रशासन ने जारी कर दी है। अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने बताया कि शिशु रोग विभाग के डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। दोपहर में भर्ती कर तुरंत बच्चे की पैथोलॉजी जांच कराई गई। ग्लूकोज की कमी को पूरा किया जा रहा है। इधर, चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मिलते ही मुजफ्फरपुर से लेकर पटना मुख्यालय तक अधिकारी उसकी स्थिति की जानकारी लेने में लगे रहे। दिनभर जिला स्वास्थ्य समिति से लेकर एसकेएमसीएच तक डॉक्टरों ने आपस में कई बैठकें की।

विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि अभी कुछ नहीं बताया जा सकता है। बच्चे की स्थिति गंभीर है। इलाज हो रहा है। वहीं, जिला वैक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने इसकी रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेज दी है। सकरा रेफरल अस्पताल ने सीधे कर दिया रेफर बच्चे को बुखार की समस्या थी। अचानक उसे चमकी की समस्या हो गई। उसके पिता मुन्ना राम ने बताया कि सुबह में सकरा रेफरल अस्पताल ले गए। वहां से एसकेएमसीएच ले जाने के लिए कहा गया। इसकी सूचना मिलने के बाद सीएस डॉ. एसपी सिंह ने सकरा के मेडिकल अधिकारी व हेल्थ प्रबंधक को प्राथमिक उपचार किए बिना ही रेफर करने पर कड़ी आपत्ति की।

ल्लेखनीय है कि चमकी बुखार के कारण वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जमकर खींचाई हुई थी। मुजफ्फरपुर में 149 बच्चों की हुई मौत हो हुई थी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया था कि अब तक कुल 574 एइइएस के केस मिले हैं, जिनमें से 149 की मौत की रिपोर्ट मिली है। दूसरी ओर ग्लूकोज की कमी के कारण भी बच्चों की मौत हुई है। ग्लूकोज की कमी के कारण 556 बच्चे पीड़ित हुए हैं, जिसमें 120 बच्चों की मौत हुई है।

Full View बताया कि मुजफ्फरपुर में बारिश होने से तामपान में गिरावट हुई है। ऐसे में उम्मीद है कि बच्चों की बीमारी पर जल्द ही नियंत्रण मिलेगा। कभी बिहार बाल अधिकार व संरक्षण आयोग,तो कभी स्वास्थ्य टीम तो कभी मंत्रियों की टीम तो कभी पत्रकारों की टीम दौरा करती रही। मगर सुधार न हो सका। एक बार फिर चमकी बुखार से पीड़ित बच्चा भर्ती होने से लोग डरने लगे हैं।

टना के सरनाम अस्पताल में वार्ड बॉय के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। जिसके बाद इस अस्पताल को सील कर दिया गया है। साथ ही प्रशासन ने पटना शहर में 2000 लोगों को होम क्वारनटाइन में रखा है। ये सभी लोग विदेश से और अन्य राज्यों से आए हैं। इससे पहले यहां बिहार के कोरोना पॉजिटिव सैफ अली ने भी उपचार कराया था बाद में पटना के एम्स में मौत हो गई थी।

टना के डीएम कुमार रवि के निर्देश पर अस्पताल को सील करने की कार्रवाई की गई। बाहरी मरीजों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। वार्ड बॉय के साथ चार परिजनों के अलावा डॉ कर्मचारी सहित कुल 27 लोगों को अस्पताल के अलग-अलग कमरे में रखा गया है। जिस डॉक्टर ने मृतक और वार्ड बॉय का उपचार किया था उनका भी टेस्ट किया। गुरुवार को अस्पताल के 27 में से 13 कर्मचारियों को कोरोना टेस्ट हुआ था, जिसने एक में बीमारी की पुष्टि हुई है।

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डीएम ने बताया कि अस्पताल में तैनात कर्मियों की खोज शुरू कर दी गई है। क्वारनटाइन पर रखे गए 2000 लोगों में बीमारी की पुष्टि नहीं हुई। फिर भी प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए ये कार्रवाई की गई है। एक और अधिकारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में बाहर से आए लोगों की सूची बनाई जा रही है इसमें लगभग उन्हें 14 दिनों तक क्वारनटाइन में रहने को कहा गया है।

बिहार के कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। पटना से एक और मुंगेर के रहने वाले दो मरीजों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। राज्य के नौ पॉजीटिव मरीजों में से 2 मुंगेर, 2 एम्स पटना और 5 एनएमसीएच में रेफर हैं। इनमें से मुंगेर के रहने वाले एक मरीज की मौत हो चुकी है। बिहार में पुलिस-प्रशासन लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने में जुट गए हैं।

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