राम माधव के कहने पर आसिफा गैंगरेप के समर्थन में खड़े हुए थे भाजपा सरकार के मंत्री?

Update: 2018-04-16 10:28 GMT

यों तो नाम जम्मू—कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा का आ रहा है कि उनके कहने पर मंत्री गए थे बलात्कारियों—हत्यारों के समर्थन वाली रैली में, लेकिन मंत्री के समर्थक कहते हैं असल खेल तो राम माधव ने खेला था, जो हर रोज गिरगिट की तरह रंग बदल रहे...

जनज्वार, दिल्ली। भाजपा हर बार फसादों को लेकर किए जाने वाले अनुमानों में फेल हो जाती है। या ये कह सकते हैं कि उसकी यही रणनीति रहती है। जब वह उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोपी विधायक के पक्ष में 220 दिन खड़ी रही तो उसे अंदाजा नहीं था कि देशभर में सबसे दबंग छवि के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह घटना खड़ाऊ मुख्यमंत्री बना देगी, उन पर राजपूत—राजपूत खेलने का गहरा दाग लग जाएगा। योगी के समर्थक यह कहने लगेंगे कि दो गुजराती मिलकर योगी को अच्छे से निपटा रहे हैं।

पर हुआ यही। अगिया बैताल मुख्यमंत्री मुंह ताकते रह गए, मीडिया पूछती रह गयी कि क्या सबूत चाहिए गिरफ्तारी की, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा मुकदमे के बाद विधायक क्यों नहीं हुआ गिरफ्तार, पर योगी कुछ न बोले। बात तभी बनी, कार्रवाई भी तभी हुई जब मोदी का संवदिया और भाजपा अध्यक्ष अमित शहा लखनऊ पहुंचे।

यानी यूपीए के समय 2014 तब जो भाइपाई कांग्रेसी सरकारों के बारे में कहा करते थे, अब उससे भी बदतर हालत में पीएमओ के जरिए रिमोट से भाजपा सरकारें चल रही हैं और मुख्यमंत्री—उपमुख्यमंत्री खड़ाऊ की भूमिका में अपने राज्यों में सिमटे पड़े हैं।

इससे भी बदतर हालत जम्मू—कश्मीर में भाजपा की निकल कर सामने आई जब पता चला कि बलात्कारियों और हत्यारों के बचाव में रैली भाजपा के कहने पर हिंदू एकता मंच ने आयोजित की थी और पार्टी के कहने पर दो मंत्री मानवता और इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस रैली के समर्थन में शामिल हुए थे।

अब जबकि दोनों आरोपी मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है तब उनके समर्थक कहने लगे हैं कि ये सिर्फ शिकार हैं, जो जनदबाव में भाजपा ने किए हैं, लेकिन असल मास्टरमाइंड संघ के पूर्व पदाधिकारी और भाजपा महासचिव राम माधव हैं, जिनको बचाने की कोशिश में भाजपा ने दोनों मंत्रियों से इस्तीफा लिया है।'

गौरतलब है कि राम माधव वह नेता हैं जिन्होंने जम्मू—कश्मीर में 25 सीटें दिलवाई हैं और पीडीपी जैसी भाजपा विरोधी पार्टी से सांठगांठ कराकर सरकार बनवाया है। यह भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत थी। इसलिए राम माधव जम्मू—कश्मीर के राज्य प्रभारी तो हैं ही, इसके अलावा दिशा निर्देशक कहा जाता है और माना जाता है कि वहां का हर पदाधिकारी सीधे राम माधव की देखरेख में संचालित होता है।

इस्तीफा दे चुके मंत्री चौधरी लाल सिंह के समर्थक समझाते हैं, अखबारों के संदर्भ बताते हैं और राम माधव के बदले बयानों को एक—एक कर दिखाते हैं। वे बार—बार अपनी मजबूरियां कहते हैं कि हम अपने नाम से कुछ भी नहीं बोल सकते पर आप घटनाक्रम पर ध्यान दें तो साफ हो जाएगा कि पार्टी इसके पीछे थी।

लाल सिंह का समर्थक कहता है, 'पूरी पार्टी में विरोध में बोलने का चलन नहीं रह गया है। जो बोलने वाले थे वे साइड लाइन हैं और चुप रह सकते हैं या मोदी और अमित शाह की जो भेड़ें बन सकते हैं, वे पार्टी में हैं।'

आसिफा के बलात्कारियों के समर्थन में जम्मू रैली में पहुंचे भाजपा कोटे से जम्मू—कश्मीर सरकार के दोनों मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा के समर्थक सबसे पहले मोबाइल से नवभारत टाइम्स आॅनलाइन में छपी खबर दिखाते हैं, जिसमें राम माधव ने दोनों मंत्रियों के रैली में शामिल को लेकर बचाव किया है। ये खबर तमाम अखबारों में 14 अप्रैल को छपी है।

जम्मू पहुंचे राम माधव 14 अप्रैल को बलात्कार के समर्थन में रैली निकाले दोनों मंत्रियों को साथ लेकर मीडिया को संबोधित करते हैं। एएनआई ने इस संदर्भ में फोटो भी जारी की है, जिसमें मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा, राम माधव के साथ दाहिने—बाएं बैठे हुए हैं। दिल्ली से भागकर राम माधव को जम्मू इसलिए जाना पड़ा क्योंकि पार्टी को लगा कि कहीं ये मंत्री मीडिया की पकड़ में न आ जाएं और राम माधव का नाम न ले दें।

इसी बचाव में राम माधव पहले दिन के प्रेस कांफ्रेंस में कहते हैं, 'भारतीय जनता पार्टी के ये दोनों नेता भीड़ को समझाने गए थे, लेकिन इस बात को गलत तरीके से समझा गया।' यह बात उन्होंने 13 अप्रैल को दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के बाद कही थी। मंत्रियों को इस्तीफा इसलिए देना पड़ा क्योंकि वे गैंगरेप के आरोपियों के पक्ष में हिंदू एकता मंच की रैली का समर्थन करने पहुंचे थे।

इस कड़ी को भी समझने की जरूरत है कि हिंदू एकता मंच, भाजपा के मंत्री, उनका बलात्कारियों—हत्यारों के पक्ष खड़ा होना, भाजपा में सक्रिय समर्थकों का बार काउंसिल का पुलिस के चार्जशीट दाखिल को रोकना, मुस्लिम लड़की का सामूहिक बलात्कार, मंदिर और कठुआ। इसके सिरे पकड़ते ही आपको समझ में आ जाएगा कि आखिर राम माधव को क्यों मंत्रियों के बचाव में उतरना पड़ा, क्यों भाजपा इस राज्य का राम माधव को स्टार मानती है।

जम्मू के सामाजिक राजनीतिक मसलों को जानने वाले पत्रकार देवेंद्र प्रताप कहते हैं, 'आसिफा जिस बकरेवाल समुदाय से वास्ता रखती थी वह पशुपालन करने वाली मुस्लिम गुर्जर घुमंतू जाति है। बकरेवाल अपने जानवरों को लेकर जाड़ों में नीचे आ जाते हैं और गर्मियों में ऊपर चले जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह जागरूक और शिक्षित हुए हैं। उनमें से बहुत से लोग स्थाई निवास भी बनाने लगे हैं। असल झगड़ा हिंदूवादी संगठनों और उनमें स्थाई निवास के कारण ही है।'

देवेंद्र प्रताप के मुताबिक, 'कठुआ में एक—दो दशक पहले तक मुस्लिम बहुत कम थी, लेकिन अब 22 फीसदी यहां बकरेवाल हैं। आरएसएस और हिंदू एकता मंच जैसे तमाम संगठन लगातार इस कोशिश में हैं कि इन्हें यहां से उजाड़ दिया जाए। लेकिन जबसे पीडीपी ने बकरेवालों को वन भूमि में बसने आदेश दिया है, अब वह स्थाई आवास बनाने लगे हैं, जबकि भाजपा और उसके समर्थक संगठन कठुआ को हिंदू स्थान ही बनाए रखना चाहते हैं। यह लड़ाई दोनों पार्टियों की ओर से लड़ी जा रही है। भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि उसे अगली विधानसभा में जीतने की कोई वजह नहीं मिल पा रही, क्योंकि उसने सरकार में रहते ऐसा कोई काम नहीं किया।'

देवेंद्र प्रताप की इन बातों का सिरा पकड़ा जाए तो बहुत साफ है कि भाजपा के दोनों मंत्री रैली में क्यों पहुंचे थे? क्यों दोनों मंत्रियों के समर्थक कह रहे हैं कि ये लोग राम माधव के निर्देश पर ही रैली में शामिल हुए थे, क्यों कह रहे हैं पार्टी को लंबे समय से ऐसे किसी मुद्दे की तलाश है जिसमें भाजपा राज्य में उभर कर आए और राज्यभर में गिरता ग्राफ ऊपर आए।'

खैर! मामला बिगड़ते देख राम माधव सीधे जम्मू पहुंचे और पहले मंत्रियों को भरोसे में लिया, उनको मासूम और अनजान बताया, जिससे कि वे राम माधव का नाम न जुबान ला दें और बाद में जनदबाव बनते ही मंत्रियों से पलटी मार गए और कह दिया कि नहीं जी, उनका शामिल होना ठीक नहीं है। पार्टी उनके साथ नहीं है, इस्तीफे का स्वागत है। कोई लेकिन न रह जाए इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा का नाम भी मंत्रियों के हवाले से मीडिया में चलवा दिया कि उन्हीं के कहने पर वे बलात्कारियों—हत्यारों के समर्थक बने थे।

इस्तीफा दे चुके पूर्व मंत्री लाल सिंह के समर्थक कहते हैं, 'यह लाल सिंह नहीं बोल रहे कि जम्मू—कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा के कहने पर बलात्कारियों के समर्थन में निकली रैली में गए थे, बल्कि यह पार्टी की तैयारी थी, जिसका डायग्राम राम माधव द्वारा दिया गया है। मंत्री नाम सत शर्मा का इसलिए ले रहे क्योंकि ऐसा ही करने को राम माधव ने कहा है, क्योंकि राम माधव का नाम आते ही पार्टी की छवि को बड़ा नुकसान होगा। और उससे बड़ा नुकसान संघ समर्थकों का होगा कि जो राम माधव वर्षों तक संघ के कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहे, वे वोट के लिए इतना नीचे गिरकर रणनीति लागू कराते हैं। और रही बात प्रदेश अध्यक्ष की तो विधायक और कार्यकर्ता नहीं सुनते, मंत्री क्यों सुनने लगे, सीधे सबकी राम माधव सुनते हैं और राम माधव की सब सुनते हैं।'

हालांकि भाजपा समर्थक मीडिया को इस बात की सुगबुगाहट होते ही कि ऊंगली राम माधव की ओर उठने लगी है, राम माधव को बचाने में लग गयी। टाइम्स नाउ ने खुलासा किया कि दोनों मंत्री खुद की मर्जी से हिंदू एकता मंच की रैली में नहीं पहुंचे थे, बल्कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा के कहने पर वह वहां गए।

बकरेवाल मुस्लिम समुदाय की नाबालिग 8 वर्षीय मासूका का सामूहिक बलात्कार और फिर हत्या से साफ है बलात्कारियों और हत्यारों के पक्ष में जो रैली हुई, जिसमें भाजपा के दो—दो मंत्री, कुछ विधायक और कार्यकर्ता शामिल थे, वह बगैर नरेंद्र मोदी के प्रिय अमित शाह और संघ के प्रिय भाजपा महासचिव राम माधव के नहीं हुई है। कम से कम राम माधव तो इस जघन्य सांप्रदायिक बंटवारे की राजनीति में सीधे शामिल रहे हैं, जो उन्हें गिरगिट जैसा लगातार रंग बदलना पड़ रहा है।

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