'ब्राह्मणों के पैर छुओ' जैसा कोई अभियान नहीं चलाया है बसपा ने, जनज्वार के फैक्ट चेक में खुलासा

Update: 2020-01-23 07:28 GMT

बसपा की प्रमुख मायावती चूंकि सोशल मीडिया और मीडिया पर अपने पक्ष में बोलने वालों को 'दलाल' मानती रही हैं, इसलिए उनकी पार्टी की ओर से किसी ने कहा भी नहीं कि खबर फर्जी है। अलबत्ता विश्लेषण यह होने लगा कि ब्राम्हणों के सहयोग से कई सत्तानशीं रह चुकीं मायावती फिर एक बार ब्राम्हणों के पैरों में गिरकर सत्ता के मोह में पड़ती हुई नजर आ रही हैं...

लखनऊ से फैजान मुसन्ना की रिपोर्ट

जनज्वार,लखनऊ। सोशल मीडिया पर बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओ द्वारा गांव -गांव जाकर ब्राह्मणों के पैर छूने का अभियान की खबर ने सियासी हलके में हलचल मचा दी है। एक महत्वपूर्ण समाचार वेब साईट समेत कई सोशल मीडिया के प्लेटफार्मो पर दावा किया जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को गांव -गांव जाकर ब्राह्मणों के पैर छूने के लिए कहा है।

हीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी ने ऐसी किसी अभियान से साफ इंकार किया है और कहा है यह पार्टी के उसूलों के खिलाफ है। पूर्व राज्यसभा सदस्य और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली ने पार्टी द्वारा चलाये जा रहे ऐसे किसी अभियान से साफ़ इंकार किया है। उन्होंने कहा पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को पैर छुने से रोकती है। उन्होंने आरोप लगाया की यह मीडिया के द्वारा अफवाह फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा विपक्षी पार्टियां हमारे खिलाफ साजिश रच रही हैं। इस सिलसिले में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र से फोन करके सम्पर्क करने का प्रयास किया गया मगर उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

हुजन समाज पार्टी को निकट से जानने वाले अनूप कल्याणी का मत है की फ़िलहाल उनकी जानकारी में बसपा द्वारा ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है। अनूप ने कहा ऐसे समाचार यकीनन भ्रम फैलाये जाने के उद्देश्य से मीडिया में प्रसारित किये जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में बसपा प्रमुख मायावती ने अपने में बदलाव किया है। वो वास्तव में समझ में नहीं आ रहा ब्राह्मणवाद और मनुस्मृति का विरोध कर अपना किला बनाने वाली मायावती अब यह कार्यक्रम कैसे चलाएंगी ये सबसे बड़ा सवाल है?

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लेकिन इस सवाल के बीच प्रश्न यह भी उठता है कि अगर पार्टी ने ऐसा कुछ किया ही नहीं तो सोशल मीडिया पर रायता कैसे फैला कि बसपा अब गांव—गांव जाकर ब्राम्हणों के पैर छुएगी। पहली नजर में यह बात सच नहीं लगती क्योंकि दलित आधार वाली पार्टी ऐसा करके अपना वैचारिक दखल शून्य कर लेगी। जनज्वार ने जब इस बारे में पता करने की कोशिश की तो बसपा नेतृत्व ने एक तरफ से इस ख़बर को इनकार कर दिया। कहा कि बसपा की ओर ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया गया है, न चलाए जाने की योजना है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों यह खबर 20 जनवरी को राजस्थान पत्रिका की वेबसाइट पर छपी। उसके बाद दर्जनों वायरल कंटेंट को ढोने वाली बेवसाइटों ने दगादग खबरें लिखनी शुरू कर दीं। उसके बाद तो सोशल मीडिया पर हजारों पोस्ट लिखे जाने लगे। गंभीर विश्लेषण अलग से!

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र बड़ी बात यह है कि जनज्वार से बात किसी और ने नहीं बल्कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली ने सीधे कही। हालांकि उनके इस जवाब पर लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नावेद शिकोह के अनुसार कोई मीडिया समूह बिना किसी आधार के ऐसी खबर प्रकाशित नहीं करेगा। नावेद मानते हैं कि खबर में कुछ सच्चाई तो है। वो कहते हैं यह अलग बात है की बसपा इसको स्वीकार न करे।

नज्वार ने जब खबर की पड़ताल की तो ये खबर अमर उजाला डिजिटल में ब्राह्मणों के गांवों में बसपा का 'पैर छुओ अभियान' से 12 नवंबर 2016 को छापी गई थी, जिसे हु-ब-हु पत्रिका.कॉम ने BSP ब्राहाणों के गांवों में चलाएगी ‘पैर छुओ अभियान’, सोशल इंजीनियरिंग की भी देगी जानकारी की हेडलाइन से खबर चला दी, और इस खबर को नीरज पटेल ने लिखा था। जब हमने पत्रिका के संपादक भुवनेश जैन से बात करने की कोशिश की तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

सपा की प्रमुख मायावती चूंकि सोशल मीडिया और मीडिया पर अपने पक्ष में बोलने वालों को 'दलाल' मानती रही हैं, इसलिए उनकी पार्टी की ओर से किसी ने कहा भी नहीं कि खबर फर्जी है। अलबत्ता विश्लेषण यह होने लगा कि ब्राम्हणों के सहयोग से कई सत्तानशीं रह चुकीं मायावती फिर एक बार ब्राम्हणों के पैरों में गिरकर सत्ता के मोह में पड़ती हुई नजर आ रही हैं। और ब्राह्मणों को रिझाने का यह उनका ताजा 'मायावी' है।

खैर! सच सामने है। हमारी कोशिश होती है कि खबरों को लिखे जाने से पहले उनको परखा जाए। हम ऐसा इसलिए भी करते हैं कि भले हम जनता को कोई जानकारी या खबर देने अपने संसाधनों की सीमा की वजह से वंचित रह जाएं, लेकिन खबरों के चूहा दौड़ में शामिल होकर गलत खबरें न परासें। यह हमारी जिम्मेदारी भी है और आपका अधिकार भी।

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