कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ 200 प्रतिशत बढ़े हिंसा के मामले

Update: 2020-05-13 09:29 GMT

पाकिस्तान के सस्टेनेबल सोशल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (एसएसडीओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जनवरी की तुलना में मार्च 2020 के महीने में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलो में 200 प्रतिशत वृद्धि हुई...

जनज्वार ब्यूरो। एक अध्ययन के मुताबिक, पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में मार्च में 200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के तुरंत बाद यह स्टडी सामन आयी है जिसमें चेतावनी दी गई है कि चल रहे कोरोनोवायरस महामारी से सबसे गरीब तबके की हालत और खराब हो जाएगी।

पाकिस्तान की प्रमुख साचार वेबसाइट 'द न्यूज' ने मंगलवार को एक लेख में कहा कि पाकिस्तान के सस्टेनेबल सोशल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (एसएसडीओ) ने जनवरी से मार्च 2020 की रिपोर्ट में कहा कि जनवरी की तुलना में मार्च के महीने में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलो में 200 प्रतिशत वृद्धि हुई।

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स्लामाबाद स्थित एनजीओ ने बताया कि इसी तरह बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, अपहरण और बलात्कार के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। एसएसडीओ ने 'ट्रैकिंग क्राइम्स अंगेस्ट ह्यूमेन्स इन पाकिस्तान' के तहत स्टडी के हिस्से के रुप में अंग्रेजी के तीन अखबारों द नेशन, द डॉन और द न्यूज व उर्दू के तीन अखबारों जंग, दुनिया और एक्सप्रेस से आकंड़ों को एकत्रित किया।

सके बाद अपराधों को आठ श्रेणियों (बाल विवाह, बाल शोषण, बाल श्रम, घरेलू शोषण, अपहरण, बलात्कार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और हत्या) अलग-अलग किया गया।

Full View में 13 बाल शोषण के मामले सामने आए जबकि मार्च बाल शोषण के 61 मामले दर्ज किए गए। जनवरी में को भी बाल शोषण का मामला दर्ज नहीं किया गया था। घरेलू हिंसा के मामलों की अगर बात करें तो यह फरवरी में 6 दर्ज किए गए थे, मार्च में बढ़कर इनकी संख्या 20 तक हो गई। जनवरी में कोई भी मामला सामने नहीं आया था।

मार्च के महीने में बलात्कार के 25 मामले दर्ज किए गए जबकि फरवरी में 24 मामले दर्ज किए गए थे और जनवरी में 9 मामले सामने आए थे। अपहरण के मामलों की अगर बात करें तो यह जनवरी में 41 दर्ज किए गए थे। फरवरी से मार्च तक बढ़कर इनकी संक्या 75 हो गई। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की अन्य घटनाएं भी मार्च में बढ़कर 36 हो गई। यह संख्या जनवरी में जीरो थी।

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सएसडीओ के डायरेक्टर सैयद कौसर अब्बास ने 'द न्यूज' से कहा कि आकड़ों में बढ़ोत्तरी हो सकती है क्योंकि कई अपराधों की या तो सूचना नहीं दी गई या गलत सूचना दी गई। रिपोर्ट में पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी।

Full View अध्ययन ऐसे समय में जारी किया गया है जब पाकिस्तान में कमजोर वर्गों की स्थिति पर बहस चल रही है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने अप्रैल के अंत में अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'बलूचिस्तान की खदानों में बाल श्रमिकों के यौन शोषण की खबरें सामने आई हैं, जबकि छोटे बच्चों के साथ बलात्कार, हत्या और उन्हें डंप किए जाने की खबरें भयावह हो गई हैं।"

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